पलेश्वर नाथ मंदिर
पालेश्वर नाथ मन्दिर
(दुर्जन पुरवा )
चित्रकूट
चित्रकूट, प्रकृति की गोद में एक ऐसा स्थान है जहाँ स्वर्ग सी अनुभूति होती है| भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में वैसे तो न जाने कितने ही मनोहारी स्थल हैं जिनका दृश्यावलोकन करने के बाद आँखों में यकीन नहीं होगा कि कुदरत ने अपनी नियामत बुन्देलखण्ड में भी खूब बख्शी है| चित्रकूट के इन्हीं मनोहारी स्थलों में से एक है, पालेश्वर नाथ मन्दिर| यहाँ पहुंचकर मानों स्वर्ग सी अनुभूति होती है||
मन्दिर -
भारत की प्राचीन स्थापत्य कला में मन्दिरों का विशिष्ट स्थान है। भारतीय संस्कृति में मन्दिर निर्माण के पीछे यह सत्य छुपा था कि ऐसा धर्म स्थापित हो जो जनता को सहजता व व्यवहारिकता से प्राप्त हो सके। इसकी पूर्ति के लिए मन्दिर स्थापत्य का प्रादुर्भाव हुआ। इस मन्दिर में भगवान शंकर की प्रतिमा स्थापित है|
यह मन्दिर उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट जिले के ग्राम मऊ के दुर्जन पुरवा नामक स्थान पर स्थित है| यह मन्दिर बहुत प्राचीन है| ऐसा माना जाता है कि इस स्थान का सम्बन्ध मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के समय से सम्बन्धित है| यहाँ पर छोटी-छोटी पहाड़ियों के बीच यह मन्दिर स्थित है| मन्दिर एक छोटी सी पहाड़ी पर लगभग 40 से 45 मी० की ऊँचाई पर स्थित है| मन्दिर तक पहुँचने के लिए दो तरफ से सीढियाँ बनी हुई हैं| मन्दिर के सामने की ओर से लगभग 30 सीढियाँ और मन्दिर के पीछे की ओर से लगभग 40 सीढियाँ बनी हुई हैं| मन्दिर के आस-पास बहुत सारे पेड़ लगे हुए हैं जिनमें करधवा के पेड़ प्रमुख हैं| मन्दिर के बिल्कुल बगल से कॉपर का पेड़ है जो बहुत विशाल है|
प्राथमिक विद्यालय, दुर्जन पुरवा
मन्दिर परिसर के पास में ही प्राथमिक विद्यालय व उच्च प्राथमिक विद्यालय, दुर्जनपुरवा स्थित है| यहाँ पर रहने वाले पुजारियों के रहने के लिए 2 कमरों का निर्माण कराया गया है| मन्दिर के पुजारियों से बात करने पर पता चला कि यहाँ के पुजारियों के साथ-साथ आने वाले श्रद्धालुओं को सभी सुविधाएं प्राप्त होती हैं| इस मन्दिर की परिक्रमा के लिए मार्ग का निर्माण किया गया है|
पालेश्वर नाथ मन्दिर के परिसर में माघ की पूर्णमासी से लेकर महाशिवरात्रि तक 15 दिवसीय मेला भी लगता है फिर भी श्रद्धालुओं में वही आस्था और उत्साह देखने को मिलता है| यह मेला माघ की पूर्णमासी से लेकर महाशिवरात्रि तक लगता है| मेले के प्रारम्भ में कीर्तन का आयोजन किया जाता है|
, जिसमें दैनिक उपयोग की वस्तुओं से लेकर खाने-पीने की, खिलौनों की, लकड़ी,पत्थर,लोहे से निर्मित वस्तुओं की भी बिक्री होती है| इस मेले के प्रबंधन हेतु एक कमेटी का भी गठन किया गया है|
इस मन्दिर के बिल्कुल बगल से एक चट्टान रखी हुई है जिसके ऊपर 3 छोटे-छोटे पत्थर रखे हुए हैं| इन पत्थरों को चट्टान से बजाने पर विभिन्न प्रकार की आवाजें आती हैं| इसी कारण से लोगों में इस मन्दिर के प्रति आस्था और भी गहरी हो चुकी है|
इसी मन्दिर के परिसर में ही कई अन्य मूर्तियाँ भी रखी हुई हैं जिनमें से कुछ मूर्तियाँ बहुत सुन्दर हैं| यहाँ पर भगवान शंकर की मन्दिर प्रमुख है| आस-पास जो मूर्तियाँ रखी हुई हैं लोग उनकी भी पूजा करते हैं|
मूर्ति
इसी परिसर में ही कापर का एक विशाल वृक्ष है जो काफी पुराना प्रतीत होता है| लोग इस वृक्ष में भी आस्था के कारण जल अर्पण
करते हैं| इसी पीपल के वृक्ष के नीचे परमवीर भगवान श्री हनुमान जी की भी एक प्रतिमा रखी हुई है| मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी के दर्शन के लिए भी यहाँ भीड़ लगती है|
यहाँ पर रहने वाले पुजारियों के रहने के लिए 2 कमरों का निर्माण कराया गया है| मन्दिर के पुजारियों से बात करने पर पता चला कि यहाँ के पुजारियों के साथ-साथ आने वाले श्रद्धालुओं को सभी सुविधाएं प्राप्त होती हैं| इस मन्दिर की परिक्रमा के लिए मार्ग का निर्माण किया गया है|
फि र भी श्रद्धालुओं में वही आस्था और उत्साह देखने को मिलता है| यह मेला माघ की पूर्णमासी से लेकर महाशिवरात्रि तक लगता है| मेले के प्रारम्भ में कीर्तन का आयोजन किया जाता है|
मन्दिर परिसर में आस्था के कारण लोग इस मन्दिर की लेटकर परिक्रमा करते हैं| मन्दिर परिसर के चारों ओर छोटी-बड़ी चट्टानें हैं| इस मन्दिर परिसर के पेड़ों को काटा नहीं जाता
पालेश्वर नाथ मन्दिर
अक्षांश देशांतर
25°32'76'' पूरब 80°96'88''उत्तर
अवस्थिति
यह मन्दिर उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट जिले के ग्राम मऊ के दुर्जन पुरवा नामक स्थान पर स्थित है| यहाँ पहुँचने के लिए डॉ तरफ से रास्ते हैं|
पहला मार्ग - ओरन फिर नांदन मऊ तत्पश्चात लमेहटा पुलिस चौकी होते हुए दुर्जनपुरवा पहुँचा जा सकता है|
दूसरा मार्ग - अतर्रा-चौसड़ हाइवे से होते हुए इस मन्दिर तक पहुंचा जा सकता है|
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