You can edit almost every page by Creating an account. Otherwise, see the FAQ.

मौलाना क़ासिम ननौतवी

EverybodyWiki Bios & Wiki से
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

हुज्जतुल इस्लाम हजरत मौलाना क़ासिम नानौतवी या इमाम मोहम्मद क़ासिम नानौतवी (जन्म: १८३२, देहावसान: १८८०), उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जिला सहारनपुर केदेवबंद नगर में स्थित विश्व प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद के संस्थापक हैं। इन्हें इमाम शाह वलिउल्लाह देहलवी की शास्त्रीय इस्लामी परम्परा का अन्तिम वाहक माना जाता है, तथा भारत में इस्लामी परम्परायों के उत्थान के लिए किए गए कार्यों के लिये वे भारत में मुजद्दिद अल्फ सानी (सौलहवीं सदी) तथा शाह वलिउल्लाह देहलवी (अठारहवीं सदी) के बाद तीसरे इस्लामी उद्धारक (मुजद्दिद) के रूप में जाने जाते हैं।

देवबंद की स्थापना[सम्पादन]

इमाम मोहम्मद क़ासिम नानौतवी का सबसे बड़ा कार्य इस्लामी धर्म शास्त्र के अध्यापन के लिए दारूल उलूम देवबंद की स्थापना है। १८६७ में दारूल उलूम की स्थापना से पूर्व इमाम क़ासिम नानौतवी ने दिल्ली में शाह वलीउल्लाह दहलवी के इस्लामी शिक्षण केंद्र में उनके अंतिम इल्मी वारिस शाह अब्दुलगनी मुजद्दिदी से हदीस का ज्ञान प्राप्त किया था। शाह अब्दुल गनी मुजद्दिदी दिल्ली से मदीना की ओर सदा के लिए प्रस्थान कर गए थे जिससे इमाम शाह वलीउल्लाह के इस्लामी ज्ञान का दिल्ली स्थित केंद्र भी सदा के लिए बंद हो गया था। इमाम मोहम्मद क़ासिम नानौतवी ने दिल्ली में शाह अब्दुल गनी से ज्ञान प्राप्ति के पश्चात अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह का बिगुल बजाया और शामली के मैदान में अपने कुछ साथियों के साथ अंग्रेजी फौज का मुकाबला किया। परंतु अंग्रेज सरकार जो दिल्ली में सत्तासीन हो चुकी थी हर विद्रोह को बेदर्दी से कुचल रही थी, मुख्यतः उनके निशाने पर इस्लामी उलमा सबसे अधिक थे। इमाम मोहम्मद क़ासिम ननौतवी और उनके साथियों द्वारा लड़े गए युद्ध ने कई अंग्रेज सैनिकों को मौत के घाट तो उतार दिया था पर यह युद्ध पूर्णतः सफल नहीं हुआ। अंत में इमाम नानौतवी को कई अन्य स्थानो पर शरण लेनी पड़ी थी। उधर अंग्रेज सरकार के इस्लामी ज्ञान के अधिकतर संस्थानो को समाप्त किए जाने और मुसलमानों के बीच ईसाई धर्म का प्रचार किए जाने से क्षुब्ध इमाम मोहम्मद क़ासिम नानौतवी ने इस्लामी धर्म शास्त्र तथा अपने अध्यात्मिक गुरु इमाम शाह वलीउल्लाह के इस्लामी बौद्धिक तथा धर्म शास्त्रीय विरासत की पूर्ण रक्षा के लिए हाजी आबिद हुसैन साहब के साथ मिल कर देवबंद में मई १८६७ में मदरसा अरबी इस्लामी देवबंद की नींव रखी। बाद में यह मदरसा विश्वविख्यात इस्लामी विश्वविधयालय के रूप में दारूल उलूम देवबंद के नाम से जाना जाता है।ा

सन्दर्भ[सम्पादन]

बाहरी कड़ियाँ[सम्पादन]


This article "मौलाना क़ासिम ननौतवी" is from Wikipedia. The list of its authors can be seen in its historical and/or the page Edithistory:मौलाना क़ासिम ननौतवी.



Read or create/edit this page in another language[सम्पादन]