स्वामी राजेश्वरानद
रामकथा वाचक पूज्य महाराज स्वामी राजेश्वरानद सरस्वती जी
महाराज जी का जीवन परिचय अंगूठाकार|स्वामी राजेश्वरानद श्री रामचरित मानस का विशेष और सामायिक घटनाओ के साथ वर्णन करने वाले संत स्वामी राजेश्वरानन्द सरस्वती जी का जन्म उरई , उत्तर प्रदेश में हुआ था. स्वामी राजेश्वरानन्द जी सरस्वती न सिर्फ बुंदेलखंड में पूरे भारत में अपनी उच्चकोटि कथा शैली के लिए मशहूर थे.
आपके पिता बैकुंठवासी श्री अमरदान जी शर्मा विख्यात भजन गाय़क थे एवं आपकी माता जी श्री मती शान्ति देवी भी अत्यन्त धार्मिक प्रवृति की महिला थी. पारिवारिक संस्कारों एवं माता पिता की धार्मिक प्रवृत्ति के कारण ही महाराज श्री का रुझान प्रभु भक्ति, धार्मिक साहित्य पठन, लेखन एवं भक्ति संगीत की ओर हो गया.
प्रभु भक्ति में रुझान
प्रभु भक्ति की ओर विशेष रुचि होने के कारण ही मात्र 15 वर्ष की अल्पायु में ही महाराज श्री ने स्वयं को अपने गुरु स्वामी अविनाशी राम जी के पुण्य में समर्पित कर दिया. . महाराज श्री द्वारा कही जाने वाली राम-कथा के प्रशंसको में विख्यात महामंडलेश्वर एवं संतगण शामिल है.
महाराज श्री प्रभु सीता-राम की कथा का वर्णन स्वयं के आनंद एवं भक्ति के लिए करते थे परन्तु साथ ही श्रोताओं को भी अपने साथ प्रभु सीता-राम जी की कृपा में सहभागी बना लेते थे. महाराज जी आपने जीवन का उद्देश्य ही प्रभु श्री सीता-राम की कथा द्वारा जन-कल्याण निर्धारित किया. महाराज श्री ने भारतवर्ष के लगभग सभी प्रमुख शहरों एवं गाँव में श्री राम कथा से करोङो भक्तजनो को लाभान्वित किया।
महाराज श्री अपने गांव में भगवान शंकर का एक भव्य मंदिर बनाने की योजना को अंतिम रुप देने में जुटे थे। उन्होंने पैतृक गांव पचोखरा में नि:शुल्क अस्पताल बनवाया था। इसमें रविवार के दिन बाहर से आए डाक्टर लोगों की जांच कर उन्हें नि:शुल्क दवाएं देते थे। इसके अलावा कैंप लगाकर गरीबों को कपड़े व खाने पीने का सामान भी समय-समय पर बांटते रहते थे।
निर्वाण तिथि(साकेत गमन) - १० जनवरी २०१९
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