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जानकीपरिणय

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कर्ता[सम्पादन]

जानकीपरियण के कर्ता रामभद्र दीक्षित थे। इनके गुरु का नाम बालकृष्ण था। उनके पिता का नाम यज्ञराम दीक्षित थे। रामभद्र दीक्षित के श्वसुर चोक्कनाथ थे।

कथासार[सम्पादन]

  • प्रथम अंक - रावण सीता को अपनी पत्नी बनाने की इच्छा रखता है किंतु सीता राम से विवाह करना चाहती है। यहां पर रावण जनक को अपना मित्र मानता है।
  • द्वितीय अंक - रावण विश्वामित्र के आश्रम में चोरी से सीता को देखता है जो राम का चित्र बना रही थीं। सारण मुनि वेष में सीता से मिलता है ओर सीता से कहता है कि वो राम का मित्र है इसलिए सीता उसे अपने कंगन देती हैं और सीता अत्रि व अनसूया से मिलने चली जाती है। सारण वह कंगन रावण को देकर कहता है कि इससे अदृश्य हो सकते है।
  • तृतीय अंक - ताटका के मरने पर मारीच राम से क्रोधित होता है। मारीच और कराल योजना बनाते है। वे दोनों नकली सीता बनाते है जिसे उसकी सखी कहती है कि रावण ने जनक मार डाला यह सुनकर सीता निर्णय लेती है कि वह अग्निप्रवेश करेगी यह सुनकर राम उसे बचाने पत्थर पर चढते है और तभी पत्थर अहल्या में परिवर्तित हो जाते है और वह राम से कहती है कि यह राक्षसों की माया है।
  • चतृर्थ अंक - चित्रांगद गंधर्व एक राक्षसी से जानता है कि रावण राम का , विघुज्जिह्व विश्वामित्र का और सारण लक्ष्मण का रूप लेकर जनक से सीता को लेने गये हैं। तभी रावण राम का , विघुज्जिह्व विश्वामित्र का और सारण लक्ष्मण का रूप लेकर जनक से मिलने जाते है पर तभी कंचुकी कहता है कि विश्वामित्र द्वार पर आये हैं। रामरुपी रावण कहता है वो रावण है। जनक उन्हे राम समझकर कहता है कि तुम सब छुपो में रावण को देखता हुं। विश्वामित्र , राम और लक्ष्मण आते हैं जनक उन्हें धनुष भंग करने को कहते और राम धनुष भंग करते है। जनक सबकुछ जान लेते है और असली राम से सीता का विवाह करते हैं।
  • पंचम अंक - विराघ राम बनकर सीता का अपहरण करने आता है यही शूर्पणखा सीता बनकर राम को लुभाने आती हैं। विराघ शूर्पणखा को सीता समझकर उसका हरण कर आकाश में उडता है पर जटायु उसे गिरा देता है। राम-सीता यह सब पहाड़ी से देखते है। राम विराघ को मार डालते है और लक्ष्मण शूपर्णखा का अंगभंग कर दिया।
  • षष्ठम अंक - सीता का हरण हो चुका है। रावण जानना चाहता था कि राम का कर है इसलिए शुक्राचार्य ने रावण के लिए नाटक का आयोजन किया। सीता ने जो कंगन सारण दिये थे , वे अदृश्य कंगन अनला लाती है और सीता तथा अनला भी नाटक देखने आते हैं। इस नाटक में वाली वघ की कथा दिखाते है जिसे गर्भांक भी कहते हैं।
  • अष्टम अंक - रावण के वघ का बदला लेने शूपर्णखा पर्णादिनी तापसी बनकर भरत से कहती है रावण ने राम और उनकी सेना को छल से मार दिया हैं और रुमा ने अग्निप्रवेश कर लिया है और शूपर्णखा वहाँ से चली जाती है। भरत अग्निप्रवेश का निर्णय लिया तभी जनक वहां आते है भरत उन्हें यह दुखद समाचार दिया। हनुमान आकर राम विजय का समाचार देते है। राम आते है कि तभी विश्वामित्र और वशिष्ठ आकर उन्हे आर्शिवाद देते है और नाटक पुर्ण होता हैं।

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