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कुशवाहा (कोइरी) बिहार

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कुशवाहा /कोइरी जाति एक क्षत्रिय सूर्यवंशी कुशवंशी शाक्यकुलीन मौर्यवंशी है । वर्तमान में कोइरी कुशवाहा तीन (कोइरी/मौर्य , काछी/शाक्य तथा मुराव ) जाति के शाखाओं में बँटा हुआ है। कोइरी/कुशवाहा एक भारतीय उपमहाद्वीप की मूलनिवासी जाति है। जो बौद्ध काल से खतिय्य/क्षत्रिय हैं जो प्रमुख रुप जमींदार थे और अपने खेतों में मजदूरों से खेती करवाते थे । वर्तमान में यह समुदाय कृषि क्षेत्र में बहुत अहम भूमिका निभाता है । बहुत से लोगो को यह लगता है कि कच्छवाहा राजपूत जातियां और कोइरी/कुशवाहा क्षत्रिय जाति एक ही है लेकिन यह सब राजनीति है । अंग्रेज इतिहासकार (टॉड ) ने कोयरी/मौर्य को और मोरी राजपूत को मौर्य शब्द का अपभ्रंस शब्द बताया हैं जिससे लोग मोरी राजपूत को मौर्यवंशी समझ बैठे जो बिल्कुल निराधार है , तक्षक मोरी राजपूत नागवंशी परमार वंश की एक शाखा हैं न कि मौर्य वंश से संबंधित है । कच्छवाहा लोगों का अस्तित्व राजपूतों से जुड़ा है। ये एक राजपूत(क्षत्रिय) हैं और कोइरी/कुशवाहा, कोइरी/मौर्य , काछी/शाक्य और मुराव आदि जातियां गैर राजपूत क्षत्रिय जातियां है। कच्छवाहा राजपूत मध्य कालीन भारत में शुद्ध क्षत्रिय राजाओं के सामंत और सिपाही थे उनके पतन के बाद में इन्होंने राजस्थान में साशन किया और इन्हें राजस्थान में कछवाह भी कहा जाता है। कच्छवाहा राजपूत ने अपने दरबारियों जबरदस्ती से खुद को कुशवंशी बताने और इसके बारे में लिखने को कहा और रघुकुल तिलक नाम से एक सिलापट्ट भी लिखवाया । लेकिन ये मात्र झूठ के पहाड़ और पुलिंदा मात्र से ज्यादा कुछ भी नहीं है , सिर्फ़ क्षत्रिय कोइरी/कुशवाहा ही असली कुशवंशी हैं न कि फर्जी कच्छवाहा राजपूत ।

कोइरी जाति को खेती कार्य को करने के परिणाम स्वरूप अंग्रेजो ने जाती व्यवस्था को अध्यन कर इन्हें वैश्य कहा परन्तु ये एक क्षत्रिय राजपूत जाति है। ये जनेऊ धारण भी करते हैं। बहुत सारे लोगों के दुष्प्रचार के कारण कोइरी/कुशवाहा और कच्छवाहा राजपूत को समान समझने लगे हैं परन्तु ये बिल्कुल ही गलत है। ये आज भी राजपूत रीति रिवाजों का अनुसरण करते हैं। इनकी कुल देवी श्री जमवाय माता जी हैं। इनका गोत्र मानव है। इनका प्रवर वशिष्ठ है। राजस्थान के जयपुर में ये आज भी स्वयं को कच्छवाहा , शेखावत चुंडावत इत्यादि लिखते हैं । एक भी कोइरी/कुशवाहा , कच्छवाहा राजपूतों से संबंध नहीं रखता है इसका प्रमाण कच्छवाहा राजपूत की शाखाओं को जानकर लगाया जा सकता है ।इनका संबंध सिर्फ़ जयपुर के कच्छवाहा राज घराने से हैं न कि गैर राजपूत क्षत्रिय कोइरी कुशवाहा से हैं । ये दरअसल सिर्फ़ कच्छवाहा राजपूत वंश से संबंधित राजपूत जाति से हैं।

सन्दर्भ[सम्पादन]




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