उमा संहिता
उमा संहिता (शिवपुराण) में भगवान शिव के लिए तप, दान और ज्ञान का महत्व समझाया गया है। [१] यदि निष्काम कर्म से तप किया जाए तो उसकी महिमा स्वयं ही प्रकट हो जाती है. अज्ञान के नाश से ही सिद्धि प्राप्त होती है। ‘शिवपुराण’ का अध्ययन करने से अज्ञान नष्ट हो जाता है. इस संहिता में विभिन्न प्रकार के पापों का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि कौन-से पाप करने से कौन-सा नरक प्राप्त होता है. पाप हो जाने पर प्रायश्चित्त के उपाय आदि भी इसमें बताये गये हैं। [२] ‘उमा संहिता’ में देवी पार्वती के अद्भुत चरित्र तथा उनसे संबंधित लीलाओं का उल्लेख किया गया है. चूंकि पार्वती भगवान शिव के आधे भाग से प्रकट हुई हैं और भगवान शिव का आंशिक स्वरूप हैं, इसीलिए इस संहिता में उमा महिमा का वर्णन कर अप्रत्यक्ष रूप से भगवान शिव के ही अर्द्धनारीश्वर स्वरूप का माहात्म्य प्रस्तुत किया गया है। [३]
'उमा संहिता' में देवी पार्वती के अद्भुत चरित्र तथा उनसे संबंधित लीलाओं का उल्लेख किया गया है। इसके आरम्भ में शिव-शिवा द्वारा श्रीकृष्ण को अभीष्ट वर देने की कथा है। तदंतर यमलोक की यात्रा, एक सौ चालीस नरकों, नरकों में गिराने वाले पापों और उसके फलस्वरूप मिलने वाली नरक यातनाओं का वर्णन कर मृत्यु के बाद के गूढ़ रहस्य का प्रतिपादन किया गया है।[४]
अध्ययन सूचि[सम्पादन]
- भगवान् श्रीकृष्ण के तप से संतुष्ट हुए शिव और पार्वती का उन्हें अभीष्ट वर देना तथा शिव की महिमा
- नरक में गिराने वाले पापों का संक्षिप्त विवरण[५]
- पापियों और पुण्यात्माओं की यमलोक यात्रा[६]
- नरकों की अट्ठाईस कोटियों तथा प्रत्येक के पाँच-पाँच नायक के क्रम से एक सौ चालीस रौरवादि नरकों की नामावली
- विभिन्न पापों के कारण मिलने वाली नरकयातना का वर्णन[७]
- यमलोक के मार्ग में सुविधा प्रदान करने वाले विविध दानों का वर्णन
- जलदान, जलाशय-निर्माण, वृक्षारोपण, सत्यभाषण और तपकी महिमा
- वेद और पुराणों के स्वाध्याय तथा विविध प्रकार के दान की महिमा[८]
- मृत्युकाल निकट आने के कौन-कौनसे लक्षण हैं, इसका वर्णन
- काल को जीतने का उपाय, नवधा शब्दब्रह्म एवं तुंकार के अनुसंधान और उससे प्राप्त होने वाली सिद्धियों का वर्णन
- काल या मृत्यु को जीतकर अमरत्व प्राप्त करने की चार यौगिक साधनाएँ
- भगवती उमा के कालिका-अवतार की कथा, समाधि और सुरथ के समक्ष मेधा का देवी की कृपासे मधुकैटभ के वध का प्रसंग सुनाना
- सम्पूर्ण देवताओं के तेज से देवी का महालक्ष्मी रूप में अवतार और उनके द्वारा महिषासुर का वध
- देवी उमा के शरीर से सरस्वती का आविर्भाव, उनके रूप की प्रशंसा सुनकर शुम्भ का उनके पास दूत भेजना, दूत के निराश लौटने पर शुम्भ का क्रमशः धूम्रलोचन, चण्ड, मुण्ड तथा रक्तबीज को भेजना और देवी के द्वारा उन सबका मारा जाना[९]
- देवी के द्वारा सेना और सेनापतियों-सहित निशुम्भ एवं शुम्भ का संहार
- देवताओं का गर्व दूर करने के लिये तेजः पुंज रूपिणी उमा का प्रादुर्भाव
- देवी के द्वारा दुर्गमासुर का वध तथा उनके दुर्गा, शताक्षी, शाकम्भरी और भ्रामरी आदि नाम पड़ने का कारण
- देवी के क्रियायोग का वर्णन-देवी की मूर्ति एवं मन्दिर के निर्माण, स्थापन और पूजन का महत्त्व, परा अम्बा की श्रेष्ठता, विभिन्न मासों और तिथियों में देवी के व्रत, उत्सव और पूजन आदिके फल तथा इस संहिता के श्रवण एवं पाठ की महिमा[१०]
इन्हें भी देखें[सम्पादन]
बाहरी कड़ियाँ[सम्पादन]
{{{author}}}, शिवपुराण उमा संहिता, वेद पुराण, [[{{{date}}}]].
सन्दर्भ[सम्पादन]
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- ↑ {{{author}}}, शिवपुराण कथा, प्रभात खबर, [[{{{date}}}]].
- ↑ {{{author}}}, शिवपुराण, रीलीजन वर्ल्ड, [[{{{date}}}]].
- ↑ {{{author}}}, शिवपुराण, वेबदुनिया, [[{{{date}}}]].
- ↑ {{{author}}}, शिवपुराण उमा संहिता, भारत डिस्कवरी, [[{{{date}}}]].
- ↑ {{{author}}}, शिवपुराण उमा संहिता, गूगल बुक्स, [[{{{date}}}]].
- ↑ {{{author}}}, शिवपुराण रहस्य, हिन्दू संस्कार, [[{{{date}}}]].
- ↑ {{{author}}}, शिवपुराण, वेबदुनिया, [[{{{date}}}]].
- ↑ {{{author}}}, शिवपुराण रहस्य, ईबुक, [[{{{date}}}]].
- ↑ {{{author}}}, शिवपुराण कथा, यूट्यूब, [[{{{date}}}]].
- ↑ {{{author}}}, शिवपुराण कथा, प्रभात खबर, [[{{{date}}}]].