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हरी सिंह रोहिला राजपूत

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चित्र:Hari-singh-rohila-rajput.jpg
हरी सिंह रोहिला राजपूत की मुख्य जेल यात्राएं

पिता का नाम - श्री मूलराज सिंह राजपूत, वंश - सूर्य (राठौर), शाखा महिचा , ऋषिप्रवर गोत्र - गौतम, मूल - क्षत्रिय, राजा गंगा सहाय के वंशज, जन्म स्थान - रामपुर ब्लॉक का ग्राम घाटहेड़ा (इस ग्राम का नाम कई आज़ादी के दीवानो ने गौरवान्वित किया)

स्वतंत्रता सैनानी - श्री हरी सिंह का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक ओजस्वी एवं रौबीला था ! घुड़सवारी का उन्हें शौक था ! उनकी घोड़ी की आस पास के क्षेत्रो में बड़ी धाक थी अनेक बार उन्होंने सहारनपुर - शाहदरा रेल व् बसों के साथ घोड़ी दौड़ा कर इनाम जीते ! सोलह से अठारह वर्ष की आयु में वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सीधे संपर्क में आये ! कलकत्ता में विशेष क्रांतिकारी ट्रेनिंग प्राप्त की और पूर्णतया आजादी की लड़ाई में कूद पड़े ! नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें विशेष मिशन पर लाहौर भेजा लौटने पर इन्होने एक क्षेत्रीय स्वंत्रता संघर्ष टोली का गठन किया और अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया उनके दल ने सहारनपुर के पास मनानी रेलवे स्टेशन को लूट कर फूंक दिया और देवबंद तहसील का खज़ाना भी लूटकर देश की आज़ादी हेतु उपयोग में लाये कुछ समय बाद आप गांधी जी के संपर्क में आये और उनके सिद्धांतो को आत्मसात करते हुए आज़ादी की लड़ाई को जोर - शोर से जारी रखा !

इस मध्य इनको व् इनके परिवार को अनेक यातनाये दी गयी !  आपके भाई मुंशीराम व् शशि भूषण भी आज़ादी की राह पर निकल पड़े ! तीनो भाइयो को जेल में यातनाये दी गयी ! शशि भूषण को जेल से तब रिहा किया गया जब वो मृत्यु के बहुत करीब पहुंच गए और जेल से छूटने के दो माह बाद भारत माता की गोद में हमेशा के लिए सो गए !

श्री हरी सिंह जी को कलकत्ता, आगरा, लाहौर तथा नैनी जेल में रखा गया ! अन्त में आपको काला पानी जेल (अंडमान निकोबार द्धीप समूह) में रखा गया ! गांधी जी के अंग्रेज़ो के साथ एक समझौता वश 1946 में आपको रिहा किया गया ! देवबंद के तहसीलदार द्वारा इनकी 150 बीघा जमीन जो ग्राम चरहो उमरपुर में थी, को जब्त कर लिया गया, इन सब शारीरिक, आर्थिक और मानसिक यातनाओ को सहते हुए भी आज़ादी हेतु लड़ते रहे और अन्त में देश आज़ाद हुआ !

अंग्रेज़ो की एक अदालत की घटना का वर्णन इस प्रकार है ! इनका मुकदमा चल रहा था ! अंग्रेज जज ने पूछा, आपका वकील कौन है? श्री हरी सिंह ने उत्तर दिया - भारत माता ! इस बात से चिढ़ कर अंग्रेज जज ने 14 साल की सजा सुनाकर पूछा कि हरी सिंह कुछ कहना चाहते हो ! हरी सिंह ने हाँ में उत्तर दिया और कहा `न सदा के लिए मेरे पैरो में बेड़ी रहेगी और न ही सदा के लिया आपके (जज) हाथ में कलम होगी, और कहा अंग्रेज़ो भारत छोड़ो, यह नारा अदालत में गूँज उठा !

देश कि आजादी के पश्चात आपने समाज सेवा का बीड़ा उठाया ! ठा. फूल दयाल जी, श्री अजित प्रसाद जैन, श्री चंद्रभानु गुप्ता, श्री दीं दयाल उपाध्याय इनके परम मित्रो में से थे और जेल के साथी भी थे ! श्री हरी सिंह द्वारा अपने बलिदान के उपलक्ष में कुछ भी ग्रहण नहीं किया गया ! आपको रुद्रपुर में 30 एकड़ जमीन दी गयी पर आपने नहीं ली ! आपको सरकारी नौकरी दी गयी पर आपने मना कर दिया ! समाज सेवा करते - करते उनकी झड़प अनेक बार बड़े अफसरों से हुई ! आपने डी. ऍम. सहारनपुर, रजिस्ट्रार को ऑपरेटिव सोसाइटी, सहारनपुर तथा तहसीलदार देवबंद को तो ग्रामीणों को सताने पर जूते से पीट भी दिया था ! ग्राम घाटेडा श्री गांधी आश्रम तथा ब्लॉक वि. एल. डब्ल्यू परिक्षण केंद्र कि स्थापना में विशेष सहयोग किया ! वे आस पास के सभी गांवो के प्रिय नेता थे और सभी का कार्य अपने खर्च से करते रहे थे ! आपकी उत्कुष्ट देशसेवा को ध्यान में रखते हुए श्रीमती इंदिरा गांधी भारत कि प्रधानमन्त्री द्वारा दिनाक 15 अगस्त 1972 को तामपत्र द्वारा सम्मानित किया गया !  फरवरी 1990 ने सदैव चिरनिंद्रा में भारत माँ कि गोद में समां गए ! डी. एम. सहारनपुर स्वयं आये और शव पर तिरंगा ओढ़ाकर ग्यारह बंदूकों कि सलामी दीं !

डा. जय सिंह जी कि कलम से[सम्पादन]

सहारनपुर कचहरी में इनको 14 वर्ष कि सजा सुनाई गई ! जज ने पूछा तुम्हारा नाम क्या है, इन्होने कहा इंकलाब जज नाराज हो गया इन्होने गुस्से में आकर अंग्रेज जज को कचहरी के अन्दर थप्पड़ मार दिया और इन्कलाब जिन्दाबाद के नारे लगते हुए गिरफ्तार हो गए !

आगरा जेल में जेलर ने इनसे कहा कि बेटे इतनी काम उम्र में तुम स्वंत्रता सैनानी बन गए ! अब तुम्हे पूरी जिंदगी जेल में गुजारनी पड़ेगी और तुम्हारी हथकड़ी कभी नहीं खुलेगी ! इन्होने जेलर से कहा जेलर साहब ये कलम जो तुम्हारे हाथ में है, सदा नहीं रहेगी और हमारे हाथो में भी सदा हथकड़ी नहीं रहेगी ! एक न एक दिन देश आज़ाद होगा !

आपकी 7 गांवो में जमीन थी जो कि अंग्रेज सरकार ने नीलम कर दीं थी आपने उनका समझौता मानने से इनकार कर दिया था ! आपने उनसे कहा कि मै आंदोलन बंद नहीं करूँगा ! और देश कि आज़ादी के लिए कार्य करता रहुँगा चाहे आप हमारी खेती कि जमीन नीलम कर दे ! आपने मनानी स्टेशन सहारनपुर में बम डालकर अंग्रेजी सरकार कि माल गाडी को लूटा और स्टेशन में आग लगा दीं ! जिसके उपरान्त अंग्रेजी हुकूमत ने आपको लाहौर जेल भेज दिया ! देश कि आज़ादी के बाद भारत सरकार ने आपको 27 बीघा जमीन पंत नगर में देने का ऐलान किया परन्तु आपने उसे नहीं लिया और कहा कि मेरी जमीन को गरीब लोगो में बाँट दिया जाए ! मैं तो देश कि सेवा करना चाहता हु ! आपने रोहिला राजपूत समाज के लिए गठन का काम किया ! डा. कर्णवीर सिंह चंडीगढ़ वालो के साथ मिलकर आपने अखिल भारतीय रोहिला क्षत्रिय विकास परिषद् कि स्थापना की ! आपने अग्रवाल धर्मशाला सहारनपुर में होने वाला प्रथम सम्मेलन का ध्वजारोहण करके इसका उद्धघाटन किया था ! उसके बाद आपने टपरी में रोहिला आई. टी. आई. की स्थापना में डा. कर्णवीर सिंह के साथ कंधे से कन्धा मिलकर कार्य किया ! डा. साहब ने आपको संस्थापक सदस्य एवं अन्य पद ग्रहण करने हेतु कहा परन्तु आपने कहा मैं तो समाज का माली हू ! मुझे माली ही रहने दो जिस प्रकार एक माली अपने बागीचे में हर तरह के फूलो की एक भावना से सेवा करता है उसी प्रकार रोहिला राजपूत समाज में आमिर - गरीब, अनपढ़ - योग्य हर तरह के लोग है मैं इनकी सेवा करना चाहता हू एक माली की तरह !

सर फूल वो चढ़े, जो चमन से उजड़ जाये ! इज़्ज़त उन्हें मिली जो वतन से चले गए ||

मुख्य जेल यात्राएं इस प्रकार रही[सम्पादन]

  • दिनाक १४-०२-१९३१ में ९ माह रु. २५/- या छः सप्ताह कैद व् जुर्माना

See also[सम्पादन]

  • [Rohilla Rajput]

Notes[सम्पादन]


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