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राशि स्वरूप

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श्चक्र या आकाश मण्डल में 360 अंश होते है , जैसे कि एक वृत में होते है । इसे 12 राशियों तथा 27 नक्षत्रों में विभाजित कर दिया गया है । एक राशि में 30 अंश होते है , एक अंश में 60 कला तथा तथा विकला होती है । बारह राशियां तथा उनके स्वरूप इस प्रकार है ।

1॰ मेष :- मेष राशि पुरुष संज्ञक, चर , अग्नितत्व , मस्तक का बोध करानेवाली , पूर्व दिशा की स्वामी, लाल पीले वर्णवाली , विश्मोदयी अर्थात तिरछी उदय होने वाली होती है । इस राशि के तारों को मिलाकर यदि काल्पनिक रेखा खींची जाये तो मेंढे का रूप बनता है । यह राशि कालपुरुष का मस्तक है । इसका स्वामी मंगल है ।

2॰ वृशभ :- वृशभ का अर्थ है  बैल या सांड । यह स्त्री संज्ञक है । स्थिर भूमितत्व , दक्षिण दिशा की अधिपति भवेतरंग भीत गुण , विशमोदयी , कालपुरुष का यह मुख है । इस राशि का स्वामी शूक्र है ।

3॰ मिथुन :- मिथुन का अर्थ है स्त्री पुरुष  का जोड़ा । यह पुरुष संज्ञक राशि , द्विस्वभाव विशमोदयी , गरम मिजाज , माध्यम कामुक पश्चिम दिशा की स्वामिनी हारा रंग इसकी पहेचान है । काल पुरुष की यह राशि बहू है , इसका स्वामी बुध है ।

4॰ कर्क :- कर्क का अर्थ है केकड़ा । यह स्त्री संज्ञक राशि है । चर राशि , लाली लिये हुये  गोरा वर्ण कम बोलने वाली । उत्तर दिशा की स्वामिनी  यह कालपुरुष का वक्ष है । इस राशि का स्वामी चंद्रमा है ।

5॰ सिंह :- सिंह का अर्थ है भोर । अग्नि तत्व राशि पुरुष संज्ञक, स्थिर राशि । ऊषण स्वभाव मजबूत शरीरी , ऊंची आवाज स्थिर राशि है । काल पुरुष ह्रदय है । इसका स्वामी सूर्य है । पूर्व दिशा की स्वामिनी है ।

6॰ कन्या :- कन्या का अर्थ है अविवाहित बालिका । स्त्री  संज्ञक राशि द्विस्वभाव दक्षिण की उत्पत्ति शीतल स्वभाव स्मोदयी भूमि तत्व, रात्रीबली अल्पकाम हल्की आवाज वर्ण पीला यह काल पुरुष का उदर है , इसका स्वामी बुध है ।

7॰ तुला :- तुला तराजू को कहते हैं । पुरुष संज्ञक चर राशि वायु तत्व । स्मोदयी ऊषण स्वभाव पश्चिम दिशा की स्वामी वायु तत्व उग्र स्वभाव, समान मध्यम  शरीर वाली यह कालपुरुष की वस्ति है । इनका स्वामी शुक्र है ।

8 ॰ वृश्चिक   :- वृश्चिक का अर्थ है बिच्छू । स्त्री संज्ञक , स्थिर , जल तत्व बहुपद वर्ण भवेत गुण शीत । यह काल पुरुष का गुप्तांग है , अतिकामुक , उत्तर दिशा की स्वामी । प्राकृतिक स्वभाव हठी, दम्मी स्पष्टवादी और निर्मल है । रात्री बाली, इसका स्वामी मंगल है ।

9 ॰ धनु :- पुरुष संज्ञक, कांचन वर्ण , द्विस्वभाव , क्रूरसंज्ञक समोदयी, ऊषण स्वभाव , अग्नितत्व , ऊंची आवाज दिन बली , करुना करुणामय । कालपुरुष के पैरों की संघी व जंघा का विचार किया जाता है । इसका स्वामी गुरु है ।

10॰ मकर :- स्त्री संज्ञक, पृथ्वी तत्व , चर राशि सम राशि , सौम्य, रात्रि बली वर्ण पीला पृष्ठोदयी, काल पुरुष का यह घुटना है । यह दक्षिण दिशा की स्वामिनी है । इस राशि का स्वामी शनि है ।

11॰कुम्भ :- कुम्भ घड़े को कहते हैं । यह पुरुष संज्ञक राशि है । वायु तत्व , स्थिर राशि दिन बली, यह पश्चिम दिशा की स्वामिनी है । इसका स्वामी शनि है । यह राशि पैर रहित राशि है ।

12॰ मीन :- मीन मछ्ली को कहते है । द्विस्वभाव राशि स्त्री संज्ञक, उभयोदयी , जल तत्व , गुण भीत , रात्रीबली , कफ प्र प्रक्र्ती प्रकृति , पिंगल रंग इसका प्राकृतिक स्वभाव उत्तम दयालू और दानशील यह कालपुरुष के चरण है । इसका स्वामी गुरु है ।

राशि स्वरूप (गुणधर्म )

क्र गुणधर्म मेष वृषभ मिथुन कर्क सिंह कन्या तुला वृश्चिक धनु मकर कुम्भ मीन
1 चर / स्थिर / द्विस्वभाव चर स्थिर द्विस्वभाव चर स्थिर द्विस्वभाव चर स्थिर द्विस्वभाव चर स्थिर द्विस्वभाव
2 विषम / सम विषम सम विषम सम विषम सम विषम सम विषम सम विषम सम
3 पुरुष / स्त्री पुरुष स्त्री दोनों स्त्री पुरुष स्त्री पुरुष स्त्री पुरुष स्त्री पुरुष स्त्री
4 वर्ण क्षत्रिय वैश्य शूद्र ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र ब्राह्मण
5 तत्व अग्नि पृथ्वी वायू जल अग्नि पृथ्वी वायू जल अग्नि पृथ्वी वायू जल
6 दिशा पूर्व दक्षिण पश्चिम उत्तर पूर्व दक्षिण पश्चिम उत्तर पूर्व दक्षिण पश्चिम उत्तर
7 स्वामी मंगल शुक्र बुध चंद्रमा सूर्य बुध शुक्र मंगल गुरु शनि शनि गुरु
8 बल रात्रि रात्रि रात्रि रात्रि दिन दिन दिन दिन रात्रि रात्रि दिन दिन रात्रि की संघी
9 पाद चौपाया चौपाया द्विपाद बहुपाद चौपाया द्विपाद द्विपाद बहुपद द्विपाद चौपाया लंगड़ी पाँव रहित


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