राजेश रावत
शहीद राजेश रावत भारत के एक उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी थे। आन्दोलन के दौरान पुलिस के हाथों उन्हें अपनी जान गँवानी पड़ी।
राजेश रावत का जन्म उत्तराखण्ड (जो कि उस समय उत्तर प्रदेश का हिस्सा था) के रुद्रप्रयाग ज़िले में हुआ था। छात्र जीवन से ही वे राजनीति में सक्रिय थे। बाद में वे पृथक उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण आन्दोलन से जुड़ गये।
श्रीनगर शहर से २ कि०मी० दूर स्थित श्रीयन्त्र टापू पर आन्दोलनकारियों ने ७ नवंबर, १९९४ से पृथक उत्तराखण्ड राज्य हेतु आमरण अनशन आरम्भ किया। १० नवंबर, १९९४ को पुलिस ने इस टापू में पहुँचकर अपना क़हर बरपाया, जिसमें कई लोगों को गम्भीर चोटें भी आई, इसी क्रम में पुलिस ने दो युवकों यशोधर बेंजवाल तथा राजेश रावत को राइफ़लों के बट और लाठी-डण्डों से मारकर अलकनन्दा नदी में फेंक दिया और उनके ऊपर पत्थरों की बरसात कर दी, जिससे इन दोनों की मृत्यु हो गई। इन दोनों शहीदों के शव १४ नवंबर, १९९४ को बागवान के समीप अलकनन्दा में तैरते हुये पाये गये थे।
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