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मधुरोत

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मधुवंशी /मधुरौठ /मँझरौठ /मथुरौठ - ये शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची है। ये बिहार के यादव (अहीर) जाति की एक पवित्र एवं प्राचीन शाखा में से एक हैं।इतिहास की तारीखों के अनुसार इन मधुवंशी (मँझरौठ) यादव क्षत्रियों का ख़ानदानी सिलसिला बृज के मथुरा ,वृंदावन और उससे सटे हुए पूर्वी राजपूताना (राजस्थान) के इलाकों से शुरू हुआ। मथुरा से निकास के कारण ही इनका गोत्र मथुरौठ अथवा अपभ्रंश हो कर मँझरौठ कहा जाता है । इनके आदि पुरुष महाराजा मधु यादव के नाम से ये मधुवंशी अथवा मथुरौठ (मँझरौठ) कहलाते हैं। द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण के पूर्वज और यदु की पीढ़ी में जन्मे प्रतापी महाराजा मधु ने ही मधुरा (मथुरा) राज्य की स्थापना करी थी । यदुवंशी क्षत्रियों को वैदिक क्षत्रिय माना जाता है ।इन यदुवंशी क्षत्रियों का शूरसेन नामक राज्य स्थापित था जिसकी राजधानी मधुरा अर्थात मथुरा थी । यदुवंशी महाराज मधु के प्रताप के कारण ही द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण महाराज को माधव कहा जाता है। कालांतर में मधुवंशी यादव बृज के मथुरा , वृंदावन और इससे सटे पूर्वी राजस्थान के भरतपुर ,कारौली ,धौलपुर आदि इलाकों से विस्थापित होकर पूरब दिशा की ओर बढ़े और बिहार के उत्तरी इलाकों में अपने आदि पुरुष महाराज मधु के नाम पर मधुबनी, मधेपुरा के इलाके आबाद किए। महाराज यदु के वंश में आगे चलकर एक महान प्रतापी राजा मधु हुए जिनके कारण ही यादवों की इस पवित्र शाखा को मधुवंशी यादव कहा जाने लगा। कालांतर में यही मधुुुवंशी शब्द अपभ्रंश होकर मथुरौठ अथवा मँँझरौठ कहलाया। भगवान श्री कृष्ण को भी महाराजा मधु के प्रताप के कारण ही माधव कहा जाता है। बिहार में मँझरौठ (मथुरौठ) यादवों की नजरगंज रियासत , मुरहो और रानीपट्टी जमींदारी जैसी बड़ी ज़मींदारियाँ रही हैं।बिहार में मँझरौठ यदुुवंशी केे बारे में एक मशहूर कहावत है की - रोम पोप का मधेपुरा गोप का।बिहार में मँझरौठ / मथुरौठ / मधुवंशी यादवों की बहुसंख्यक आबादी उत्तर बिहार के सारण (छपरा), चम्पारण, सिवान,गोपालगंज, मधुबनी, सहरसा, अररिया , पूर्णिया ,खगड़िया ,मधेपुरा ,समस्तीपुर, बेगूसराय,दरभंगा , मुज़फ्फरपुर, वैशाली , सुपौल , शिवहर आदि ज़िलों में निवास करती है ।

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कृष्णौत या कृष्णवत् : बिहार की प्रमुख यादव जाति की एक उप-शाखा है कृष्णौत यादव ,ये शब्द कृष्ण + उत से बना है जिसका अर्थ कृष्ण से उत्पन्न। ये जाति पूरे बिहार में पायी जाती है। ये लोग खेती तथा दुग्ध पालन का मुख्यरूप से कार्य करते हैं। कृष्णौत लोग अपनें ही शाखा में शादी करते हैं और यदि कोई कृष्णौत में शादी न करके दूसरी उप शाखा मे शादी करता है तो उस शादी को सखा-तोड़ शादी कहा जाता है यही नही अगर कोई कृष्णौत दुसरे जाति में शादी करता है तो उसे व्यक्ति को चौठाहा कहा जाता है और उन लोगों को जाति से बाहर कर दिया जाता है। इस कट्टरता के कारण लोग उन्हें मुसलमानों के समान कट्टर मानते हैं क्योकि कृष्णौत खून के रिश्तों को छोड़कर किसी भी रिश्तेदार से शादी कर सकते हैं । उनका मानना है कि अपनी जाति में दूसरी जाति के खून को शामिल नहीं किया जा सकता। माना जाता है कि सखा-तोड़ ही सखावत और चौठाहा चौहान हो गये।

कन्नौजिया : कन्नौजिया यादव बिहार की प्रमुख यादव जाति की एक उप - शाखा है। कन्नौजिया यादवों का उद्भव प्राचीन कन्न्नौज राज्य से है । कन्नौजिया यादवों की बहुसंख्यक आबादी बिहार के सारण, सिवान ,गोपालगंज, बेतिया ,मोतिहारी, मुज़फ्फरपुर,शिवहर , समस्तीपुर, सुपौल ,वैशाली, उप्र के बलिया ,गाज़ीपुर ,देवरिया ,कुशीनगर, मऊ ,आज़मगढ़ ,वाराणसी आदि ज़िलों में निवास करती है ।

  • द्रौपदी  : महाभारत की एक मुख्य पात्रा, पाण्डवों की एक पत्नी। श्रीकृष्ण ने उन्हें अपनी मुँहबोली बहन माना था और यह नाम दिया था।
  • कृष्णा नदी : दक्षिण मध्य भारत की एक नदी।
  • श्रीकृष्णा कृष्णा (टीवी धारावाहिक) रामानंद सागर द्वारा निर्मित और निर्देशित धार्मिक धारावाहिक
  • कुन्ती : महाभारत की एक मुख्य पात्रा ,पाण्डव भाइयों की माता एवं भगवान श्रीकृष्ण की सगी बुआ ।

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