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अजाहरा पार्श्वनाथ जैन तीर्थ

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अजाहरा पार्श्वनाथ जैन तीर्थ गुजरात में गीर सोमनाथ जिले के ऊना तहसील के निकट अंजार गाँव में स्थित है।[१] यह जैन धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ है। पुरे साल इस मंदिर में भीड़ रहती है, किन्तु चैत्र पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष भीड़ रहती है। इस पौराणिक मंदिर के साथ कई रहस्य जुड़े हुए हैं।


स्थिति[सम्पादन]

यह मंदिर ऊना से ५ किलोमीटर और देलवाड़ा से २.५ किलोमीटर पर अंजार गाँव में स्थित है। वहाँ पर जाने के लिए पक्की सड़के बनी हुई हैं।

इतिहास[सम्पादन]

अजाहरा पार्श्वनाथ जैन तीर्थ का इतिहास सूर्यवंशी राजवंश से जुड़ा हुआ है। प्रभु श्री राम के दादा यानी राजा अज अपने काल में शत्रुंजय की पवित्र तीर्थ यात्रा पर निकलें। शत्रुंजय से आगे बढ़ते ही वे भयंकर रोगों से पीड़ित हो गये। रोगों से पीड़ित राजा ने लंबे वक्त तक दिव बंदरगाह पर अपना डेरा डाला।

उस दौरान रत्नासर नमक व्यापारी अपने लोगों के साथ व्यापार करने समुद्र मार्ग निकला था। समंदर के बीच तूफान उठा। तूफान से बचने के लिए रत्नासर और उनके लोग प्रभु से प्रार्थना करने लगे। तभी सबको देवी पद्मावती की दिव्य वाणी सुनायी दी।

उन्होंने कहा कि समंदर के तल पर कल्पवृक्ष के लकड़े से बना एक संदूक है। उस संदूक में रखी प्रतिमा राजा अज को भेंट की जाये।

समुद्र के तल से ज़ब संदूक निकाला गया तो समुद्र अपने आप शांत हो गया। रत्नासर और उनके लोग इन प्रतिमा को देख कर आनंदित हो गये। उन्होंने तुरंत अपनी नाव वापस दिव बंदरगाह की तरफ़ मोड़ ली।

निष्ठापूर्वक रत्नासर ने वह संदूक राजा अज को भेंट कर दिया। राजा अज ने पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा का भव्य स्नान महोत्सव किया। भगवान को अभिषेक किया हुआ जल राजा ने अपने शरीर पर छिड़का। कुछ दिनों में राजा की पीड़ा खत्म हो गयी। इस खुशी में राजा अज ने दिव के नजदीक एक शहर स्थापित किया और उसका नाम अजयनगर रखा। वहाँ पर भव्य मंदिर बनवाकर उसमें पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिष्ठा की।

अज राजा के रोग को हरने वाले पार्श्वनाथ प्रभु अजाहरा पार्श्वनाथ के नाम से प्रख्यात हुए।

अजयनजर हाल में अंजार के नाम से जाना जाता है।


सन्दर्भ[सम्पादन]

२. अजाहरा पार्श्वनाथ जैन तीर्थ


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