योगर्षि
योग ऋषि किसे कहा जाता है योगर्षि
योगर्षि केवल परमात्मा को कहा जाता है फिर भी संत महात्मा द्वारा योग क्रियाएं योग शास्त्र में बताई गई है जबकि योग क्रिया द्वारा प्रत्येक व्यक्ति व मनुष्य को निरोग बा लंबी उम्र प्रदान की जा सकती है क्योंकि यह परमात्मा का वरदान है कि प्रत्येक व्यक्ति या मनुष्य योग क्रिया करके अमरत्व प्रदान कर सकता है योग का शाब्दिक अर्थ है किकिसी समय विशेष को अपने बस में या अपने अधीन करना योग क्रिया द्वारा किसी भी युग नियम या अन्य किसी भी प्रकार का तंत्र को योगिनी क्रियाओं में या तंत्र प्रक्रियाओं में उपयोग की जाती है वह योग द्वारा ही सक्षम है अतः भगवान शिव शंकर द्वारा भी आनंद समाधि में लीन रहने की विधि योग क्रिया है जिसके जिस के अनुरूप भगवान शिव शंकर कई युगों तक समाधि में लीन रहकर अमरत्व प्रदान किए हुए हैं अतः योग क्रिया द्वारा व्यक्ति अपनी जीवन आयु बढ़ा सकता है इसी पद्धति पर ऋषि मुनि वह संत महात्माओं द्वारा प्रयोग में लाया गया है योग पद्धति से मनुष्य का शारीरिक व मानसिक विकास होता है योग एक साधना है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने आप को निरोग महसूस करता है यह विधि शास्त्र द्वारा योग शास्त्र विधि में वर्णित है यह विधि कई वर्षों से प्रचलित है
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