कबीर प्रकट दिवस
कबीर प्रकट दिवस ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन कबीर जी काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर बच्चे के रूप में प्रकट हुए थे।[१] वहां से नीरू तथा नीमा नाम के निःसन्तान जुलाहा दंपत्ति अपने घर ले आये थे। इसी दंपत्ति ने कबीर जी की परवरिश की थी।
कबीर जी के आसमान से आकर बच्चे के रूप में कमल के फूल पर विराजमान होने की घटना उस समय के प्रसिद्ध संत रामानंद जी के शिष्य अष्टानंद ने देखी थी। अष्टानंद सुबह जल्दी उठकर साधना कर रहे थे तब देखा कि एक तीव्र प्रकाश आकाश से आकर उस तालाब के एक कमल पुष्प पर आया जिसकी चमक इतनी तीव्र थी उस तेज से उनकी आंखें बंद क्षण भर के लिये हो गई। बंद आंखों में उन चमकीले गोले का जो प्रतिबिंब दिखा उसमें उन्हें नवजात शिशु का रूप दिखा। वापस आंखें खोलने पर वह प्रकाश एक कमल पर सिमटते हुए दिखाई दिया। इस घटना की जानकारी अष्टानंद ने अपने गुरु रामानंद जी को दी तब उन्होंने कहा कि जब कोई उपर के लोकों से अवतार होता है तब ऐसी घटना दिखाई देती है।
विशाल भंडारा[सम्पादन]
कबीर प्रकट दिवस को पूरे देश में मनाया जाता है। खास तौर से रोहतक में हर वर्ष संत रामपाल के सान्निध्य में कबीर भक्ति मुक्ति ट्रस्ट द्वारा रोहतक हरियाणा में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें लाखों की संख्या में देश-विदेशों के लोग हिस्सा लेते हैं।[२]
इस भंडारे में सैकड़ों जोड़े संत रामपाल प्रेरित बिना खर्चीली दहेज रहित रमैणी विधि से परिणय सूत्र में बंधते हैं।[३]
सन्दर्भ[सम्पादन]
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- ↑ साहेब, सद्ग्रंथ. सद्ग्रंथ साहेब. छुड़ानी, रोहतक, हरियाणा, भारत: छुड़ानी धाम.
- ↑ Bhaskar, Dainik. "News". https://www.bhaskar.com/haryana/hisar/news/haryana-news-hisar-on-the-manifest-day-of-kabir-saheb-on-17th-june-074005-4794294.html.
- ↑ Express, Haryana. "News". https://haryanaexpress.in/2019/06/17/saint-kabir-reveals-day/.