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तुमैन मे माॅ विन्ध्यवासिनी,ञिवेणी आदि कई

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माँ विन्ध्यवासिनी मंदिर अति प्राचीन मंदिर है। यह अशोक नगर जिले से दक्षिण दिशा की ओर तुमैन (तुम्वन) मे स्थित हैं । यहाॅ खुदाई में प्राचीन मूर्तियाँ निकलती रहती है यह राजा मोरध्वज की नगरी के नाम से जानी जाती है यहाॅ कई प्राचीन दाश॔निक स्थलो में वलराम मंदिर,हजारमुखी महादेव मंदिर,ञिवेणी संगम,वोद्ध प्रतिमाएँ,लाखावंजारा वाखर,गुफाएँ आदि कई स्थल है तुमैन का प्राचीन नाम तुम्वन था। सन् 1970-72 में पुरातत्व विभाग के द्वारा यहाँ जव खुदाई की गई तव यहाँ 30 फुट नीचे जमीन मे ताँवे के सिक्को से भरा एक घडा मिला कई प्राचीन मूर्तियाँ और मनुष्य के डाॅचे एवं कई प्राचीन अवशेष यहाॅ से प्राप्त हुए। सभी अवशेषो को सागर विश्वविद्यालय मे कुछ गूजरी महल ग्वालियर मे रख दिए है। फिर भी यहाॅ कई प्राचीन मूर्तियाँ है जो तुमैन संग्रहालय मे है।वत॔मान मे आज भी अगर इस ग्राम की खुदाई की जाए तो यहाँ कई सारे प्राचीन अवशेष प्राप्त होगे। तुमैन ञिवेणी नदी का इतिहास- प्राचीन काल में अलीलपुरी जी महाराज रोज अपनी साधना के अनुसार स्रान करने के लिए पृयाग (इलावाद)जाया करते थे। एकदिन गंगा माई प्रशन्र हो गयी ओर वोली माँगो भक्त क्या चाहिए! माँअगर आप प्रशन्र है तो माँ मेरी कुटिया को पवित्र कर दीजिए गंगाजी तुमैन में गुप्त गंगा के नाम सेजानी गई ओर तीन नदियों का संगम हुआ उमिॅला,सोवत,अखेवर, आज भी जो लोग इलाहाबाद नहीं जा पाते वे तुमैन ञिवेणी में आकर गोता लगाते हैं मे हर वष॔ मकर संक्रांति पर मेले का आयोजन भी होता है तुमैन अपने इतिहास मे मशहूर है इसका लेख कितावो मे भी मिलता है। तुमैन मंदिरों के लिए भी जानी जाती है यहाँ जहाँ पर करो खुदाई वहां पर निकलती है मूर्तिया । तुमैन गाँव का वडा मंदिर विन्धयवासिनी मंदिर है। यह मंदिर वहुत ही पुराना है इस मंदिर में जो तोड़ फोड़ हुई मुगल साम्राज्य ओरंगजेव के समय पर हुई है। मंदिर का इतिहास वहुत ही पुराना है।विन्धयवासिनी मंदिर या तो उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में स्थित है या फिर मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले के 10km दूरी पर तुमैन गाँव मे स्थित है।

  • कविता के माध्यम से इतिहास- तुम्वन नगरी आय के, कर लीजे दो काम। प्रथम ञिवेणी स्नान कर, दूजे विंन्ध्यवासिनी धाम।। यह तुम्बन नगरी मिश्र, इसका इतिहास पुराना । इसका नाम जगत में ऊॅचा, करके हमे दिखाना।। यहॉ मोरध्वज का राज्य हुआ, विक्रम की वाणी पड़ी सुनाई, ताम्रध्वज के शासन ने यहा नई झलक दिखलाई। मोरध्वज ने अपने जीवन में सत्य धर्म अपनाया।। विक्रम ने भी यहॉ से जा उज्जेन में राज्य बनाया। उन विक्रम के नव-रत्न आज भी करता याद जमाना।। यह तुम्बन नगरी मिश्र, इसका इतिहास पुराना । चौसठ खम्ब विंध्यवासिनी का है मंदिर अति भारी फाटक पर बलदाऊ जी की मूरत वहुत प्यारी। भूतेश्वर का घाट मनोहर,है तोरन दरवाजा।। नदी बागो की शोभा न्यारी,जहाॅ मन्जह सकल समाजा।। ताम्रध्वज का किला मनोहर, जहॉ शिव सहस्त्र अस्थाना। यह तुम्बन नगरी मिश्र, इसका इतिहास पुराना । जब तुम्बन के आस - पास कही पक्के भवन नही थे। बडे़ प्रेम से हम दृढ भवनो में रहते थे।। बने हुये थे चोका चारो, होज भवन अति सुन्दर, रहता था भण्डार कला का हरदम, इसके अंदर। बुद्धि कला कौशल का इसमें भरा हुआ था खजाना ।। यह तुम्बन नगरी मिश्र, इसका इतिहास पुराना । विप्र वंश के वेद मंत्र यहॉ गूंजे सबके कानो में। शिव लिंगों के ढे़र रहे त्रिवेणी के मैदानों में घाट वाट चौपाल बने खंधक है भारी । इन्द्र भवन सौ सजी सभी चौपाले सारी।। गन्धर्व सेन को तन भस्म भयो तब नगरी धूल समाना ।। यह तुम्बन नगरी मिश्र, इसका इतिहास पुराना । है लाखा बंजारे की बाखर की ताजी गाथा। बैठा देव ने किया नगरी का अब भी ऊचॉ माथा।। सुना रहे है अब रो-रोकर यह सांची सांची गाथा। सब नगरिन से यह नगरी का है, आज भी ऊचॉ माथा।। है देवी दरवार महा तुम दर्शन,,करने आना। यह तुम्बन नगरी मिश्र, इसका इतिहास पुराना।।

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