अरविन्द जैन
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एक हिन्दी साहित्यकार
अरविंद जैन
जन्म : 7 दिसम्बर, 1953, उकलाना मंडी, हिसार (हरियाणा)।
परिवार:1 व्यापारिक घराने के ‘संयुक्त परिवार’ में जन्म हुआ। पिता वैश्य कॉलेज (रोहतक) में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक (1970-1994) रहे। उनकी साहित्य, समाज और राजनीति में गहरी रूचि थी। दहेज़ के सख्त विरोधी, आदर्शवादी, प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व थे। माँ का कम उम्र में ही विवाह हो गया, सो शिक्षा अधूरी रह गई। वो बेहद साहसी और विवेकशील महिला हैं। दो अनुज भाई और दो बहनें (एक बहन की ‘ब्लड कैंसर’ से मृत्यु (1979) हो गई थी)। 1981 में विवाह हुआ। पत्नी मनोविज्ञान में एम.ए। एक बेटी जिसका जन्म1990 में हुआ। लम्बी बीमारी के बाद पिता का उकलाना मंडी देहांत (अगस्त 2006) हो गया। बेटी-दामाद, एक भाई और उसकी पत्नी और दो भतीजे कानून के ही क्षेत्र में हैं।
शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा जनता हाईस्कूल, उकलाना; एस.डी. हायर सेकेंडरी स्कूल, हाँसी, जैन हाईस्कूल और वैश्य कॉलेज, रोहतक (हरियाणा) में। पंजाब विश्वविद्यालय से वाणिज्य स्नातक (1974) और दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि स्नातक (1977)। पंजाब विश्वविद्यालय (1973) में 'सर्वश्रेष्ठ वक्ता पुरस्कार’ से सम्मानित।
अरविन्द जैन सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता हैं। न्यायशास्त्र, दलित-अश्वेत स्त्री विचार, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, इतिहास, राजनीति, उत्तर आधुनिक विचार, आत्मकथाएँ, संस्मरण, यात्रा वृतांत के साथ-साथ पंजाबी-हिंदी-अंग्रेज़ी साहित्य में विशेष रुचि है।
अरविंद जैन महिला सशक्तिकरण, स्त्री के पैतृक संपत्ति में समान अधिकार, यौन हिंसा, घरेलू दमन, बाल विवाह, दहेज, दलित उत्पीड़न, कानून की भाषा परिभाषा, वैधानिक संशोधन, आत्मरक्षा, शिक्षा, सामाजिक- आर्थिक- राजनीतिक न्याय और सम्मान के मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखते रहे हैं। अदालत के भीतर भी और बाहर भी। देश भर के अनेक महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों (दिल्ली, मुम्बई, इलाहाबाद, लखनऊ, गुलबर्गा, सागर, वर्धा ) में व्याख्यान के लिए जाते रहे हैं। विशेष रूप से स्त्री अध्ययन विभागों में। लिंग संवेदशीलता के लिए हरियाणा पुलिस अकादमी, न्यायिक अकादमी उत्तराखंड और अन्य संस्थानों में अनेक बार आमंत्रित किये गए हैं।
भारतीय समाज और कानून में स्त्री की स्थिति संबंधित लेखन के लिए जाने-जाते हैं।स्त्री पर यौन हिंसा और न्यायालयों एवम समाज की पुरुषवादी दृष्टि पर एडवोकेट अरविंद जैन ने मह्त्वपूर्ण काम किये हैं. उनकी किताब ‘औरत होने की सजा’ हिन्दी में स्त्रीवादी न्याय सिद्धांत की पहली और महत्वपूर्ण किताब है। अरविंद जैन की किताब ‘औरत होने की सजा’ को हिंदी के वैचारिक लेखन में क्लासिक का दर्जा प्राप्त है। यह किताब भारतीय समाज व कानून की नजर में महिलाओं की दोयम दर्जे को सामने लाती है। इसका पहला प्रकाशन ‘विकास पेपरबैक’, नई दिल्ली से 1994 में हुआ था। 1996 में इसे राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया। अब तक इसके 25 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। स्त्रीवाद व स्त्री अधिकारों से संबंधी अध्ययन के लिए यह एक आवश्यक संदर्भ ग्रंथ की तरह है। ' इसका पंजाबी में अनुवाद 'औरत होण दी सज़ा'' हो चुका है और शीघ्र ही अंग्रेज़ी में भी हो रहा हैै।
"कानूनी भेदभाव: बेड़ियाँ तोडती स्त्री" की श्रृंखला में उन्होंने रख्माबाई , रगीना गुहा, सी.बी. मुथम्मा, मेरी रॉय, करुणा प्रीति और अन्य तमाम स्त्रियों की संघर्ष गाथा के बारे में लिखा है, जिन्होंने भेदभाव पूर्ण कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी और भावी पीढ़ी के लिए मुक्ति-मार्ग विकसित किये।
औरत अस्तित्व और अस्मिता ' महिला उपन्यासों पर (समाजशास्त्रीय अध्ययन ) हिंदी में पहली आलोचनात्मक किताब है, जिसकी भूमिका प्रशिद्ध लेखिका प्रभा खेतान ने लिखी थी। इसमें सूरजमुखी अंधेरे के' 'दिलो दानिश' 'आपका बंटी', 'बेघर', 'कठगुलाब', 'पचपन खंबे लाल दीवारें', 'पीली आँधी', 'छिन्नमस्ता', 'आँवा', 'माई' से लेकर 'इदन्नमम' और कुछ अन्य उपन्यासों, आत्मकथाओं और विचार पुस्तकों पर विस्तार से लिखा गया है।
'उत्तराधिकार बनाम पुत्तराधिकार ' पिछले पंद्रह सालों से दिल्ली विश्वविद्यालय के बीए के पाठ्यक्रम में शामिल है। 'उत्तराधिकार बनाम पुत्राधिकार' लेख सबसे पहले वेददान सुधीर की पत्रिका 'मूलप्रश्न' (दिसंबर,1997) में प्रकाशित हुआ था। बाद में 'महिला विधि भारती' (जून,1998), 'हंस'(जून,1998) और 'गुड़िया'(सितम्बर,1998) में भी छपा। पुस्तक का प्रथम संस्करण (2000) आत्माराम एन्ड संस से आया था। बाद में राजकमल प्रकाशन से पेपरबैक में (2001) और सजिल्द संस्करण (2016) उपलब्ध है। 2005 में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 में बेटियों को भी, पैतृक संपत्ति में समान अधिकार देने का संशोधन पारित हो गया। संशोधन के समय भी लेखक ने हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, कादम्बिनी और अन्य पत्र-पत्रिकाओं में लिखा था। सुप्रीमकोर्ट की ही तीन खंडपीठों के अलग-अलग फैसले होने की वजह से मामला 5 दिसंबर, 2018 को तीन जजों की पूर्णपीठ (न्यायमूर्ति अर्जन सीकरी, अशोक भूषण और एमआर शाह) को भेजा गया, जो अभी विचाराधीन है। 18 दिसंबर, 2018 जनचौक और राष्ट्रीय सहारा (आधी दुनिया, 26.12.2018) को नया लेख लिखा-छपा है।
'यौन हिंसा और न्याय की भाषा' पहली बार 'मुक्तनाद' (अक्टूबर-दिसंबर,1999) में प्रकाशित हुआ था। फिर 'हंस' (जनवरी-फरवरी 2000) में भी छपा। 'अतीत होती सदी और स्त्री का भविष्य' पुस्तक रूप में भी संकलित हुआ। फरवरी 2000 में ही 'सारांश प्रकाशन' से पुस्तिका रूप में आया। 'हमारा महानगर' ( 8 मार्च से 10 मार्च, 2000) ने तीन किश्तों में प्रकाशित किया। 'मूल प्रश्न' (2000) 'नीतिमार्ग' (17-23 मार्च,2001) और 'मनोरमा ईयर बुक' (संक्षिप्त रूप) में छापा था। 2013 में अशोक गुप्ता ने अपनी पुस्तक 'प्रतिघात' में पुनर्प्रकाशित किया। 'स्त्रीकाल' (2016, आठ किश्त) में छपा।
लापता लड़की कहानी संग्रह (2000) में दस कहानियाँ- घूूूस यार्ड कार्बन कॉपी , लापता लड़की, शिकार, यस पापा, स्लीपिंग पार्टनर, उसका जाना, अनुवाद, बुलेटप्रूफ और भेड़-भेड़िये शामिल हैं। बेड़ियाँ, झरना, घेराबंदी, प फ ब भ म, हाइब्रीड, विदुषी, अप्सरलोक, अपेक्षा,न्यायपथ और लेखक 2018-19 में लिखी-छपी कहानियाँ हैं। सुधीश पचौरी के शब्दों में "स्त्री को हिन्दी कथा में किसी भी पुरुष लेखक ने इतनी तदाकारिता से नहीं पढ़ा जितना अरविंद ने। ये कहानियों उनके उत्कट उद्वेग का विमर्श हैं और स्त्री के पक्ष में एक पक्की राजनीतिक जिरह पैदा करती हैं। अरविंद जैन का यह पहला कथा संग्रह बताता है कि हिन्दी कहानी में निर्णायक ढंग से फिर बहुत कुछ बदल गया है।"
संविधान, महिला, बाल एवं कॉपीराइट कानून के विशेषज्ञ। अनेक चर्चित मामलों में वकील रहे है। 'बालदीक्षा' के विरुद्ध पहली याचिका (1986) सुप्रीमकोर्ट में अरविंद जैन ने ही डाली थी। बाल विवाह की कानूनी वैधता के सवाल पर (लज्जा देवी बनाम राज्य) मामले में दिल्ली उच्चन्यायालय की पूर्णपीठ (2008-12) के समक्ष बहस की थी। महादेव बनाम भारत सरकार (2008) में वैवाहिक यौन हिंसा की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी। वर्षा कपूर बनाम भारत सरकार (2010) में घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 2 (q) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। दिल्ली बार एसोसिएशन (तीस हजारी) के कानूनी सलाहकार (2006) बने, तो अखबारों ने लिखा 'वकीलों के वकील अरविंद जैन'। भारत सरकार ने उन्हें दिल्ली उच्चन्यायालय में अपना वरिष्ठ अधिवक्ता (2009-2012) भी नियुक्त किया था।
मन्नू भंडारी बनाम कला विकास (1986) में मन्नू भंडारी के वकील रहे। कॉपीराइट कानून की धारा 57 (लेखक के नैतिक अधिकार) पर यह प्रथम एतिहासिक फैसला है जो अभी तक नज़ीर बना हुआ है।इस केस में अरविंद जैन प्रतिवादी के वकील थे। अनेक प्रशिद्ध लेखकों के पक्ष में पैरवी की।वाणी प्रकाशन बनाम अभिनव प्रकाशन (1990) में विद्यानिवास मिश्र की पुस्तक 'आंगन का पंछी एवं अन्य निबंध' में कॉपीराइट स्वामित्व पर उल्लेखनीय निर्णय है। मॉर्गन स्टैनले म्यूच्यूअल फण्ड बनाम पीयूष अग्रवाल (1994) में मॉर्गन की तरफ से अरुण जेटली पेश हुए थे और पीयूष अग्रवाल की ओर से अरविंद जैन। उस समय म्यूच्यूअल फण्ड का यह पहला इशू था।
बाल-अपराध न्याय अधिनियम के लिए भारत सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के सदस्य।
रचनाएँ : औरत होने की सज़ा, उत्तराधिकार बनाम पुत्राधिकार, न्यायक्षेत्रे अन्यायक्षेत्रे, यौन हिंसा और न्याय की भाषा तथा औरत : अस्तित्व और अस्मिता शीर्षक से महिलाओं की कानूनी स्थिति पर विचारपरक पुस्तकें। लापता लड़की कहानी-संग्रह।
सम्पादन : 'स्त्री: मुक्ति का सपना'
'वसुधा' के स्त्री विशेषांक (2003) का संपादन है, जो अरविंद जैन ने कमला प्रसाद (सम्पादक) और लीलाधर मंडलोई के सहयोग से किया था। बाद में इसी नाम से पुस्तक 'वाणी प्रकाशन' ने छापी थी/है।
पत्र-पत्रिकाओं में शोध-लेख, कहानियाँ, समीक्षाएँ, कविताएँ और कानून सम्बन्धी स्तम्भ-लेखन।
सम्मान : हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा वर्ष 1999-2000 के लिए 'साहित्यकार सम्मान’; कथेतर साहित्य के लिए वर्ष 2001 का राष्ट्रीय शमशेर सम्मान।
आंतरिक कड़ियाँ :
बाहरी कड़ियाँ[सम्पादन]
http://www.streekaal.com/tag/अरविंद-जैन
http://web.archive.org/web/20190516201252/https://janchowk.com/Beech-Bahas/supreme-court-property-family-widow-women/4578 उत्तराधिकार और कृषि भूमि लेेेख अरविंद जैन
http://epaper.voiceoflucknow.com/epaper/edition/1103/lucknow-city/page/10 कम मत आंकिए क्षेत्रीय दलों की ताकत-लेख अरविंद जैन https://epaper.amarujala.com/delhi-city/20190414/14.html?format=img&ed_code=delhi-city पैतृक संपत्ति में बेटियों का हक लेख अरविंद जैन
http://www.streekaal.com/2018/11/sexualfreedomlegalitiesandmorality/ यौन स्वतंत्रता, कानून और नैतिकता: लेख अरविन्द जैन
http://www.streekaal.com/2017/09/short-story-arvind-jain-2/ लापता लड़की अरविंद जैन http://www.streekaal.com/2017/11/short-story-ghoos-yard-by-arvind-jain/ घूस-यार्ड अरविंद जैन http://www.streekaal.com/2017/09/story-by-arvind-jain-carbon-coopy/ कार्बन-कॉपी अरविंद जैन http://www.streekaal.com/2017/08/shortstory-arvindjain/ स्लीपिंग पार्टनर अरविंद जैन http://www.streekaal.com/2017/07/shortstory-hindi-yespapa-arvindjain/ यस पापा अरविंद जैन http://www.streekaal.com/2017/07/shortstory-hindi-anuwad-arvindjain/अनुवाद अरविंद जैन http://www.streekaal.com/2018/11/bediyan-short-story-arvind-jain/ बेड़ियाँ: अरविंद जैन http://www.streekaal.com/2018/10/short-story-arvind-jain/ घेराबंदी अरविंद जैन http://www.streekaal.com/2016/12/review-kalajal-secondpart-arvindjain/ 'कालाजल' पर लेख 1 अरविंद जैन
http://www.streekaal.com/2016/12/review-kalajal-arvindjain/ 'कालाजल' पर लेख 2 अरविंद जैन
http://web.archive.org/web/20190514071617/http://www.streekaal.com/2015/09/blog-post_19-4/ स्त्रीवादी क़ानूनविद ( वकील साहब ) का ट्रायल
http://www.streekaal.com/2014/09/blog-post_15-7/ शादी का झूठा आश्वासन यौन शोषण अरविंद जैन
http://www.streekaal.com/2015/05/blog-post_11-3/ नाबालिग पत्नी से यौन संबंध अरविंद जैन
http://www.streekaal.com/2015/01/blog-post_18-10/ जो वैध व कानूनी है वह पुरुष का अरविंद जैन
http://www.streekaal.com/2014/12/blog-post_6-7/अपने ही घर में खतरों से घिरी बेटियां अरविंद जैन
http://www.streekaal.com/2014/11/blog-post_20-9/ ‘डार्क रूम में बंद आदमी’ की निगाह में औरत 2 अरविंद जैन
http://www.streekaal.com/2014/11/blog-post_71-6/ 'डार्क रूम में बंद आदमी’ की निगाह में औरत 1अरविंकेद जैन
http://www.streekaal.com/2014/08/blog-post_14-8/औरत : आजाद होने का अर्थ ! अरविंद जैन
http://www.streekaal.com/2014/08/blog-post_6-10/ यौन शोषण के आरोपों से घिरी न्यायपालिका अरविंद जैन
http://web.archive.org/web/20190514042302/http://www.streekaal.com/2014/07/blog-post_8074/ न्याय व्यवस्था में दहेज़ का नासूर अरविंद जैन
http://www.streekaal.com/2014/05/blog-post_27-9/ दाम्पत्य में ‘यौन हिंसा का लाइसेंस’ असंवैधानिक है अरविंद जैन
http://www.streekaal.com/2014/04/blog-pos-37/न्यायपालिका में मौजूद जातिवादी मानसिकता – अरविंद जैन
http://gadyakosh.org/gk/%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6_%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%A8 अरविंद जैन http://janwani.in/pagezoomsinwindows.php?id=1134&boxid=57605328&cid=4&edcode=71 http://webmilap.com/fullview.php?artid=HINDIMIL_HIN_20190509_6_3 http://web.archive.org/web/20190511215720/http://jagruktimes.co.in/public/epaper/ZwVjJuWwrNNMy6T1ATeHas.pdf https://janchowk.com/Beech-Bahas/election-pmmodi-issues-corporate-capital-opposition/4522#.XMlBJXCXRLI.facebook अगली बार:किसकी सरकार? अरविंद जैन
http://www.humrang.com/humrang/100670/%E0%A4%AE%E0%A4%97%E0%A4%B0_%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%82_%E0%A4%B2%E0%A4%BF साक्षात्कार अरविंद जैन
http://www.humrang.com/humrang/100669/%E0%A4%AA_%E0%A5%9E_%E0%A4%AC_%E0%A4%AD_%E0%A4%AE_ अरविंद जैन की।कहानी पफबभम http://www.humrang.com/humrang/100684/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80_%E0%A4%A4%E0%A5%80 अरविंद जैन की तीन कहानियां
http://web.archive.org/web/20190511211527/https://janchowk.com/Beech-Bahas/tripletalaqordinance-spreemecourt-narendramodi-bjp-muslim/3364 तीन तलाक अध्यादेश। लेख अरविंद जैन
http://web.archive.org/web/20190511210723/https://janchowk.com/Beech-Bahas/daughter-right-property-law-supreme-court/3854 उत्तराधिकार बनाम पुत्राधिकार लेख अरविंद जैन
https://janchowk.com/pahlapanna/chief-justice-supremecourt-sexual-harassment-women/4500#.XMGkWKmfbEA.facebook यौन शोषण की शिकार स्त्री की फरियाद: षड्यंत्र और न्यायपालिका के संकट! अरविंद जैन
https://janchowk.com/Beech-Bahas/election-pmmodi-issues-corporate-capital-opposition/4522#.XMlBJXCXRLI.facebook आम चुनाव: किस तरफ जा रहा है राष्ट्र? लेख अरविंद जैन
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