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ईदगाह (श्रीकृष्‍ण जन्‍मस्‍थान)

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जिस जगह पर आज कृष्‍ण जन्‍मस्‍थान है, वह पांच हजार साल पहले मल्‍लपुरा क्षेत्र के कटरा केशव देव में राजा कंस का कारागार हुआ करता था। इसी कारागार में रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को भगवान कृष्‍ण ने जन्‍म लिया था।

-इतिहासकार डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल ने कटरा केशवदेव को ही कृष्ण जन्मभूमि माना है। विभिन्न अध्‍ययनों और साक्ष्यों के आधार पर मथुरा के राजनीतिक संग्रहालय के दूसरे कृष्णदत्त वाजपेयी ने भी स्वीकारा कि कटरा केशवदेव ही कृष्ण की असली जन्मभूमि है।[१]

इति‍हासकारों के अनुसार, सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा बनवाए गए इस भव्य मंदिर पर महमूद गजनवी ने सन 1017 ई. में आक्रमण कर इसे लूटने के बाद तोड़ दिया था।

कृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ ने बनवाया था पहला मंदिर

- जनमान्‍यता के अनुसार, कारागार के पास सबसे पहले भगवान कृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ ने अपने कुलदेवता की स्मृति में एक मंदिर बनवाया था।

- आम लोगों का मानना है कि‍ यहां से मिले शिलालेखों पर ब्राहम्मी-लिपि में लिखा हुआ है। इससे यह पता चलता है कि यहां शोडास के राज्य काल में वसु नामक व्यक्ति ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर एक मंदिर, उसके तोरण-द्वार और वेदिका का निर्माण कराया था।


विक्रमादित्य ने बनवाया था दूसरा बड़ा मंदिर


- इतिहासकारों का मानना है कि सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल में दूसरा मंदिर 400 ईसवी में बनवाया गया था। यह भव्‍य मंदिर था।

- उस समय मथुरा संस्कृति और कला के बड़े केंद्र के रूप में स्थापित हुआ था। इस दौरान यहां हिन्दू धर्म के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्म का भी विकास हुआ था।[१]


आस-पास बौद्ध आस्‍था का भी केंद्र बना


- इस दौरान मथुरा के आसपास बौद्धों और जैनियों के भी विहार और मंदिर भी बने।

- इन निर्माणों के प्राप्त अवशेषों से यह पता चलता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान उस समय बौद्धों और जैनियों के लिए भी आस्था का केंद्र रहा था।[१]


वि‍जयपाल देव के शासनकाल में बना तीसरा बड़ा मंदिर, सिकंदर लोदी ने तुड़वाया

- खुदाई में मिले संस्कृत के एक शिलालेख से पता चलता है कि 1150 ईस्वी में राजा विजयपाल देव के शासनकाल के दौरान जाट शासक जाजनसिंह (जज्ज) ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर एक नया मंदि‍र बनवाया था। इनके नाम पर जाजन पट्टी रेलवे स्टेशन है।

- उसने विशाल और भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर को 16वीं शताब्दी के शुरुआत में सिकंदर लोदी के शासन काल में नष्ट कर डाला गया था।[१]


जहांगीर के शासनकाल में चौथी बार बना मंदिर, औरंगजेब ने तुड़वाया

- इसके लगभग 125 वर्षों बाद जहांगीर के शासनकाल के दौरान ओरछा के राजा वीर सिंह देव बुंदेला ने इसी स्थान पर चौथी बार मंदिर बनवाया।

- कहा जाता है कि इस मंदिर की भव्यता से चिढ़कर औरंगजेब ने सन 1669 में इसे तुड़वा दिया और इसके एक भाग पर ईदगाह का निर्माण करा दिया।

- यहां प्राप्त अवशेषों से पता चलता है कि इस मंदि‍र के चारों ओर एक ऊंची दीवार का परकोटा मौजूद था। मंदिर के दक्षिण पश्चिम कोने में एक कुआं भी बनवाया गया था।

- इस कुएं से पानी 60 फीट की ऊंचाई तक ले जाकर मंदि‍र के प्रांगण में बने फव्‍वारे को चलाया जाता था। इस स्थान पर उस कुएं और बुर्ज के अवशेष अभी तक मौजूद है।

[१]


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