बांदा मीणा
ढूंढाड़ पर प्राचीन काल से ही मीणा लोगों का शासन था। बाद में धोखे से यहां कच्छवाहा राजपुतो ने अपना शासन स्थापित कर लिया। परंतु स्वच्छंद प्रवृत्ति की मीणा जाति अपना राज्य वापस पाने के लिए संघर्ष करती रही और उनके कई छोटे नगर बचे हुए थे।
उन्हीं में से एक नरेठ नाम का राज्य था जिसकी राजधानी नाहन नगर था यहां गोमलाडू वंश के मीणा राज करते थे।
यहां आमेर के राजा भारमल के समय राव बांदा मीणा राज किया करता था। जिससे आस पास के सभी राजपूत और आमेर तक के राजा खौफ खाते थे। उन्होंने एक कई बार अकबर बादशाह से भी कर वशुल कर लिया था।
भारमल ने बांदा मीणा के डर से ही अकबर से संबंध स्थापित किया था।अकबर के साथ मिलकर भारमल ने नाहन का विनाश कर दिया और वहां लवान नामक नगर स्थापित किया और बांदा मीणा का खजाना आमेर और दिल्ली ने आपस में बांट लिया।
तभी से यह कहावत प्रसिद्ध हो गई
"बावन कोट छप्पन दरवाजा, मीणा मरद नाहन का राजा
बुडो राजो नाहन को, जद भूस सु वाटो मंग्यो।"
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