धवलपाल
संत श्री कान्हाराम[3] ने लिखा है कि.... [पृष्ठ-62] : रामायण काल में तेजाजी के पूर्वज मध्यभारत के खिलचीपुर के क्षेत्र में रहते थे। कहते हैं कि जब राम वनवास पर थे तब लक्ष्मण ने तेजाजी के पूर्वजों के खेत से तिल खाये थे। बाद में राजनैतिक कारणों से तेजाजी के पूर्वज खिलचीपुर छोडकर पहले गोहद आए वहाँ से धौलपुर आए थे। तेजाजी के वंश में सातवीं पीढ़ी में तथा तेजाजी से पहले 15वीं पीढ़ी में धवल पाल/देव हुये थे। उन्हीं के नाम पर धौलिया जाट गोत्र चला व धवलपुर नाम पड़ा। श्वेतनाग ही धोलानाग थे। धोलपुर में भाईयों की आपसी लड़ाई के कारण धोलपुर छोडकर नागाणा के जायल क्षेत्र में आ बसे।
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