जावजी बोमले
जावजी बोमले मराठा साम्राज्य में रजुर के मनसबदार थे एवं 60 गांव के जागीरदार थे। जावजी बोमले के पिताजी का नाम हीराजी बॉमले था वो कोली जाती से थे और कोली जाती के मुख्य भी थे। उनका परिवार बहमनी सल्तनत के समय से ही जागीरदार रहा था। हीराजी बॉम्ले की मृत्यु के पश्चात ज़ावजी बोम्ले ने अपने पिता की जगह ली।[१][२][३][४]
सूबेदार नाईक जावजीराव हीराजीराव बोमले मनसबदार | |
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जन्मजात नाम | जीवाजी हीराजी |
उपनाम | वंडकरी |
देहांत |
1789 राजूर, मराठा साम्राज्य |
निष्ठा | मराठा साम्राज्य |
सेवा/शाखा | मराठा सेना |
उपाधि | मनसबदार |
सम्बंध | हीराजी बोमले (पिताजी), हीराजी बोमले द्वतिय (बेटा) एवं जावजी बोमले द्वतिय (पोत्र) |
विद्रोह[सम्पादन]
1760 में जावजी बोमले ने पेशवा माधवराव पेशवा के खिलाप विद्रोह कर दिया। विद्रोह का कारण जावजी बोमले को अपने पिता की जागीर और पदवी नही देना था जिसके चलते जावजी बोमले ने वर्तमान पेशवा के खिलाप हथियार उठा लिए और अहमदनगर की शांति भंग कर दी। जावजी बोमले ने पेशवा के आधिन क्षेत्र मे लुट-पाट शुरू कर दी जिसके बाद पेशवा ने जावजी बोमले समझोता करते हुए वापिस बुलाया और कोंकाण क्षेत्र मे हो रहे विपलव को रोकने के लिए कहा लेकिन जावजी बोमले पेशवा को अंगुठा दिखाते हुए इनकार कर दिया क्योंकि उसे पेशवा पर विश्वास बिल्कुल नही था और खानदेश मे चला गया। इसके बाद पेशवा ने बोमले के परिवार को गिरफ्तार कर लिया साथ ही जावजी बोमले को पकड़ने के लिए मराठा सेना भेजी। मराठा सेना का नेतृत्व कर रहे सुबेदार रामजी साबंत ने जावजी बोमले के तीन कोलीयों को पकड लिया जिसमें उसका चचेरा भाई भी था जिनको जावजी बोमले ने अपने परिवार का हाल-चाल देखने के लिए भेजा था। इसके बाद रामजी साबंत के पास जुन्नर के मराठा फौजदार की तरफ से गिरफ्तार किये हुए कोलीयों को जान से मारने का आदेश आया और रामजी साबंत ने सातों कोलीयों को शिवनेरी की पहाड़ियों से फैंक दिया जिसके बाद बदले की भावना मे जावजी बोमले ने मराठा सुबेदार रामजी साबंत के भाई को मार डाला जो गौसावी की पहाड़ियों मे रहता था।[२] इसके बाद रामजी साबंत ने पेशवा से और मराठा सेना मांगी और जावजी बोमले को तलाश करने लगा। अधिक सेनाबल के बाबजूद रामजी साबंत जावजी को नही पकड़ सका एवं जावजी बोमले के हाथों मारा गया साथ ही साबंत का एक बेटा भी मारा गया और यह पेशवा को बड़ा झटका था। इसके बाद पेशवा ने साबंत के बडे बेटे को सुबेदार बना दिया लेकिन वह भी जावजी बोमले के हाथों जुन्नर मे मारा गया। इसके बाद मराठा सरकार ने कोली जावजी बोमले को डकैत घोषित कर दिया।[१][२]
किलों पर कब्जा[सम्पादन]
जावजी बोमले ने कोली विद्रोह जारी रखा एवं डकैत घोषित होने के बाद रघुनाथ राव के साथ मिल गया। जावजी बोमले ने कोली विद्रोहियों के साथ 1770 मे पेशवा से पुणे जिले का लोहागढ़,[५] थाणे जिले के भैरोगढ़ किला, शिदगढ़ किला, कोटाह किले के साथ कई अन्य किलों पर कब्ज़ा कर लिया इतना ही नही नाशिक का आलंग किला और अहमदनगर के रतनगढ़ और मदनगढ़ किलों को भी पेशवा से छिन लिया। इसके बाद मराठा साम्राज्य में उच्च पद मंत्री नाना फडनाविश ने सुबेदार दाऊजी कोकाटे को जावजी बोमले को मारने के लिए भेजा लेकिन बोमले ने कोकाटे को भी मार डाला। लेकिन जावजी बोमले ने इंदौर रियासत के महाराजा एंव मराठा साम्राज्य मे सूबेदार महाराजा तुकोजीराव होलकर के कहने पर विद्रोह समाप्त कर दिया और छिने हुए किले भी मराठा साम्राज्य मे वापसी कर दिए।[१][२]
सुबेदार[सम्पादन]
किले वापसी करने के बाद नाईक जावजी राव बोमले को मराठा साम्राज्य मे राजूर का सूबेदार बना दिया गया एवं बोमले के पिताजी की भुमी संपत्ति (जागीर) वापिस लोटा दी गई साथ ही देशमुख की उपाधि के साथ 60 गांवों मे किसी भी व्यक्ति को जान से मारने तक की ताकत दी गई।[१][२][४]
सुबेदारी एवं मृत्यु[सम्पादन]
सुबेदार बनने के पश्चात जावजी बोमले ने मराठा साम्राज्य मे चल रहे कई विद्रोहों को दफन किया। देशमुख साहेब सरदार सुबेदार जावजी बोमले की मृत्यु 1789 मे हुई। 1789 मे जावजी ने मराठा साम्राज्य मे शांति बनाए रखने के लिए अभियान चलाया तो किसी करीबी व्यक्ति ने ही उनका घायल कर दिया था जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के पश्चात उनके बेटे नाईक हिराजी रिव बोमले ने उनकी पदवी संभाली।[१]
संदर्भ[सम्पादन]
- ↑ १.० १.१ १.२ १.३ १.४ (en में) Gazetteer of the Bombay Presidency: Ahmadnagar. Printed at the Government Central Press. 1884. https://books.google.co.in/books?id=4LUBAAAAYAAJ&dq=Javji+Bomle&source=gbs_navlinks_s.
- ↑ २.० २.१ २.२ २.३ २.४ Hardiman, David (2007) (en में). Histories for the Subordinated. Seagull Books. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-905422-38-8. https://books.google.co.in/books?id=QNA-AQAAIAAJ.
- ↑ Hardiman, David (1996) (en में). Feeding the Baniya: Peasants and Usurers in Western India. Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-563956-8. https://books.google.co.in/books?id=8EsfAQAAIAAJ.
- ↑ ४.० ४.१ Hassan, Syed Siraj ul (1989) (en में). The Castes and Tribes of H.E.H. the Nizam's Dominions. Asian Educational Services. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-206-0488-9. https://books.google.co.in/books?id=lYSd-3yL9h0C&dq=jivaji+bomla&source=gbs_navlinks_s. अभिगमन तिथि: 18 अप्रैल 2020.
- ↑ (en में) Gazetteer of the Bombay Presidency: Poona. Printed at the Government Central Press. 1885. https://books.google.co.in/books?id=ILYBAAAAYAAJ&dq=Javji+koli&source=gbs_navlinks_s.
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