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मां भवानी देवी मंदिर कुशीनगर

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मल्ल राजाओं की कुलदेवी (माता भगवती मंदिर, बुद्धा स्थल)

प्राचीन काल में कुशीनगर मल्ल महाजनपद गणराज्य के एक शाखा की राजधानी थी और यहीं मल्लों का संस्थागार भी था।[१]

ऐसी मान्यता है कि रामाभार स्तूप के बगल में जिस प्राचीन हिरण्यवती नदी के किनारे भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार हुआ था, उसके ठीक बगल में मल्ल राजाओं की कुल देवी का भी स्थान था, जो आज माँ भवानी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां होने वाले राजा अर्थात युवराजों का मुकुट बंधन जैसा पवित्र संस्कार इसी स्थान पर कराया जाता था।[२]

पुरातात्विक दृष्टिकोण से उपेक्षित इस मंदिर में वर्षों से पूजा-पाठ होती रही है। चैत्र मास की रामनवमी के दिन यहां एक विशाल मेला का आयोजन किया जाता है जिसमें भाग लेने व मन्नौती मांगने के लिए श्रद्धालु काफी दूर-दूर से आते हैं।[३][४]

हाल के दिनों में इस मंदिर का पुनर्निर्माण युवा समाजसेवी व श्रद्धालु अक्षय पांडेय के द्वारा कराया गया है। शैलानियों का कहना है कि, पुनर्निर्माण के बाद शक्तिपीठ का प्राँगण और भव्य एवं सुंदर हो गया है।[५]


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