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लिलोरी माता मंदिर, धनबाद, झारखंड

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इतिहास[सम्पादन]

माँ लिलोरी मंदिर कतरासगढ़ के का राजा की कुलदेवी थी।  बात उस समय की है जब कतरासगढ़ के राजा सुजान सिंह थे। राजा ने मध्य प्रदेश के रीवा के राजघराने के एक सदस्य की सहायता से 800 साल पहले कतरास के इस घने जंगल में माता की मूर्ति स्थापित की थी। यह इलाका कभी घने जंगल से आच्छादित था।

मां की मूर्ति की स्थापना के साथ ही यह मंदिर राजपरिवार के लिए कुल देवी मंदिर बन गया और तब से अब तक यहां सिर्फ राजपरिवार की प्रथम पूजा और दैनिक बलि दी जाती है।

लिलोरी माता मंदिर

सावधानियाँ[सम्पादन]

  1. मंदिर में रोज़ बलि दी जाती हैं और बलि प्रसाद स्वरूप भक्तों में बांटा जाता है।
  2. मंदिर के अंदर देवी की छवि, फ़ोटो लेना वर्जित है इसीलिए फोन या कैमरा ले जाना बिल्कुल मना है।

स्थान[सम्पादन]

कतरसगढ़ से धबद की दूरी 17 किमी की दूरी पर है और NH18 छताबाद रोड पर पड़ता है। धनबाद झारखंड की राजधानी रांची से पूरी तरह से रोड और रेल मार्ग से कनेक्टेड है।

धनबाद से कतरसगढ़ मंदिर की दूरी आप टैक्सी और बस 35 मिनट में पूरी कर सकते हैं।

बाहरी कड़ियाँ[सम्पादन]

https://vedictempleshrines.blogspot.com/2023/05/lilori-sthan.html?m=1



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