उदयभान राठौड़
उदयभान राठौड़ एक राजपूत योद्धा थे। उदयभान तलवारबाजी और युद्ध में काफी निपुण थे। उदयभान कोंडाणा किले का किल्लेदार था। जिसे राजा जयसिंह प्रथम द्वारा नियुक्त किया गया था यह औरंगजेब के कार्यकाल में मुगल सेना के सेनापति थे। सिंहगढ़ (पूर्व में कोंडाणा) का युद्ध उदय भान सिंह राठौड़ द्वारा लड़ा गया उसका अंतिम युद्ध था जो कि 4 फरवरी 1670 में हुआ था। युद्ध में उदयभान का सामना तानाजी से हुआ था। तानाजी एक महान योद्धा थे जिन्होंने मुगलों के खिलाफ युद्ध लड़ा था। तानाजी छत्रपती शिवाजी महाराज की सेना के वीर योद्धा थे। जिनको कोंडाणा किले ( जिसका वर्तमान नाम सिंहगढ़ है, यह वर्तमान में पुणे शहर के पास है ) को जीतने के लिए भेजा था और उदय भान और तानाजी के बीच में घोर युद्ध हुआ जो कि काफी लम्बा चला उसके बाद उदय भान को मारकर मराठाओं ने किले पर भगवा ध्वज लहराया था। उसे तोप से बांधकर नीचे फेंक कर मारा। इस युद्ध के बाद किले का नाम कोंडाणा से सिंहगढ़ रखा गया। क्योंकि छत्रपती शिवाजी महाराज ने कहा था कि किला तो जीत लिया लेकिन मेरा शेर नहीं रहा इसलिए उनकी याद में इसका नाम बदलकर सिंहगढ़ किला किया गया।
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