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शिवमूर्ति दूबे

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स्वर्गीय पंडित श्री शिवमूर्ति दूबे,जो कि उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जनपद के एक सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। इनका जन्म ग्राम व पोस्ट-पतुलकी,ब्लॉक -लालगंज में 27 जुलाई 1912 ई. को संस्कृत के प्रकांड विद्वान पंडित श्री हृदय नारायण दूबे के घर हुआ था। शिवमूर्ति दूबे बहुत बड़े जमीदार परिवार से थे, इसके बावजूद उन्होंने सारा सुख सुविधा त्यागकर देश को स्वाधीन कराने में कूद गए और अविभाजित मिर्ज़ापुर में स्वतंत्रता आंदोलन को धार देने लगे। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अविभाजित मिर्ज़ापुर (जिसमे अब का सोनभद्र भी शामिल था) के अनेक बार जिलाध्यक्ष और आल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के सदस्य रहें। उसी समय त्रिपुरा में कांग्रेस अधिवेशन में ये शामिल होने गए जहां पर इनकी मुलाकात नेता जी सुभाष चन्द्र बोस से हुई और उन्होंने नेता जी को मिर्जापुर आने का आग्रह किया। इनके ही बुलावे पर सन 1939 ई. में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ट्रेन से मिर्जापुर आए। जहां से नेता जी को बग्घी पर बैठाकर श्री दूबे जी लालगंज के मिलिट्री ग्राउंड पर पहुंचे जहां पर लाखों लाख जनता नेता जी को सुनने के लिए खड़ी थी। नेता जी के और श्री दूबे जी के क्रांतिकारी भाषण ने वहां उपस्थित जनता में एक तरह से देश के लिए कुछ कर गुजरने का प्रेरणा दिया,जिसका व्यापक असर हुआ।

  • योगदान-उस समय उपरौध क्षेत्र में स्कूल कालेज आदि का अत्यंत अभाव था जिसके कारण ज्यादातर आबादी अनपढ़ थी,खुद स्वर्गीय दूबे जी विजयपुर आदि जगहों से पढ़े लिखे थे। और उनकी क्षेत्र की ज्यादातर जनता अनपढ़ थी इसका श्री दूबे जी को बहुत कष्ट रहता था क्योंकि उनका मानना था कि शिक्षा से ही मनुष्य का समग्र विकास हो सकता है इन्ही सब सोच के साथ देश की आजादी के बाद जुलाई 1953 में स्वर्गीय पंडित श्री शिवमूर्ति दूबे जी ने बापू उपरौध इंटरमीडिएट कालेज की स्थापना किया। जिससे क्षेत्र की जनता पढ़ लिखकर आगे बढ़ सके।

उन्ही के त्याग और समर्पण के कारण आज बापू उपरौध इंटर कालेज पूरे मिर्ज़ापुर जनपद के सर्वश्रेष्ठ कालेजों में से एक है।

  • मृत्यु और मृत्यु की वजह -सन 1967 ई. में समूचे देश में भीषण अकाल पड़ा खाद्यान्न आपूर्ति अमेरिका द्वारा होता था। देश में "माइलो" द्वमोटा अनाज पर भोजन की निर्भरता हुई वह भी पर्याप्त नहीं था। उसके बाद अविभाजित मिर्ज़ापुर (सोनभद्र) के सूखा राहत की जिम्मेदारी भारत सरकार ने स्वर्गीय पंडित श्री शिवमूर्ति दूबे को सौपी जनपद भ्रमण पर आए तत्कालीन राष्ट्रपति डा० जाकिर हुसैन के साथ स्व. दूबे ने जनपद का भ्रमण किया भ्रमण के दौरान लू लगने के कारण स्वर्गीय पंडित श्री शिवमूर्ति दूबे जी का काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में 27 जून 1967 ई. को इलाज के दौरान निधन हो गया।

इस तरह स्वतंत्रता संग्राम का यह वटवृक्ष जीवन पर्यन्त देश की सेवा करता रहा और अपने देशभक्ति की छांव से देश को छाया देता रहा तथा जीवन के आखिरी समय में भी देश की सेवा करते हुए मृत्यु को प्राप्त हुआ। जब जब भी मिर्जापुर में स्वतंत्रता आंदोलन की चर्चा होगी तब तब स्वर्गीय पंडित श्री शिवमूर्ति दूबे जी का नाम बड़े आदर और श्रद्धाभाव से हमेशा लिया जाता रहेगा।

  • निधनोपरांत देश व प्रदेश के नेता पहुंचे थे स्वर्गीय दूबे जी के घर और अर्पित किया था श्रद्धांजलि- स्वर्गीय पंडित श्री शिवमूर्ति दूबे जी के मृत्यु के बाद पूर्व मुख्यमंत्री सी.बी.गुप्ता,उनके मंत्रिमंडल के मंत्री गण,केंद्रीय मंत्री गण,कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अलगू राय शास्त्री,कांग्रेस सांसद रामस्वरूप,भारतीय जनसंघ के सांसद बाबू वंश नारायण सिंह,भारतीय जनसंघ के विधायक स्वामी ब्रह्मश्रम आदि नेताओं ने स्वर्गीय दूबे जी के घर पहुंचकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया था।
  • सरकार ने भी स्वर्गीय पंडित श्री शिवमूर्ति दूबे जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके गांव के हाइवे का और गांव के कुछ क्षेत्र का नाम शिवमूर्ति नगर घोषित किया है। हाइवे के चौराहो का नाम शिवमूर्ति नगर चौराहा और वहां के बस स्टैंड आदि का नाम शिवमूर्ति नगर बस स्टैंड घोषित किया है जहां से कई सरकारी रोडवेज बसों का संचालन होता है जैसे- शिवमूर्ति नगर से मिर्जापुर जाने के लिए रोडवेज बस संचालित हो रही हैं इसी तरह शिवमूर्ति नगर से प्रयागराज जाने के लिए भी रोडवेज बस संचालित हो रही है।


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