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गुरु कल्कि

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गुरु ज्ञान

लोभ, क्रोध, मोह, माया का त्याग करें, किसी भ्रम में नहीं रहें -

लोभ का त्याग करें - किसी भी चीज की चाहत में गलत निर्णय नहीं लें - मित्र हो या शत्रु या कोई और हो कभी दंड नहीं दें - न्याय करें अन्याय नहीं दंड मुक्त करें

क्रोध का त्याग करें - कभी क्रोध नहीं करें और ना ही क्रोध में कोई निर्णय लें यह हमेशा गलत ही होगा - मित्र हो या शत्रु या कोई और हो कभी दंड नहीं दें - न्याय करें अन्याय नहीं दंड मुक्त करें

मोह का त्याग करें - पारिवारिक या सांसारिक मोह में पड़ कर कोई गलत निर्णय नहीं लें - मित्र हो या शत्रु या कोई और हो कभी दंड नहीं दें - न्याय करें अन्याय नहीं दंड मुक्त करें

माया(धन) का त्याग करें - अर्थात धन की चाहत में कभी गलत निर्णय नहीं लें-- मित्र हो या शत्रु या कोई और हो कभी दंड नहीं दें - न्याय करें अन्याय नहीं दंड मुक्त करें

क्योकिं सत्य क्या है अपनी आत्मा से तो पूछे - दंड देने वाले भी आप(मानव) ही है, और न्याय करने वाले भी आप(मानव) ही है फिर भी न्याय ही स्थान पर अन्याय करते आ रहें है।



"सब देवन का डेरा उठसे, निकलंक का डेरा रहेसे, अर्थात मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर आदि सब टूट जाएंगे" क्योकि सभी को सत्य का ज्ञान हो जायेगा सभी को जन्म देने वाला कोई एक है साईं के वचन है सब का मालिक एक है कल्कि यह कर के दिखाएंगे, और हाँ कल्कि का भी मंदिर या मूर्ति नहीं रहेगा क्योंकि उनका मानना है कल्कि एक गुरु है ज्ञान देना काम है किसी की मूर्ति बनाकर पूजों इसका ज्ञान कभी नहीं देंगे असली ज्ञान है - "मानना है तो उस शक्ति को मानों जिसने सब कुछ बनाया सब को बनाया बसाना है तो मन में बसाव मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर में नहीं पूजना है तो मन से पूजा करों, धुप, अगरबत्ती या मोमबत्ती से नहीं। स्थान देना है तो दिल में दो मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर में नहीं।"


वैष्णवी का परिचय - यही महामाया है, यहीं वैष्णवी है, यही जगदम्बा है, यहीं जगत-जननी है यही दुर्गा है यहीं काली है इन्हीं की शक्ति से कल्कि कल्युग को सत्ययुग में परिवर्तन करेंगे ।

कल्कि का जन्म - किसी भ्रम में नहीं रहें, गुरु-कल्कि का जन्म बिहार राज्य के औरंगबाद जिले के एक गांव मे 27 नवम्वर 1982 को चुका है, जन्म हिन्दू पंचांग विक्रम संवत के अनुसार् कार्तिक माह के 12 वे दिन हुआ है।

जन्म - किसी भ्रम में नहीं रहें, गुरु-कल्कि का जन्म बिहार राज्य के औरंगबाद जिले के एक गांव मे 27 नवम्वर 1982 को चुका है, जन्म हिन्दू पंचांग विक्रम संवत के अनुसार् कार्तिक माह के 12 वे दिन हुआ है।

जाति - ब्राहमण नहीं है, और ना ही उनका नाम कल्कि है।

ज्ञान और शक्ति - यह अपने गुरु से ज्ञान और शक्ति ग्रहण कर रहें है, 5 वर्षों में सम्पूर्ण हो जायेगा।

दर्शन होंगे - अभी संभव नहीं है 5 वर्षों बाद सब अपने आप जान जायेगे।

गुरु कल्कि के विशेष निर्देश - लोभ, क्रोध, मोह, माया का त्याग करें, किसी भ्रम में नहीं रहें।

गुरु का विशेष परिचय - अंधे को आँख, कोढ़ि को काया, बाँझ को पुत्र, निर्धन को माया देने मे सक्षम होगें और जो यह सब करने में असमर्थ हो वह गुरु-कल्कि नहीं हो सकता है यदि वह विष्णु के अवतार है तो क्या यह चार छोटे काम नहीं कर सकते बिल्कुल कर सकते है यही उनकी पहचान है और मानव के अंदर से लोभ, क्रोध, मोह, माया को निकाल बाहर करेंगे तथा सत्य का ज्ञान देंगे, उन्हें किसी तंत्र-मंत्र-यन्त्र की आवश्यकता नहीं होगी उनके नजर में शक्ति होगी, यदि वह किसी को मात्र देख ले तो वह ठीक हो जायेगा।

विशेष ज्ञान - वह कभी अपने आप को बड़ा नहीं कहेगे, और ना ही कभी किसी से कोई धन लेंगे यदि कोई गुरु-कल्कि बनकर धन की मांग करता है तो वह नकली है क्योकि जो अपने आप को विष्णु का अवतार कहता हो उसे धन लेना नहीं देना चाहिए, क्योकि कल्कि केवल देगे, लेगे कभि नहि यहि उनकी पहचान है।

काल्पनिक कथा - कल्कि के पास सात अश्व है, सत्य कि तल्वार है, पापी को नहि पाप(कल्युग) को सत्य कि तलवार(सत्य का ज्ञान) से अन्त करेगे, जब पाप हि नहि रहेगा तो पापी कहा से रहेगा, जब सभि सत्य के मार्ग पर चलना शिख जायेगे तो सत्युग का प्रारम्भ अपने आप हो जायेगा, और मुझे लगता है जो सत्य के मार्ग पर चल रहा है वह जल्द हि सत्युग मे प्रवेश कर जायेगा।

और यदि यह सत्य है कल्कि का जन्म हो चुका है और मै इस बात से भि सह्मत हु "विचारणीय विषय ये है कि ”सम्भल में कल्कि अवतार होगा या जहाँ कल्कि अवतार होगा वही सम्भल होगा।“ सम्भल का शाब्दिक अर्थ समान रूप से भला या शान्ति करना या शान्ति होना अर्थात जहाँ शान्ति व अमन हो या शान्ति फैलाने वाला हो, होता है।" समान रूप से भला या शान्ति करना या शान्ति होना अर्थात जहाँ शान्ति व अमन हो या शान्ति फैलाने वाला हो, अर्थात जहा सत्य हो सत्य का ज्ञान देने वाला गुरु हो वहि यह सब सम्भव है, अर्थात कल्कि गुरु के रुप मे होगे मुझे ऐसा लगता है, क्योकि सत्य का ज्ञान देने वाले को गुरु हि तो कहेगे और गुरु हि समान रूप से अच्छा एवम बुरे जिव दोनो का भला कर सकते है और सत्य का ज्ञान देकर शान्ति दे सकते है।

इसलिये मेरा मत है कल्कि गुरु होगे जो सत्य का ज्ञान देगे, तभि तो सत्युग का प्रारम्भ होगा, यह धन लेगे नही बल्कि देगे।



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