चंवरवंशी चमार
वीर चमार चंवरवंश के वीर सूर्यवंशी क्षत्रिय के नाम जाने जाते थे पर मुगलो ने जोर जबरदस्ती से इनको चमार नाम का दर्जा दिया क्योंकि चंवरवंश के सूर्यवंशी चंवरवंशी क्षत्रियो ने इस्लाम कबूल करने से साफ इंकार कर दिया उन्होंने कहा हम पशुओं की चमड़ी से जूता चप्पल बना सकते हैं पर इस्लाम कबूल नहीं करेंगे। यही कारण है इनको आज चमार नाम से जाना जाता है।
जब भारत पर तुर्कियों का राज था, उस सदी में इस वंश का शासन भारत के पश्चिमी भाग में था। और उस समय उनके प्रतापी राजा थे चंवरसेन। इस राज परिवार के वैवाहिक सम्बन्ध बप्पा रावल के वंश के साथ थे। राना सांगा और उनकी पत्नी झाली रानी ने संत रविदास जी जो की चंवरवंश के थे, को मेवाड़ का राजगुरु बनाया था। यह चित्तोड़ के किले में बाकायदा प्रार्थना करते थे।
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जब भारत पर तुर्कियों का राज था, उस सदी में इस वंश का शासन भारत के पश्चिमी भाग में था। और उस समय उनके प्रतापी राजा थे चंवरसेन। इस राज परिवार के वैवाहिक सम्बन्ध बप्पा रावल के वंश के साथ थे। राना सांगा और उनकी पत्नी झाली रानी ने संत रविदास जी जो की चंवरवंश के थे, को मेवाड़ का राजगुरु बनाया था। यह चित्तोड़ के किले में बाकायदा प्रार्थना करते थे।
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