दक्कन कोली कोर्प
दक्कन कोली कोर्प ब्रिटिश सरकार द्वारा संचालित स्थानीय सेना थी जो ब्रिटिश भारतीय सेना का हिस्सा थी।[१][२] कोली कोर्प की स्थापना १८५७ मे कर्नल नट्टल द्वारा की गई थी जिसका मुख्य उद्देश्य महाराष्ट्र १८५७ के सांती बनाए रखना था।[३][४][५]
दक्कन कोली कोर्प | |
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घाट कोली पुलिस फोर्स | |
सक्रिय | १८५७–१८६१ |
देश | ब्रिटिश भारत |
निष्ठा | ब्रिटिश भारतीय सेना |
शाखा | बोम्बे आर्मी रेजीमेंट्स |
प्रकार | थल सेना |
विशालता | ६०० |
मुख्यालय | अहमदनगर और नाशिक |
संरक्षक | ब्रिटिश भारतीय सेना |
आदर्श वाक्य | गौड़ ब्लेज़ द क्वीन |
सैन्य भंग | १८६१ |
सेनापति | |
पलटन के कर्नल | कर्नल नट्टल |
प्रसिद्ध सेनापति | जावजी बोमले द्वितीय |
१८५७ मे दक्कन क्षेत्र मे जगह-जगह अंग्रेजों के खिलाफ कोली, भील, पठान, रोहिल्ला और अरब लोगों के द्वारा विद्रोह किया जा रहा था जो लगभग ७००० की संख्या मे थे। जिसके चलते दक्कन कोली कोर्प का गठन किया गया।[४]
कारण[सम्पादन]
विद्रोह के कारण सरकार को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा था जिसमें से कोली और भीलों का विद्रोह काफी मजबूत था जिसके कारण दक्कन कोली कोर्प का गठन किया गया। कोली और भीलों की आपसे मे कभी नही बनती थी साथ ही मराठा साम्राज्य की मराठा सेना मे कोली जाती बहादुर मावला माने जाते थे इसलिए कर्नल नट्टल को आदेश मिला की वो कोली जाति की एक मजबूत सेना तैयार करें जिससे कोली ख़ुद ही सांत हो जाएंगे और विद्रोह दफन करने मे काफी आसानी होगी।[४]
इतिहास[सम्पादन]
ज्यादातर दक्कन कोली कोर्प का इस्तमाल पूणे, अहमदनगर, अकोला और नाशिक मे किया गया। १८५७ मे विद्रोह दफ़न करने मे दक्कन कोली कोर्प ने काफ़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जनवरी १८५८ मे कोली सेना को बढ़ाकर ६०० कर दिया गया।[४][५][६]
भील जाति के लोगों ने भागोजी नायक के नेतृत्व मे सरकारी खजाने पर हमला बोल दिया और गांव मे लूट-पाट भी की जिसके चलते १९ फरवरी १८५८ को कर्नल नट्टल के नेतृत्व मे दक्कन कोली कोर्प ने भागोजी नायक के समुह पर पियोका किले पर हमला बोल दिया जिस लडाई मे ४० विद्रोही मारे गए और ५ को बंदी बना लिया गया साथ ही दक्कन कोली कोर्प के ३ सिपाही घायल हो गए।[४]
५ जुलाई १८५९ को दक्कन कोली कोर्प ने संगानमेर मे विद्रोहियों पर हमला बोल दिया जिसमें विद्रोहयों के मुखिया भागोजी नायक का बेटा यशवंत नायक मारा गया और अन्य महत्वपूर्ण साथ हिरा नायक के साथ ११ अन्य साथी मारे गए। २० अक्टूबर को विद्रोह के मुखिया भागोजी नायक के साथ अन्य २० विद्रोहियों को मार गिराया जिसके बाद असमाजिक गतिविधियों कम हो गई और १८६० मे रेजीमेंट्स की जगह दक्कन कोली कोर्प को तैनात कर दिया गया। १७६१ मे कुछ सिपाही वद्रोह पर उतर आए जिसके चलते दक्कन कोली कोर्प को असंगठित कर दिया गया।[४][३]
संदर्भ[सम्पादन]
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- ↑ Cadell, Sir Patrick Robert (1938) (en में). History of the Bombay Army. Longmans, Green and Company. https://books.google.co.in/books?id=esNBAAAAIAAJ.
- ↑ Cambridge, The Marquess of (1970). "NOTES ON THE ARMIES OF INDIA PART IV". Journal of the Society for Army Historical Research 48 (193): 35–45. ISSN 0037-9700. http://www.jstor.org/stable/44229230.
- ↑ ३.० ३.१ Hassan, Syed Siraj ul (1989) (en में). The Castes and Tribes of H.E.H. the Nizam's Dominions. Asian Educational Services. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-206-0488-9. https://books.google.co.in/books?id=lYSd-3yL9h0C&dq=koli+corps&source=gbs_navlinks_s. अभिगमन तिथि: 20 अप्रैल 2020.
- ↑ ४.० ४.१ ४.२ ४.३ ४.४ ४.५ (en में) Gazetteer of the Bombay Presidency .... Printed at the Government Central Press. 1883. https://books.google.co.in/books?id=HbwMAAAAIAAJ&dq=koli+corps&source=gbs_navlinks_s.
- ↑ ५.० ५.१ Bombay (Presidency) (1884) (en में). Gazetteer of the Bombay Presidency. Government central Press. https://books.google.co.in/books?id=upJIAQAAMAAJ&dq=koli+corps&source=gbs_navlinks_s.
- ↑ (en में) Journal of the Society for Army Historical Research. 1921. 1970. https://books.google.co.in/books?id=SH9nAAAAMAAJ.