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सुनीत निगम

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सुनीत निगम की गिनती देश के वरिष्ठ पत्रकारों में होती है। इन्होंने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत कानपुर शहर से की थी। इनका जन्म कानपुर शहर में हुआ था। उनके पिता हरिशंकर निगम स्टेट बैंक में कार्यरत थे और माता विमला निगम घरेलू महिला थीं। इनके ज्येष्ठ पुत्र सुनीत निगम ने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत 86-87 के दशक में उस समय की चर्चित अपराध जगत की पत्र-पत्रिकाओं से की थी। दो ढाई साल के कार्यकाल में करीब दो-ढाई सौ आपराधिक सत्य कथाओं पर आधारित रिपोर्ट्स लिखी और देश में प्रकाशित होने वाली प्रमुख क्राइम मैग्जीनों में छाए रहे। इसके बाद 1989 के आसपास इन्होंने खोजी पत्रकारिता करने की शुरुआत की। उस समय दिल्ली से प्रकाशित चौथी दुनिया अखबार ने खोजी पत्रकारिता में धूम मचा रखी थी। इन्हें कानपुर स्थित सेना के केंद्रीय आयुध भंडार में व्याप्त भ्रष्टाचार पर आधारित एक ऐसी स्टोरी हाथ लगी जिसने देशभर की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया। सीओडी, कानपुर से भारतीय सेना के सिपाहियों को चमड़े और कपड़े से संबंधित सामान सप्लाई किया जाता है। भारतीय सैनिकों को सप्लाई किए जाने वाले सामानों की घटिया क्वालिटी और यहां तैनात सैन्य अधिकारियों के भ्रष्टाचारों का खुलासा होने से देश की संसद में भी मामला उठा और सैन्य अधिकारियों पर मुकदमा चला जिसमें जांच होने पर कई अधिकारियों पर कार्यवाही हुई। खोजी पत्रकारिता के बल पर अपनी पहचान बना चुके सुनीत निगम ने 1992 में मेनस्ट्रीम मीडिया में कदम रखा और कानपुर से अमर उजाला का संस्करण प्रकाशित होने पर उसकी लॉन्चिंग टीम का हिस्सा बने। यहां रहकर खबरों के संपादन का ककहरा अपने वरिष्ठ साथियों से सीखा। 1996 में द हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप का हिंदी संस्करण हिंदुस्तान लखनऊ से प्रकाशित हुआ तो उसकी लांचिंग टीम का हिस्सा बने और धुआंधार रिपोर्टिंग से फिर अपनी एक नई पहचान कायम की।इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लगभग 7 साल द हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप में रहने के बाद फिर वापस अपने पुराने ग्रुप अमर उजाला में आ गए और 2005 तक रहे। लगभग 12 साल तक उत्तर प्रदेश में पत्रकारिता करने के बाद इन्होंने दिल्ली की राह पकड़ना उचित समझा और राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारिता करने के उद्देश्य से दिल्ली आ गए। खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में अब तक अपनी पहचान बना चुके सुनीत निगम ने दिल्ली आकर गुजरात से हिंदी भाषा में प्रकाशित होने वाले 'गुजरात वैभव' के राष्ट्रीय संस्करण 'विराट वैभव' की लांचिंग कराई। अपने तीन दशक के कॅरियर में सुनीत निगम अमर उजाला व हिंदुस्तान में लंबी-लंबी पारियां खेल चुके हैं। अमर उजाला कानपुर तथा हिंदुस्तान लखनऊ की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा रहे सुनीत निगम को दोनों अखबारों में अपने कार्यकाल के दौरान करीब नौ ब्यूरो संभालने का अनुभव है। कानपुर के रहने वाले सुनीत ने अपने शहर में भी कई अखबारों की लॉन्चिंग कराई है। आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले दैनिक विश्वमित्र को साप्ताहिक के रूप में 'विश्वमित्र टाइम्स और उर्दू हिंदी दैनिक 'सियासत' अखबार के हिंदी संस्करण की लॉन्चिंग इन्हीं के हाथों हुई थी। इसके अलावा पानीपत व शिमला से प्रकाशित हिंदी दैनिक 'पहली ख़बर' की नींव भी इन्हीं के हाथों डाली हुई है।

एक दशक से ज्यादा समय तक राष्ट्रीय राजधानी में रिपोर्टिंग और सम्पादकीय कार्यों का अनुभव लेने के बाद सुनीत निगम 2016 में देश की सबसे पुरानी न्यूज़ एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार से जुड़े और अभी भी एसोसिएट एडिटर के पद पर हैं।


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