जय गुरुदेव मंदिर
जयगुरुदेव मन्दिर / Jay Gurudev Temple[सम्पादन]
जयगुरुदेव मन्दिर, मथुरा Jay Gurudev Temple, Mathura
मथुरा में आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित जय गुरुदेव आश्रम की लगभग डेढ़ सौ एकड़ भूमि पर संत प्रवर बाबा जय गुरुदेव की एक अलग ही दुनिया बसी हुई है। उनके देश विदेश में 20 करोड़ से भी अधिक अनुयायी हैं। उनके अनुयायियों में अनपढ़ किसान से लेकर प्रबुद्ध वर्ग तक के लोग हैं। व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को सुधारने का संकल्प लेकर जय गुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था एवं जय गुरुदेव धर्म प्रचारक ट्रस्ट चला रहे हैं, जिनके तहत तमाम लोक कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं। उन्होंने अपने विचारों को मूर्त रूप देने के लिए दूरदर्शी पार्टी की भी स्थापना की हुई है। उन्होंने इस पार्टी के माध्यम से समाज की बिगड़ी हुई व्यवस्था को वैचारिक क्रांति के द्वार ठीक करने का बीड़ा उठाया है। वह भूमि जोतक, खेतिहर-काश्तकार संगठन भी चला रहे हैं।
जीवन परिचय[सम्पादन]
|
बाबा जय गुरुदेव का वास्तविक नाम तुलसीदास है। उनके गुरु श्री घूरेलाल जी थे जो अलीगढ़ के चिरौली ग्राम (इगलास तहसील) के निवासी थे। उन्हीं के पास बाबा वर्षों रहे। उनके गुरु जी ने उनसे मथुरा में किसी एकांत स्थान पर अपना आश्रम बनाकर ग़रीबों की सेवा करने के लिए कहा था। अतः जब उनके गुरु जी का सन 1948 की अगहन सुदी दशमी को शरीर नहीं रहा, तब उन्होंने अपने गुरु स्थान चिरौली के नाम पर सन 1953 में मथुरा के कृष्णा नगर में चिरौली संत आश्रम की स्थापना करके अपने मिशन की शुरुआत की। बाद में बाबा जय गुरुदेव ने सन 1962 में मथुरा में ही आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित मधुवन क्षेत्र में डेढ़ सौ एकड़ भूमि ख़रीदकर अपने मिशन को और अधिक विस्तार दिया। बाबा जय गुरुदेव अपने प्रत्येक कार्य में अपने गुरुदेव का स्मरण कर जय गुरुदेव का उद्घोष करते हैं इसलिए वह बाबा जय गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध हो गये। उन्हें उनके वास्तविक नाम तुलसीदास के नाम से बहुत कम व्यक्ति जानते हैं।
शिक्षण संस्थायें व अस्पताल[सम्पादन]
जय गुरुदेव आश्रम में इस समय कई निःशुल्क शिक्षण संस्थायें व अस्पताल आदि चल रहे हैं। ब्रज में मीठे पानी की अत्यधिक किल्लत है परंतु प्रभु कृपा से इस आश्रम में मीठा पानी है। अत: यहाँ के निजी नलकूपों द्वारा निकटवर्ती ग्रामों में पाइप लाइन के द्वारा मीठे पानी की नि:शुल्क आपूर्ति की जाती है। बाबा की श्रमदान में अत्यधिक आस्था है। अतएव यहाँ उनके असंख्य अनुयायी श्रमदान करते नजर आते हैं। कुछ वर्ष पहले तक बाबा स्वयं भी श्रमदान किया करते थे। बाबा के अनुयायियों ने आगरा-दिल्ली राजमार्ग के पन्द्रह-पन्द्रह फुट गहरे गड्ढों को अपने श्रमदान द्वारा ही भरा था। आश्रम की लगभग 80 एकड़ भूमि पर बड़े ही आधुनिक तौर तरीकों से खेती होती है, जिससे आश्रम की भोजन व्यवस्था चलती है। बाबा स्वयं और उनके सभी शिष्य व सहयोगी फूंस की झोंपड़ियों में रहते हैं परंतु अतिथियों के लिए आधुनिक सुविधा संपन्न अतिथि गृह है। आश्रम में वृहद गौशाला, आटा चक्की, आरा मशीन , मोटर वर्कशॉप एंव बड़े-बड़े कई भोजनालय हैं।[सम्पादन]
नाम योग साधना मंदिर[सम्पादन]
बाबा जयगुरुदेव ने अपने आश्रम में अपने सदगुरुदेव ब्रह्मलीन श्री घूरेलाल जी महाराज की पुण्य स्मृति में 160 फुट ऊँचे नाम योग साधना मंदिर का निर्माण कराया हुआ है। सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर ताजमहल जैसा प्रतीत होता है। इस मंदिर की डिजाइन में मंदिर-मस्जिद का मिला-जुला रूप है। यह मंदिर समूचे ब्रज का सबसे ऊंचा व अनोखा मंदिर है। इस मंदिर में 200 फुट लंबा व 100 फुट चौड़ा सत्संग हॉल है, जिसमें लगभग साठ हज़ार व्यक्ति एक साथ बैठ सकते हैं। पूरा मंदिर स्वंयसेवियों के द्वारा बिना किसी प्रतिफल के श्रमदान से बना है। मंदिर के 'ताज' की ऊंचाई 21 फुट 6 इंच और व्यास 6 फुट है। 'ताज' में कुल 11 खंड हैं। जिनमें एक के ऊपर एक छोटे-बड़े 6 कलश एवं गुम्बद पर कमल का फूल रखा हुआ है। 'ताज' का मूल ढांचा तांबे से बना है और उस पर सोने की पर्त चढ़ी हुई है। इसमें कोई मूर्ति नहीं है और बाबा जयगुरुदेव के अनुयायी यहाँ योग साधना–पूजा करते हैं।
नि:शुल्क शिक्षा और चिकित्सा[सम्पादन]
बाबा जयगुरुदेव आध्यात्मिक साधना, मद्य निषेद, शाकाहार, दहेज रहित सामूहिक विवाह, वृक्षारोपण, नि:शुल्क शिक्षा, नि:शुल्क चिकित्सा आदि पर विशेष बल देते हैं। इन्हीं सबके निमित्त वह अपने देश के विभिन्न अंचलों की यात्राएं कर असंख्य व्यक्तियों को जाग्रत करते रहते हैं। बाबा ने मलेशिया, सिंगापुर , क्वालालम्पुर और नेपाल आदि की यात्राएं कीं।
जयगुरूदेव
This article "जय गुरुदेव मंदिर" is from Wikipedia. The list of its authors can be seen in its historical and/or the page Edithistory:जय गुरुदेव मंदिर.