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उद्धव दास बैरागी

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उद्धव दास बैरागी मथुरा के क्रांतिकारी साधु थे इन्होंने अपने शिष्यों के साथ मिलकर काजी अब्दुल मुकर्रम[१] को मौत के घाट उतार दिया। जिस कारण औरंगजेब ने उद्धव दास बैरागी को बंदी बना ‌लिया और उसके बाद मौत की सजा दी[२]

इतिहास[सम्पादन]

सन् 1669 में हिंदुस्तान पर औरंगजेब का राज था। हिंदुओं को जबरन मुसलमान बनाया जा रहा था। मथुरा में काजी अब्दुल मुकर्रम हर रोज सैकड़ों हिंदुओं के जनेऊ उतरवाकर, उन्हें जबरन मुसलमान बना देता था। ऐसे में एक बैरागी संत उद्धव दास बहुत चिंतित थे। कई दिनों तक वह यह कुकर्म देखते रहे अंत में उनसे रहा नहीं गया। एक दिन सुबह सुबह उन्होंने अपने दो शिष्यों के साथ मिलकर काजी अब्दुल मुकर्रम को मौत के घाट उतार दिया। पूरे राज्य में सनसनी फैल गई। औरंगजेब ने उद्धव दास बैरागी को जून 1669 में मौत को सजा दी। उद्धव दास बैरागी को फांसी की सजा का जमकर विरोध हुआ और जाटों ने भी विद्रोह कर दिया।‌‌ कहा जाता है कि 1669 के जाट विद्रोह का मुख्य कारण औरंगजेब द्वारा दी गई उद्धव दास बैरागी को फांसी की सजा थी इस तरह से उद्धव दास बैरागी ने सनातन धर्म की रक्षा करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

सन्दर्भ[सम्पादन]

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