महाराजा भारद्वाज
महाराजा भारद्वाज (भरद्वाज)
भारशिव वंश के महाराजा भारद्वाज अवध के शासक थे। महाराजा भारद्वाज के शासनकाल का निर्धारण करना बड़ा जोखिम भरा कार्य है। फिर भी उनके विषय मे जो कुछ मुझे ऐतिहासिक तथ्य प्राप्त हुये है उनके आधार पर विवरण प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हु। यह सर्व विदित है की अवध क्षेत्र मे भर जाती की प्रधानता प्रागैतिहासिक काल से ही थी। वे अवध से लेकर नेपाल की सीमा तक फैले हुये थे। टालमी ने जो भारत का मानचित्र अपने प्रवास के दौरान बनाया था तथा जिसका प्रकाशन “इंडियन एंटीक्वयरि” (Indian antiquary vol XII (1884) मे वर्गीज़ द्वारा किया गया है। उसके अनुसार भरदेवती आज का भरहुत है जिसे भरो ने बसाया था। इसकी संपुष्टि जनरल कनिंघम ने (“आर्कियोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया” वाल्यूम IX पेज 2-4 तथा वाल्यूम XX पेज 92)” मे किया है। “बंगाल एशियाटिक जनरल, वाल्यूम XVI परिशिष्ठ पृष्ट 401-416 मे भी इस तथ्य को स्वीकार किया गया है। प्राचीन समय से ही अवध पर भरो का अधिकार रहा है। देखे “गजेटियर आफ की प्रिविंस आफ अवध” वाल्यूम II(1877)( पृष्ट-353-55)
महाराजा भारद्वाज उसी काल मे भारशीवो मे एक प्रबल शासक थे। उसी विषय मे एक कहानी प्रचलित है जो यहा बताना उचित समझ रहा हु। भारत के प्राचीनतम नगरो मे अवध की पहचान होती है इस नगर को बसाने वाले देश के मूल लोग ही थे। इस बात के अनेक प्रमाण उपलब्ध है की यहा के प्रबल शासक भर जाती के लोग रह चुके है। श्री रामचन्द्र के पहले भी यहा भरो का विस्तृत साम्राज्य था। प्राचीन अयोध्या को सूर्यवंशियों ने ध्वस्त कर डाला जिसे यहा की मूल जातियो के लोगो ने बसाया था। सूर्यवंश के पाटन के बाद अयोध्या पुनः भरो के अधिकार क्षेत्र मे आ गया। इस आशय का वर्णन सर सी इलियट ने अपने ग्रंथ “क्रनिकल्स आफ उन्नाव’ मे विस्तृत रूप मे किया है। “इंडियन एंटीक्वयरि” संपादक जैस वर्गीज़ (1872) मे “ आन दी भर किंगस आफ ईस्टर्न अवध” नामक शीर्षक मे गोंडा का बी.सी.एस. अंग्रेज़ अधिकारी डब्ल्यू सी बेनेट कहता है की अवध के पूरब मे चार सौ वर्ष तक (1000 से 1400 ईस्वी) भरों का साम्राज्य था। इसी तरह का वर्णन फरिस्ता रेकार्डो मे भी मिलता है। जो “तबकत-ई-नसीरी” मे भी मिलता है। प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित (1971 ईस्वी), हमारे देश के राज्य उत्तर प्रदेश” के पृष्ट 16 एवं 17 पर अंकित है की सन 1194 से 1244 ईस्वी तक अवध पर भरो का साम्राज्य था। अवध क्षेत्र मे भरो की बहुलता के कारण श्रावस्ती पर सुहेल देव (1027-1077) तथा उनके वंशजो ने बहुत दिनो तक साम्राज्य स्थापित किया। देखे (हिस्ट्री आफ बहराइच, पृष्ट 116-117; आईना मसुदी, तरजुमा मिराते मसुदी, पृष्ट 78, संहारिणी चालीसा, पद्ध 40-40: डिस्ट्रिक्ट गजेटियर-लखनऊ, वाल्यूम 37, पृष्ट 138) भारद्वाज नामक भरशिव वंश ने इसी अवध तथा गोरखपुर क्षेत्र पर अपना राज्य स्थापित किया। तत्पश्चात उसका उत्तराधिकारी सुरहा नामक शासक हुआ।
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