जाट धर्मशाला कुरुक्षेत्र
जाट धर्मशाला कुरुक्षेत्र एक परिचय[सम्पादन]
हमारे जाट समाज की अमर धरोहर जाट धर्मशाला कुरुक्षेत्र
जाट धर्मशाला कुरुक्षेत्र को बनाने में सम्पूर्ण जाट कौम का पूर्ण योगदान है | शुरू में इसके संस्थापक श्री पूर्ण भगत के साथ मास्टर आत्माराम, बोहली के सम्पूर्ण सिंह, बारवा के जीताराम, सिरसमा के लछमन सिंह, बीबीपुर के बाबुराम, किरमच के तेलूराम, गोपाला, दीवान, रौनकी राम , रामकिशन, प्रेमी, जरनैल सिंह और हथीरा के धीर सिंह देवा सिंह , फुल सिंह गजे सिंह आदि ने मिलकर प्रयास आरम्भ किया |
वैसे तो जाट धर्मशाला कुरुक्षेत्र 1966 से पूर्ण भगत की देख रेख में चल रही थी पर इसका रजिस्ट्रेशन 26 -04-1972 करवाया गया और गाँव छपरा के एडवोकेट चौ. रणबीर सिंह को इसका मनोनीत प्रधान जबकि गाँव घिसरपड़ी के चौ. रामकला को सर्वसम्मती से इस सभा का मनेजर नियुक्त किया गया |
इस सभा का चुनाव 3 साल में होता है जिसमे प्रधान निशुल्क व मनेजर वेतनिक आधार पर कार्य करते है | वर्तमान समय में चौ. ओमप्रकाश ढुल गाँव बडसिकरी प्रधान है तथा भलेराम देशवाल गाँव किरमच मनेजर जबकि रामनिवास ढुल सक्रिय कार्यकर्ता है|
चौ भलेराम देशवाल ने मुझे जाट धर्मशाला कुरुक्षेत्र की सम्पत्ति की जानकारी दी वह निम्नलिखित है
- कमरों की संख्या 455
- दुकानों की संख्या 42
- विशाल कक्ष 10
- डिस्पेंसरी
- पुस्तकालय
- भंडार घर
- जाट मन्दिर
- वी.आई.पी. ब्लॉक के कमरों की संख्या 57
- सबमसिर्बल पम्प
- जमीन शांतिनगर मौहल्ले में 5 एकड़
- बड़ा स्टोर अन्न भंडारण
- हजार व्यक्तियों का सभाकक्ष
- जरनेटर 3,
- वाटर कूलर 3
- सरकारी पोस्ट ऑफिस ब्रांच
- शिलालेख कक्ष
जाट धर्मशाला कुरुक्षेत्र में उपलब्ध सुविधाए[सम्पादन]
इन सभी ने जाट धर्मशाला कुरुक्षेत्र के निर्माण के लिए सिर-धड़ की बाज़ी लगाकर दिन रात काम किया | बधाई के पात्र जाट जनों ने गर्मी सर्दी, आंधी-तूफान और बरसात की चिंता न करते हुए पैदल और साइकिलों पर जत्थों में दूर दूर तक गये और जाट धर्मशाला के लिए दान व चंदा इक्कठा किया |
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