चंद्रवर्द्धन मोरिया
शाक्य गणराज्य से विस्थापित पिप्पलिवन[१] के मोरिय महाराज चंद्रवर्धन मौर्य (संस्कृति ) अथवा चंद्रवर्धन मोरिया (पाली) महत्वपूर्ण इतिहासिक व्यक्ति थे। उन्हें भारतीय इतिहास में मौर्य वंश के प्रमुख प्रथम नेताओं में से गिना जाता हैं। चंद्रवर्धन मौर्य की जीवनी और कार्यकाल बहुत संवेदनशील और प्रभावशाली रहे हैं।[२] चंद्रवर्धन मौर्य का जन्म लगभग 365 ईसापूर्व में पिप्पलिवन नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता शाक्य गणराज्य के राजकीय परिवार से संबंधित थे।[३]
मोरिय राज्य कोलियों के पश्चिम तथा पूर्व और उत्तर-पूर्व में मलल राज्य तक फैला हुआ था। यह स्थल पीपल के पेड़ों से आच्छादित था। यह क्षेत्र चार मील लम्बे एवं दो मील चौड़े क्षेत्र में फैला हुआ था ।[४] मौर्य राजाओं का मोरिय गण के साथ सम्बन्ध था, जिसकी राजधानी मयूरनगर थी।[५]
मोरियनगरे चन्दवड्ढनो खत्तिया राजा नाम राज्ज करेसि। तेन तस्स नगरस्स समिनो साक़िया च तेस पुत्तपुत्ता च सकलजम्बुदिपे मोरिया नाम’ति पाकटा जाता। ततो पभुति तेस वंसो मोरियवंसो’ति। वुच्चति,तेन वुच्च”मोरियान खात्तियान वंसजात’ति। चन्दवड्ढनो राजस्स मोरिय रञ्ञो सा अहू। राजमहेसी धम्ममोरिया पुत्तातस्सासि चन्दगुप्तो’ति॥
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गणराज्य[सम्पादन]
ईसापूर्व की छठी में भारत में १९ महाजनपद थे। इनमें से कुछ महान में जनपदों भी गणतंत्रीय शासन व्यवस्था थी। परन्तु उनके अलावा भी अनेक छोटे जनपद ऐसे थे, जिनमें गणतंत्र शासन प्रणाली विद्यमान थी। बाद में मगध के शक्तिशाली सम्राटों ने इन जनपदों को अपने राज्य में मिला लिया था। बौद्ध ग्रन्थों में जिन दस गणराज्यों का उल्लेख हुआ है, वे निम्नलिखित हैं[६][७][८][९] :
गणराज्य | जनपद |
---|---|
कपिलवस्तु | शाक्य |
वैशाली | लिच्छवि |
रामगाम | कोलिय |
पावा | मल्ल |
कुसीनारा | मल्ल |
पिप्पलिवन | मोरिय |
मिथिला | विदेह |
सुंसुमारगिरि | भग्ग |
अलकप्प | बुली |
केसपुत्त | कलाम |
वंशज[सम्पादन]
पिप्पलिवन भारतीय इतिहास में 500 ई० पू० में बुद्ध के समकालीन मोरिय वंशीय क्षत्रियों की राजधानी थी।[१०] चंद्रगुप्त पिप्पलिवन के मोरिय गण का कुमार था।[११] [१२]नन्द के साथ उसका कोई संबंध नहीं था। मोरिय गण वज्जि-महाजनपद के पड़ौस में स्थित था। उत्तरी बिहार के सभी गणराज्य कोशल और मगध के साम्राज्यवाद के शिकार हो गए थे, और मोरिय गण भी मगध की अधीनता में आ गए थे।[१३] इस गण की एक राजमहिषी पाटलिपुत्र में छिपकर अपना जीवन व्यतीत कर रही थी। वहीं उसने चंद्रगुप्त को जन्म दिया। चंद्रगुप्त के कहीं मगध के राजकर्मचारियों के हाथ में न पड़ जाने की चिंता से, उसने शिशु को एक ग्वाले के पास छोड़ दिया। [१४] बुद्ध की मृत्यु के बाद पिप्पलिवन के मौर्यों ने उनकी अश्थियों का कुछ हिस्सा मांगा था। यह घटना पूर्व भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है।[१५]
संदर्भ[सम्पादन]
- ↑ Acharya Ramdev Ji. भारतवर्ष का इतिहास-3 (Acharya Ramdev Ji). http://archive.org/details/3-acharya-ramdev-ji.
- ↑ Socio-economic Changes In Ancient India (600 B.c. To 200 A.d.). 2002. http://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.480755.
- ↑ Vidhyalankar, Satya (1971). Maurya Samrajaya Ka Itihash. http://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.429902.
- ↑ B B Mishra. Gorakhpur Janpad Ka Puratatva. http://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.480492.
- ↑ Vidhyalankar, Satya (1971). Maurya Samrajaya Ka Itihash. http://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.429902.
- ↑ Pracheen Books. 2013-02-23. http://archive.org/details/pracheen-books.
- ↑ Art And Archeology Of Kushinagar District. 2002. http://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.480389.
- ↑ V B Bhardwaj. Chatursen Ke Upanyaason Mein Itihaas Ka Chitran. http://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.482049.
- ↑ Bihar Class 9 Polity Book. http://archive.org/details/bihar-class-9-polity-book.
- ↑ Mathur, Vijayendra Kumar (1969). Atihashik Sthanavali. http://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.429925.
- ↑ Vidylankaar (1952). Bhagwaan Mahaaviir Aur Unakaa Tatv Darshan. http://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.482447.
- ↑ Digital Library Of India, Cdac Noida (1954). Magadh (1954) Ac 521. http://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.441562.
- ↑ Kautilya, Vachaspati Gairola (1984). Arthasastra Of Kautilya & The Chanakya Sutra With Hindi Commentary Vachaspati Gairola 1984 ( Chaukhambha). http://archive.org/details/arthasastra-of-kautilya-the-chanakya-sutra-with-hindi-commentary-vachaspati-gairola-1984-chaukhambha.
- ↑ Satyaketu Vidyalankar. प्राचीन भारत (Satyaketu Vidyalankar). http://archive.org/details/satyaketu-vidyalankar.
- ↑ Urbanisation And Urban Life As Depicted In The Early Buddhist Art. 2002. http://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.480821.
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