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कैसे हो रहा वायु प्रदूषण

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प्रिय पाठको पहले लेख में हमने जल प्रदूषण के बारे में जाना था । अब हम बात करते हैं वायु  प्रदूषण की, जैसा कि हम सब जानते हैं कि हर मनुष्य जीव जंतु एवं हमारी वनस्पति हमारे वातावरण में मौजूद वायु पर निर्भर करते हैं और अगर यह वायु  दूषित हो तो इसके क्या परिणाम हो सकते हैं । आइए सबसे पहले यह जानने की कोशिश करते हैं, कि आखिर यह वायु प्रदूषण क्या है । वह सब तरह के  तत्व जो कि  मनुष्य,जीव-जन्तुओ एवं प्रकृति  के लिए हानिकारक हो और इस वातावरण में पाए जाते हों तथा जिनका हमारे भौगोलिक ढाँचे पर बुरा असर पड़े  उन्हें हम प्रदूषण तत्व कहते हैं । यह दो प्रकार के होते हैं । जिन्हें हम प्रथम (primary pollutants) और द्वितीय (secondary pollutants) श्रेणी के प्रदूषण तत्वों के नाम से जानते हैं । प्रथम श्रेणी के प्रदूषण तत्व वह होते हैं, जो किसी भी प्रदूषण स्त्रोत से सीधे तौर पर निकलते हैं तथा द्वितीय श्रेणी के प्रदूषण तत्व वह होते हैं, जो हमारे वायुमंडल में उपस्थित प्रथम श्रेणी के तत्वों की सूरज की किरणों के साथ या फिर किसी भी कारण से हुई रसायनिक क्रिया एवं प्रतिक्रिया से पैदा हो ।

और अब अगर हम बात करें इन प्रदूषित तत्वों के स्रोतों की तो वह भी दो प्रकार के होते हैं । पहले प्रकार के तत्व स्रोत  प्राकृतिक (natural sources) कहलाते हैं तथा दूसरी तरह के तत्व स्रोत मानवजनित(anthropogenic sources) कहलाते हैं । प्राकृतिक तत्व वह होते है जो सीधा प्राकृतिक स्रोतों से निकलते हों तथा मानवजनित तत्व वह होते हैं जो मनुष्य के द्वारा पैदा किए गए हैं । अब हम इन दोनों प्रकार के तत्वों के स्रोतों को विस्तार से जानते हैं । पहले प्रकृतिक स्रोतों के बारे में जानते हैं । प्राकृतिक प्रदूषण तत्व के स्रोतों में  ज्वालामुखी, जंगल में लगी आग, तथा बहुत सारे प्राकृतिक आपदाओं के कारण निकले धुए से एवं  जानवरों के गलने व सड़ने से जो जहरीले तत्व हमारे वातावरण में प्रवेश कर जाते हैं, और हमारे  वातावरण को दूषित कर देते हैं । वह प्राकृतिक प्रदूषण कहलाता है । अब अगर हम बात करें मानवजनित प्रदूषण तत्वों की तो जो धुँआ हमारे कारखानों  से निकलता है, उसमें यह सब तत्व पाए जाते हैं । दूसरा हमारे वाहनों से जो धुआँ निकलता है, वह भी प्रदूषण का कारण है । घरों में लकड़ी या फिर किसी भी प्रकार का इंधन जलाने से या फिर किसी भी प्रकार का कूड़ा करकट जलाने से जो धुआँ निकलता है वह सब प्रदूषण का कारण होता है । यह तो सब प्रदूषण के स्रोतों के बारे में जानकारी थी ।

प्रथम श्रेणी के प्रदूषण तत्वों  में पाए जाने वाले तत्व में मुख्य तौर पर सल्फर ऑक्साइड यानि सल्फर डाई-ऑक्साइड सल्फर ट्राई-ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइडस यानि नाइट्रोजन मोनो-ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड एवं कार्बन ऑक्साइडस यानि कार्बन मोनो-ऑक्साइड, कार्बन डाई-ऑक्साइड आदि । इन सबके अलावा जो भी सूक्ष्म कण जिनका आकार 0.01 माइक्रोमीटर से 10 माइक्रोमीटर तक हो और वह हमारे वायुमंडल में पाए जाएँ वह प्रथम श्रेणी के प्रदूषित तत्व कहलाते हैं । किसी भी प्रकार का धुआँ एवं धुंध जो हमारे वायुमंडल में पाई जाए वह भी प्रथम श्रेणी के प्रदूषण में आते है । घरों एवं कारखानों से निकलता धुआँ खेतों में जलाए गए फसल के अवशेष तथा अस्पतालों से निकला कचरा जलाने से निकला धुआँ यह सब प्रथम श्रेणी के प्रदूषण में आता है ।अब अगर हम बात करें दूसरी श्रेणी के प्रदूषण तत्वों की तो जो प्रदूषण तत्व प्रथम श्रेणी के तत्वों का आपस में मिलकर क्रिया करने के बाद जो प्रदूषित तत्व बनते हैं उन्हें हम दूसरी श्रेणी के प्रदूषण तत्व कहते हैं । अगर उदाहरण के तौर पर बात करें तो वातावरण में उपस्थित वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (volatile organic compounds), नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, कार्बन ऑक्साइड एवं ओजोन की क्रिया एवं प्रतिक्रिया से जो भी प्रदूषित तत्व पैदा होते हैं एवं इसके अलावा जो भी प्रदूषित तत्व आपस में क्रिया करके नये प्रदूषित तत्व पैदा करें उन्हें हम दूसरे दर्जे  के प्रदूषित तत्व कहते हैं । यह सब प्रदूषित तत्व किस प्रकार से हमारे शरीर पर और हमारे  वातावरण पर और हमारे जीव-जंतुओं पर असर करते हैं इसे  और अधिक  गहराई से जानने की जरुरत है ।

अभियंता राजेश कुमार  काम्बोज

अधिस्नातक  पर्यावरण विज्ञानं एवम् अभियांत्रिकी


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