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इम्यूनिटी क्या है इसे कैसे बढ़ाएं ?

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इम्यूनिटी पावर हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को दर्शाती है। इम्यूनिटी पावर से ही पता चलता है कि आप कितने ताकतवर हैं, कितने बलशाली हैं, और शारीरिक तौर पर आप कितने स्वस्थ हैं, क्योंकि इम्यूनिटी पावर हमें सभी तरह के संक्रमण, इंफेक्शन या फिर आज के दौर की महामारी कोरोनावायरस[१] ही क्यों ना हो, इन सभी से हमारी रक्षा करती है। इसी को हम इम्यूनिटी पावर अर्थात हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कहते हैं।

इम्यूनिटी के प्रकार[सम्पादन]

महज इम्युनिटी के तीन प्रकार होते है:-

  • १ - एक जो हमें जन्म से मिलती है।
  • २ - दूसरे प्रकार की इम्यूनिटी मौसम के कारण होती है।
  • ३ - तीसरी- युक्ति के कारण जो इम्यूनिटी होती है।


पहली दो में हम केवल बचाव करने के अलावा  ज्यादा कुछ कर नहीं कर सकते लेकिन जो तीसरी है, युक्ति के कारण जो हमारी इम्यूनिटी होती है, इसका मतलब है कि जो हमारे खान-पान के कारण हमारी इम्यूनिटी होती है, हम उसको पूरी तरह से सुधार सकते हैं।


इम्यूनिटी[२] पावर हमारी रोगों से लड़ने की क्षमता को दर्शाती है, इसीलिए आज जोर शोर से इम्यूनिटी पावर को बढ़ाने की चर्चा चारों तरफ है, क्योंकि अभी तक कोरोनावयरस की कोई दवाई नहीं खोजी गई है, और इससे आप अपनी इम्यूनिटी पावर को बढ़ाकर और साथ ही साथ सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन करके ही बचे रह सकते हैं।


आजकल हर कोई यह कहता फिर रहा है, कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए यह खा लो, वह खा लो, एलोवेरा पी लो, गिलोय पी लो, आंवला खा लो, अदरक खा लो, नींबू खा लो, लहसुन खा लो या बहुत सारी कंपनियां कह रही हैं, हमारा प्रोडक्ट यूज़ करो इम्यूनिटी बढ़ जाएगी।


लेकिन क्या आपको पता है इम्यूनिटी पावर को बढ़ाने वाली चीजें खाने से पहले एक और चीज बहुत जरूरी होती है जिसका हम पालन नहीं करते, फल स्वरुप हम बार-बार बीमार पड़ते रहते हैं और हमारी इम्यूनिटी पावर भी नहीं बढ़ पाती।


आयुर्वेद में भी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए रसायन औषधियों के बारे में बताया गया है, रसायन औषधि से मतलब यह नहीं कि आप कोई भी केमिकल खा लें, बल्कि रसायन औषधि का मतलब है जो आपके शरीर की ताकत को बढ़ाती हैं, दिमाग की ताकत बढ़ती हैं, आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है, जो आपको लंबे समय तक जवान बनाए रखती हैं। इन औषधियों को ही आयुर्वेद में रसायन औषधि कहा गया है।


लेकिन इन रसायन औषधियों का सेवन करने से पहले आयुर्वेद में कुछ नियम कहे गए हैं जैसे कि -


  • १ - आपका शरीर अंदर से साफ होना चाहिए मतलब अंदर कुछ भी टॉक्सिंस/ गन्दगी नहीं होने चाहिए जैसे आप आमतौर पर उल्टा सीधा खाते रहते हैं, तो आपको आम बनने लगता है, एसिडिटी, तेजाब, गैस, कब्ज आदि विकार नहीं होने चाहिए।
  • २ - हमारी जठराग्नि अर्थात हमारी पाचन शक्ति मजबूत होनी चाहिए।


इम्यूनिटी का दुश्मन[सम्पादन]

सबसे पहले इस बात को समझना जरूरी है कि आप में से बहुत से लोग क्यों बार-बार बीमार होते हैं या कोई भी बीमारी आने पर सबसे पहले आपको इंफेक्शन होने के चांसेस क्यों बढ़ जाते हैं या मौसम बदलते ही क्यों आप परेशान हो जाते हैं ‌।


इन सब का सीधा संबंध हमारी अग्नि ( जठराग्नि ), अर्थात हमारी पाचन शक्ति से है, और आपकी इम्यूनिटी की सबसे बड़ी दुश्मन यही अग्नि है, अगर आपकी अग्नि मंद है तो आप कभी भी अपनी इम्यूनिटी पावर को नहीं बढ़ा सकते।


जब आप आयुर्वेद के ग्रंथ चरक संहिता को पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि अग्नि के क्या-क्या फायदे हैं। चरक चिकित्सा में कहा गया है कि आदमी का बल, ताकत, वर्ण अर्थात शरीर का रंग, वह कितना लंबा जिएगा अर्थात उसकी आयु, स्वस्थ रहेगा या बीमार रहेगा। यह सब कुछ हमारी जठराग्नि डिसाइड अर्थात तय करती है।


चरक ऋषि ने कहा है की " शांतव अग्नि मरयते: " अर्थात जिसकी अग्नि शांत हो जाती है वह परलोक सिधार जाता है, मर जाता है।

बात फिर वहीं आ गई कि आपकी इम्यूनिटी पावर डायरेक्ट-इनडायरेक्ट आपकी अग्नि से जुड़ी हुई है।


आप इसे ऐसे समझिए कि हमारी इम्यूनिटी बढ़ाने वाले सेल हों या शरीर का निर्माण करने वाले अन्य सेल हों सभी के सभी का निर्माण हमारे आहार से होता है, और आहार का फायदा कब मिलता है, जब वह अच्छे से हजम होता है, डाइजेस्ट होता है, और खाना डाइजेस्ट कब होता है जब हमारी जठराग्नि सही होती है अर्थात हमारी पाचन शक्ति ठीक तरह से काम करती है।


एक अन्य उदाहरण से समझिए  मान लीजिए अगर कोई अपना शरीर बनाने के लिए तीखी चीजें ही खाते जाएं तो क्या होगा, उसे गुस्सा बहुत आएगा, चिड़चिड़ापन रहेगा और अगर वह हैवी अर्थात भारी आहार- फास्ट फूड ज्यादा खाएगा तो क्या होगा उसे आलस बहुत आएगा, मोटापा बढ़ता जाएगा आदि यह सब चीजें होंगी इसका मतलब आप जो खाते हैं वही डिसाइड करते हैं कि आपका शरीर कैसे बनेगा वो स्ट्रांग अर्थात ताकतवर बनेगा कि कमजोर बनेगा आपकी इम्यूनिटी पावर कैसी होगी यह सारी चीजें आप की अग्नि पर निर्भर करती हैं।

गलतिया[सम्पादन]

भोजन को लेकर दो अहम गलतिया:-

  • १ एक तो भूख होने पर भी खाना ना खाना हालांकि ऐसे बहुत कम लोग ही होंगे जो भूख होने पर भी खाना नहीं खाते। ऐसे लोगों की सभी धातुएं कमजोर होती जाती हैं और वे कमजोरी का अनुभव करने लगते हैं।


  • २ दूसरा वे लोग जो पूरा दिन खाते ही रहते हैं, अभी कुछ खाया और पहला खाया हुआ हजम हुआ नहीं कि फिर से कुछ खा लिया, क्योंकि खाना हजम करने के लिए 2 पहर अर्थात 3 से 6 घंटे का समय चाहिए होता है, अगर पित्त प्रकृति वाला व्यक्ति है या बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करने वाले व्यक्ति हैं तो आपका खाना दो से 4 घंटे में हजम हो सकता है और आप उसके बाद खाना खा सकते हैं दोबारा से, लेकिन ऐसे सभी लोग जो हर दूसरे तीसरे घंटे कुछ न कुछ खाते रहते हैं,पहला हजम होने नहीं देते और ऊपर से कुछ और खा लेते हैं, और जब यह प्रक्रिया वह लंबे समय तक दोहराते रहते हैं, यानी कि रोजाना वह ऐसा करते हैं।


तो ऐसे सभी लोगों को आम बनना शुरू हो जाता है, यहां आम से मतलब खाने वाले आम से नहीं है, बल्कि जो हमारे पेट में खाना हजम ना होने से बनता है उसे आम कहते हैं यह एक प्रकार का विष है, आप इसे टॉक्सिंस के नाम से भी जानते हैं।

आप ऐसे समझिए[सम्पादन]

जब हम खाना खाते हैं तो वह हमारी जठराग्नि के द्वारा हजम होता है, और उसके दो भाग बनते हैं, एक सार भाग और एक किट भाग।

सार भाग वह है जिससे हमारी सप्त धातु का निर्माण होता है, अर्थात हमारे शरीर का निर्माण होता है।

सप्त धातु[सम्पादन]

  • रस ( Plasma )
  • रक्त ( Blood RBC )
  • मांस ( Muscles )
  • मेद ( Adipose tissue )
  • अस्थि ( Bone & Cartilage )
  • मज्जा ( Nerve )
  • शुक्र ( Reproductive System)


इस सप्त धातु के निर्माण के बाद एक अष्ट धातु का निर्माण होता जिसको हम ओज कहते हैं। जो आपके चेहरे पर दिखाई देता है, कि आपका चेहरा कितना गलौ कर रहा है, इसी से डिसाइड होता है कि आपकी इम्यूनिटी कैसी होगी।

तथा किट भाग वह होता है, जो मल के रूप में बाहर निकल जाता है।


तो अगर आप सोचते हैं कि मैं गिलोय खा लूंगा, आंवला खा लूंगा, लहसुन खा लूंगा, या आयुर्वेद की कोई भस्म खा लूंगा, स्वर्ण भस्म खा लूंगा, हीरक भस्म खा लूंगा और मेरी इम्यूनिटी बढ़ जाएगी तो आपका ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। क्योंकि जब तक आप पथ्य का पालन नहीं करेंगे तब तक आप की इम्यूनिटी अच्छी नहीं होगी और आप जल्दी-जल्दी संक्रमण का शिकार होंगे या जल्दी-जल्दी बीमार पड़ते रहेंगे।


तो सच में अगर आप अपनी इम्यूनिटी बढ़ाना चाहते हैं, तो इम्यूनिटी बढ़ाने वाली चीजों या औषधियों को लेने से पहले खानपान के नियमों का पालन करें और अपनी जठराग्नि को ठीक करें, अर्थात अपनी अग्नि को ठीक रखें और उसके बाद ही इम्यूनिटी बढ़ाने वाली दवाओं का सेवन करेंगे, तो आपको जरूर लाभ होगा।

भोजन करने के नियम[सम्पादन]

  • 1- अगर आप पित्त प्रकृति वाले हैं तो आप 3 से 4 घंटे बाद भी भोजन कर सकते हैं।
  • 2- अगर आप बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं तो आप भी दो से 3 घंटे बाद कुछ न कुछ खा सकते हैं।
  • 3- लेकिन अगर आप ज्यादा मेहनत नहीं करते हैं या आपका सिटिंग जॉब है, अर्थात बैठे रहने का काम है, तो आप पूरे दिन में दो से तीन बार ही खाना खाएं।


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