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उत्तर-आधुनिकतावाद

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आधुनिकतावादी की तरह उत्तर आधुनिकतावाद एक जटिल प्रत्यय है, जिसकी रूपरेखा को अस्पष्ट नहीं किया जा सकता पर पश्चिमी विचारकों में विशेषकर अमेरिकी विचारकों ने एक सीमा तक इसे विश्लेषित करने का प्रयास किया हैं। मानव जीवन पर उत्तर आधुनिकता का प्रभाव गहरा रहा है। तकनीक इस प्रभाव के माध्यम रहे हैं। यह प्रभाव वैश्विक एवं क्षेत्रीय दोनों स्तर पर रहा है। क्षेत्र-विशेष की संस्कृतियां उत्तर-आधुनिकता के प्रभाव में आकर अपना अस्तित्व खो रही है और एक विश्व-संस्कृति का निर्माण हो रहा है। आधुनिकता के प्रभाव से मनुष्य के संबंध बदल रहे हैं, भाषा बदल रहे हैं और रहने का ढंग बदल रहा है। यह परिवर्तन अत्यंत तीव्र गति से हो रहा है। कृष्ण दत्त पालीवाल के शब्दों में - "नयी-नयी बौद्धिक तकनीकों ने पूरे समाज को नियंत्रित कर लिया है। तकनीक ने सब कुछ बदल दिया। पुराना ज्ञान-विज्ञान, अर्थ-तंत्र आदि।"


उत्तर-आधुनिकता ने आधुनिकता के सारे सिद्धांतों को एक नया मोड़ दियाा। आज उत्तर आधुनिक तकनीक ने साहित्य, संस्कृति, कला आदि के स्वरूप को बदल दिया है। जैसे ही उत्तर आधुनिकता भारत में आए उसने भारतीय समाज व्यवस्था की जड़ें हिला दी। इंद्रनाथ चौधरी ने भारत में उत्तर आधुनिकता की शुरुआत को लेकर कहते हैं कि - "भारतीय परिपेेेक्ष्य मेंं उत्तर आधुनिकता मीडिया-संचालीत एवं बाजार-निर्देशित तथ्यों की क्रिया के रूप में सामने आई हैं।"

उत्तर आधुनिकता का प्रचलन एक-दो दशक पूर्व से होने लगा है। बीसवीं सदी के सातवें और आठवें दशक में सबसे पहले वस्तु कला के क्षेत्र में इसके दर्शन होते हैं। के लोकप्रिय बनाने का श्रेय 'रॉबर्ट बैतुरी' और 'जेम्स स्टॉलिंग 'को जाता है। उन्होंने इसका प्रयोग वस्तु कला की अंतरराष्ट्रीय शैली के विरोध में कियाा। इसी क्षेत्र में आधुनिकता की मृत्यु की घोषणा की गई। कुछ विद्वानों ने उत्तर आधुनिकता को आधुनिकता का विस्तार माना हैैै। उनका मानना है कि उत्तर आधुनिकता का जन्म आधुनिकता की अगली कड़ी के रूप में हुआ है। उत्तर आधुनिकता केे प्रमुख प्रवक्ता का कहना है कि - "उत्तर आधुनिकता आधुनिकता का आखिरी बिंदु नहीं है, बल्कि इसमें मौजूद एक नया बिंदु है और यह दशा लगातार है।"

इसमें हम कह सकते हैं कि उत्तर आधुनिकता सर्वत्र फैला हुआ है। समग्र विश्व के कला, साहित्य दर्शन, इतिहास, मनोविज्ञान, संस्कृति आदि सभी क्षेत्रों पर इसने अपनी जड़े जमायी हैं। इसी कारण लियोनार्ड ने कहा है कि - "उत्तर आधुनिकतावाद आधुनिकता के भीतर की एक प्रवृत्ति है, जो किसी चीज पर विलाप नहीं करती है।"

आधुनिकता ने समग्र विश्व पर अपना प्रभाव छोड़ा हैै। भारत भी उसके प्रभाव से अछूता नहीं रहा। जैसे आधुनिकता भारत में आई वैसेे ही उत्तर आधुनिकता भारत में आई। उत्तर आधुनिकताा का सर्वाधिक प्रभाव यह रहा कि


केंद्रीय वाद पर सीधा प्रहार किया और केंद्रीय सत्ता को तहस-नहस कर दिया। उत्तर आधुनिकता का व्याप इतना है कि उसने मानव जीवन से जुड़े हुए हर पहलू पर अपना प्रभाव छोड़ा है। उत्तर आधुनिकता की व्यापकता ने संपूर्ण विश्व केे साहित्य के स्वरूप एवं समीक्षा-प्रणाली को परिवर्तित कर दिया है।





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