You can edit almost every page by Creating an account. Otherwise, see the FAQ.

दर्शन परिषद्, बिहार

EverybodyWiki Bios & Wiki से
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

दर्शन परिषद्, बिहार

दर्शन परिषद्, बिहार का 41 वाँ वार्षिक अधिवेशन

(11-13 दिसंबर, 2018)

अधिवेशन स्थल : जे. डी. वीमेंस काॅलेज, पटना       

मुख्य विषय : 'शिक्षा, समग्र स्वास्थ्य एवं स्वच्छता : गाँधी दर्शन के संदर्भ'

====================

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दर्शन परिषद्, बिहार का 41 वाँ वार्षिक  अधिवेशन 11-13 दिसंबर, 2018 को पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना के प्रतिष्ठित जे. डी. वीमेंस काॅलेज, पटना में आयोजित किया गया। इसका मुख्य विषय 'शिक्षा, समग्र स्वास्थ्य एवं स्वच्छता : गाँधी दर्शन के संदर्भ' था। इस त्रिदिवसीय अधिवेशन के  उद्घाटन सत्र एवं समापन सत्र में कई सुप्रसिद्ध विद्वानों ने भाग लिया। इसके अलावा  दो समानांतर संगोष्ठियों एवं पाँच समानांतर विभागों  में लगभग तीन सौ आलेख प्रस्तुत किए गए। साथ ही पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का लोकार्पण और पुरस्कार वितरण आदि कई शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनमें भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् का समग्र जीवनोपलब्धि सम्मान वितरण समारोह प्रमुख है। बुक स्टाॅल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी अधिवेशन में चार चाँद लगाया। विभिन्न गतिविधियों की संक्षिप्त रिपोर्ट निम्नवत है-

1. उद्घाटन सत्र

उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सांसद, पूर्व कुलपति एवं सुप्रसिद्ध गाँधीवादी विचारक डाॅ. रामजी सिंह ने कहा कि जब भारत में नालंदा, विक्रमशिला एवं तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय थे, तो भारत दुनिया का विश्वगुरू था। यदि आज भारत को पुनः विश्वगुरू की प्रतिष्ठा दिलानी है, तो हमें शिक्षा-व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन लाना होगा। आज की शिक्षा में न तो जीवन है और न ही जीविका की गारंटी।


इस अवसर पर मुख्य अतिथि भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. एस. आर. भट्ट ने कहा कि बिहार दर्शन की उर्वर भूमि है।

दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना के सेवानिवृत्त आचार्य डाॅ. नरेश प्रसाद तिवारी अधिवेशन के  सामान्य अध्यक्ष के रूप में अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए प्राथमिक स्तर से नैतिक शिक्षा की पढ़ाई करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को सच्चा मनुष्य बनाना और उसकी आंतरिक क्षमताओं का विकास करना है। मनुष्य का सर्वांगीण विकास करना है।

परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. बी. एन. ओझा एवं महामंत्री डाॅ. श्यामल किशोर ने परिषद् की विकास यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया।  

इस अवसर पर परिषद् के सदस्य-सचिव डाॅ. रजनीश कुमार  शुक्ल, भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. जटाशंकर, प्रोफेसर डाॅ. इन्द्रदेव नारायण सिन्हा, डाॅ. रमेशचंद्र सिन्हा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत हरा पौधा, मोमेंटो एवं मधुबनी पेंटिंग वाला चादर देकर सम्मान किया गया। अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डाॅ. सुधा ओझा एवं आयोजन सचिव डाॅ. वीणा कुमारी ने किया। मंच संचालन डाॅ. नंदनी मेहता और डाॅ. रेखा मिश्र ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. मुकेश कुमार चौरसिया ने की।

लोकार्पण

इसके उद्घाटन समारोह में अधिवेशन की 'स्मारिका' एवं परिषद् की अर्द्धवार्षिक शोध पत्रिका 'दार्शनिक अनुगूँज' का विमोचन किया गया। दोनों का प्रकाशन 'सत्यम् पब्लिकेशन', पटना द्वारा किया गया है।

पटना विश्वविद्यालय, पटना के पूर्व प्रति कुलपति डॉ. जे. पी. सिंह की पुस्तक 'महाभारत एवं श्रीमद्भागवदगीता : एक समाजशास्त्रीय निरूपण' और डाॅ. सुधा ओझा द्वारा संपादित पुस्तक  'विकास एवं परिवर्तन : सामाजिक परिप्रेक्ष्य में' का भी लोकार्पण किया गया।

*पुरस्कार वितरण*

इसके अलावा कुछ पुरस्कार भी वितरित किए गए। इस वर्ष का प्रोफेसर डाॅ. सोहनराज लक्ष्मीदेवी तातेड़, जोधपुर (राजस्थान) लाईफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड दर्शनशास्त्र विभाग, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के सेवानिवृत्त आचार्य डाॅ. महेश सिंह को दिया गया। इसी नाम से एक दर्शनसेवी सम्मान पटना के शिवनाथ प्रसाद को दिया गया। इसके अलावा पिछले पांच वर्षों में प्रकाशित पुस्तक 'ए थिसिस आॅन ह्यूमन नेचर' को सर्वश्रेष्ठ पुस्तक का सम्मान दिया गया।

2. आईसीपीआर सम्मान समारोह

उद्घाटन समारोह के बाद पूर्व सांसद, पूर्व कुलपति एवं सुप्रसिद्ध गाँधीवादी विचारक प्रोफेसर डाॅ. रामजी सिंह को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित 'भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्', नई दिल्ली के प्रतिष्ठित *समग्र जीवनोपलब्धि सम्मान (2018-19)* प्रदान किया गया।

उन्हें इस सम्मान के तहत एक प्रशस्ति पत्र एवं एक लाख रूपए का चेक प्रदान किया गया।  

डाॅ. रामजी सिंह ने सम्मान राशि एक लाख में और भी दस हजार रुपए जोड़कर दर्शन परिषद्, बिहार को परिषद् का भवन बनाने हेतु दान देने की घोषणा की। परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. बी. एन. ओझा ने घोषणा की कि अगले वर्ष तक बिहार दर्शन भवन बनकर तैयार हो जाएगा।

सम्मान समारोह के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के पूर्व महामंत्री डॉ. अम्बिकादत्त शर्मा ने कहा कि रामजी सिंह का गाँधी सनातन गाँधी है।

आईसीपीआर के सदस्य-सचिव डाॅ. रजनीश कुमार शुक्ल ने 'प्रशस्ति पत्र' का वाचन किया।   

समारोह की अध्यक्षता आईसीपीआर, नई दिल्ली के अध्यक्ष डाॅ. एस. आर. भट्ट ने कहा कि रामजी सिंह गाँधी दर्शन   के साथ-साथ जैन दर्शन के भी बड़े विद्वान हैं। इनका सम्मान करके आईसीपीआर स्वयं सम्मानित हुआ है।

कार्यक्रम का संयोजन परिषद् के महामंत्री सह स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग, टी. पी. एस. काॅलेज, पटना के अध्यक्ष डाॅ. श्यामल किशोर ने कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन किया।

3. *व्याख्यान*

अधिवेशन में कुल 9 व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। इनमें *डाॅ. रामजी सिंह (पटना)* ने  'शिक्षा, समग्र स्वास्थ्य एवं स्वच्छता : गाँधी दर्शन के संदर्भ में' विषय पर विशिष्ट व्याख्यान दिया।  

*डाॅ. आई. एन. सिन्हा (पटना)* ने डाॅ. रामनारायण शर्मा बुजुर्ग विमर्श व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग ज्ञान के भंडार होते हैं। एक बुजुर्ग के निधन से एक पुस्तकालय का अंत हो जाता है।

*डाॅ. प्रभु नारायण मंडल ( भागलपुर)* ने सिया देवी माधवपुर (खगड़िया) स्मृति व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि हम किसी एक मूल्य या मूल्यों के समूह को सबों पर नहीं थोपें।  मूल्यों की बहुलता को स्वीकार करें। सभी मूल्यों के बीच समन्वय एवं सामंजस्य स्थापित करें।

*डाॅ. जटाशंकर (प्रयागराज)* ने व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि समग्र स्वास्थ्य और समग्र शिक्षा भारतीय चिंतन के मूल में विद्यमान है।

*डाॅ. आलोक टंडन (हरदोई)* ने श्रीप्रकाश दुबे स्मृति व्याख्यान के अंतर्गत 'संस्कृति और मानववाद' पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि संस्कृति निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।

*डाॅ. नीलिमा सिन्हा (बोधगया)* ने प्रोफेसर सोहनराज लक्ष्मीदेवी तातेड़, जोधपुर  व्याख्यान के तहत ' भूमंडलीकरण, मुंडेलीकरण एवं नवराष्ट्रवाद' पर अपने विचार प्रस्तुत किया।

*डॉ. सभाजीत मिश्र (गोरखपुर)* ने राधारमण प्रसाद सिन्हा स्मृति व्याख्यान दिया।

*डाॅ. महेश सिंह (आरा)* ने बेनी विश्व बाबूधान स्मृति व्याख्यान में योग के महत्व की चर्चा की।

4. *संगोष्ठी*

अधिवेशन में *'मंडन मिश्र एवं वाचस्पति मिश्र का भाषा दर्शन'* एक संगोष्ठी आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता आईसीपीआर, नई दिल्ली के सदस्य-सचिव डाॅ. रजनीश कुमार शुक्ल ने की। इसमें डाॅ. अम्बिका दत्त शर्मा (सागर) ने टिप्पणीकार की भूमिका निभाई। इसमें विभिन्न वक्ताओं ने इन दोनों दार्शनिकों के अवदानों को रेखांकित किया गया।

दूसरी संगोष्ठी *'दार्शनिक क्रिया और व्यावसायिक निपुणता'* विषय पर आयोजित हुआ। इसकी अध्यक्षता प्रोफेसर डाॅ. इंद्रदेव नारायण सिन्हा ने की। टिप्पणीकार की भूमिका प्रोफेसर डाॅ. प्रभु नारायण मंडल (भागलपुर) ने निभाई। महामंत्री डॉ. श्यामल किशोर ने बताया कि

इस संगोष्ठी का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत लोगों को दर्शन से जोड़ना और परस्पर संवाद कायम करना था।

इसमें सुप्रसिद्ध चिकित्सक डा. विनय ने कहा कि हमारी तात्विक स्थिति के संकट ने चिकित्सा शास्त्र को जन्म दिया। यह हर स्तर पर दर्शन के विवि

वरिष्ठ पत्रकार विकास कुमार झा ने कहा कि दार्शनिक चिंतन व्यावसायिक निपुणता को बढ़ावा देता है। दर्शन का ज्ञान हमारी कार्यकुशलता को बढ़ावा देता है।

संगोष्ठी में रमेन्द्र, राजेश कुमार सिंह, अमिता जायसवाल आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

6. *नई कार्यकारिणी का गठन*

अधिवेशन के दूसरे दिन 'परिषद्' की कार्यकारिणी एवं आमसभा की बैठक आयोजित की गई। इसमें नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। बी. डी. काॅलेज, पटना पूर्व प्रधानाचार्य, डॉ. बी. एन. ओझा को पुनः पांच वर्षों के लिए दर्शन परिषद्, बिहार का अध्यक्ष चुना गया है। तीन उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। इनमें डाॅ. निर्मला झा मुजफ्फरपुर, डाॅ. पुनम सिंह पटना एवं शैलेश कुमार सिंह, पटना के नाम शामिल हैं। डाॅ. श्यामल किशोर को पुनः महामंत्री की जिम्मेदारी दी गई है। पूर्व के सभी तीनों कोषाध्यक्षों डाॅ. किस्मत कुमार सिंह आरा, डाॅ पूर्णेंदु शेखर भागलपुर एवं डाॅ अवधेश कुमार सिंह पर पुनः भरोसा जताया गया है। मीडिया प्रभारी डाॅ. सुधांशु शेखर को मीडिया प्रभारी के अतिरिक्त संयुक्त सचिव की भी जिम्मेदारी दी गई है। आयोजन सचिव डाॅ वीणा कुमारी को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। डाॅ इंद्रदेव नारायण सिन्हा एवं डाॅ. नागेन्द्र मिश्र को पुनः क्रमशः प्रधान संपादक एवं कार्यकारी संपादक की जिम्मेदारी दी गई है।

7. *समपन सत्र*

अधिवेशन के तीसरे दिन 13 दिसंबर को समापन समारोह आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता  पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना कुलपति प्रोफेसर डाॅ. गुलाबचंद राम जयसवाल ने की। उन्होंने कहा कि दर्शन सभी विषयों की जननी है और इसमें सबका सार निहित है। दर्शन के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।

कुलपति ने कहा कि प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के पाठ्यक्रम में भारतीय दर्शन को शामिल किया जाए। उन्होंने विश्वविद्यालय में एक अंतरराष्ट्रीय दर्शन केन्द्र के स्थापना की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि हम आधुनिक की अंधिदौड़ में अपने दर्शन एवं संस्कृति को भूल गए हैं। यही हमारी दुर्गति का कारण है। इसलिए हमें पुनः अपने दर्शन को जीवन में उतारना होगा। बाहरी विकास से काम नहीं चलेगा। हमें अपना आतरिक विकास करना है।

पूर्व सांसद, पूर्व कुलपति एवं सुप्रसिद्ध गाँधीवादी विचारक डाॅ. रामजी ने कहा कि जहाँ दर्शन जीवित रहता है, वह राष्ट्र जीवंत रहता है। जिस देश का कोई जीवन-दर्शन नहीं होता है, उस राष्ट्र का कोई भविष्य नहीं है। यदि जीवन में दर्शन का संस्पर्श हो जाए, तो जीवन देवत्व की ओर अग्रसर होता है।

उन्होंने कहा कि यदि वे शिक्षा मंत्री होते, तो प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के सभी कक्षाओं में दर्शनशास्त्र को एक अनिवार्य विषय बना देते।  

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति श्री राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि दर्शन सनातन है। दर्शन का मतलब है, अपने आपको जानना और विचारों को जीवन में उतारना।

उन्होंने कहा कि हम शिक्षा को जीवनयापन से अवश्य जोड़ें, लेकिन इसके साथ ही इसे जीवन से भी जोड़ें।

मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर की प्रति कुलपति डॉ. कुसुम कुमारी ने कहा कि दर्शन को समाज एवं राष्ट्र से जोड़ा जाए। जीवन मूल्यों को जीवन में अपनाया जाए।

इस अवसर पर उत्तर भारत दर्शन परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. सभाजीत मिश्र, बिहार दर्शन परिषद् के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. प्रभु नारायण मंडल, सामान्य अध्यक्ष डाॅ. नरेश प्रसाद तिवारी, अध्यक्ष डाॅ. बी. एन. ओझा, महामंत्री डॉ. श्यामल किशोर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत हरा पौधा, मोमेंटो एवं मधुबनी पेंटिंग वाला चादर देकर सम्मान किया गया। अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डाॅ. सुधा ओझा एवं आयोजन सचिव डाॅ. वीणा कुमारी ने किया। मंच संचालन डाॅ. नंदनी मेहता और डाॅ. रेखा मिश्र ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. पुनम सिंह (पटना) ने किया। उन्होंने अधिवेशन के आयोजन में सहयोग हेतु भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् के अध्यक्ष, सदस्य-सचिव एवं सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया गया।

*पुरस्कार वितरण*

अधिवेशन में पांच विभागों यथा-तत्वमीमांसा, तर्क एवं वैज्ञानिक विधि, समाज दर्शन, धर्म दर्शन एवं नीति दर्शन में आलेख प्रस्तुत किए गए। सभी  पांच विभाग में 35 वर्ष से कम उम्र के युवा लोगों द्वारा प्रस्तुत श्रेष्ठ आलेखों पर जे. एन  ओझा स्मृति युवा पुरस्कार (1000 रू) से नवाजा गया। इनमें  अंजिला (मुजफ्फरपुर, कुमारी प्रतिभा सिंह पटना, डाॅ प्रियंका तिवारी जहानाबाद, मनीष कुमार चौधरी पटना हेमचंद्र कुमार मधुबनी के नाम शामिल हैं।

साथ ही पांचों  विभागों के एक-एक सर्वश्रेष्ठ आलेख को डाॅ. विजयश्री स्मृति युवा पुरस्कार (1000 रू) प्रदान किया गया। इनमें पूनम कुमारी, रांची, सतीश कुमार, पटना, डाॅ. मो. जियाऊल हसन, पटना, डाॅ कूमारी सुमन, पटना, डाॅ विनोद कुमार सिंह, आजमगढ़ के नाम शामिल हैं।

इसके साथ ही सभी विभागों में  सर्वश्रेष्ठ आलेख को प्रोफेसर सोहनराज लक्षमीदेवी तातेड़, जोधपुर (राजस्थान) पुरस्कार (2000 रू) भी दिया गया। यह पुरस्कार जे. डी. वीमेन्स कॉलेज, पटना के डाॅ. मुकेश कुमार चौरसिया को प्रदान किया गया।इस अवसर पर सभी उपस्थित नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसरों को भी  सम्मानित किया गया।

8. *बुक स्टाॅल*

अधिवेशन में तीनों दिन दर्शना पब्लिकेशन, भागलपुर और मोतीलाल बनारसी दास, पटना द्वारा  बुक स्टाॅल लगाया गया।   

9. *सांस्कृतिक कार्यक्रम* अधिवेशन के दौरान 11-12 दिसंबर की संध्या में  सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें लोकगीत, भजन, भरत नाट्यम् आदि की प्रस्तुति हुई।


This article "दर्शन परिषद्, बिहार" is from Wikipedia. The list of its authors can be seen in its historical and/or the page Edithistory:दर्शन परिषद्, बिहार.



Read or create/edit this page in another language[सम्पादन]