नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी
नरवा गरवा घुरवा बारी दिसंबर 2018 में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आरम्भ की एक नई योजना है। यह 'सुराजी गांव योजना' के अंतर्गत शुरु किया गया है। इस महत्वकांक्षी योजना का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था के परंपरागत घटकों को संरक्षित तथा पुनर्जीवित करते हुए गांवों को राज्य की अर्थव्यवस्था के केंद्र में लाना है साथ ही पर्यावरण में सुधार करते हुए किसानों तथा ग्रामीणों की व्यक्तिगत आय में वृद्धि करना है। नरवा, गरवा, घुरवा, बारी नाम से सुप्रसिद्ध इस योजना पर मुख्यमंत्री ने नीति आयोग से विस्तार से चर्चा की है और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य राज्यों ने भी इसकी तारीफ की है।[१]
छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन करने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना गांवों को समृद्ध बनाने की एक कोशिश है। ग्रामीण नदी-नहरों के कायाकल्प, पशुपालन, नस्ल सुधार, गाँव में गोबर और जैविक खाद, कृषि लागत में कमी, द्विभाजन क्षेत्र में वृद्धि, जल प्रबंधन के माध्यम से जल संसाधनों की सुरक्षा और छोटे बोल्डर चेक डैम का निर्माण जैसे विकास कार्य इसमें शामिल हैं।[२]
छत्तीसगढ़ में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किए जाने के साथ-साथ गांवों को समृद्ध बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की चर्चा सरहद पार भी पहुंच गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने अमेरिका दौरे के दौरान हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों से लेकर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी से नरवा (नाला), गरुवा (जानवर), घुरवा (घूरा) और बारी (घर के पिछवाड़े में साग-सब्जी के लिए उपलब्ध जमीन) पर चर्चा की।[३]
राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नारा दिया था, 'छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरूवा, घुरवा, बाडी, ऐला बचाना है संगवारी'। सत्ता में आने के बाद इन चारों को पहचान दिलाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए। राज्य सरकार का मानना है कि अगर गांव में पानी, जानवर, घूरा और बारी वास्तविक अस्तित्व में रहे तो गांव को समृद्ध बनाया जा सकता है। बीते समय में इस दिशा में काम भी हुए हैं।[४] छत्तीसगढ़ सरकार की नरवा, गरुवा, घुरुवा और बाड़ी विकास योजना के लिए विश्व बैंक ने भी मदद का आश्वासन दिया है।[५]
नरवा[सम्पादन]
राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए इस योजना में नदी-नालों को पुर्नजीवन देने का काम किया जा रहा है। नदी-नालों के पुर्नजीवन से किसानों को सिंचाई के लिए जहां भरपुर पानी मिलेगा वहीं किसान दोहरी फसल भी ले सकेंगे। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ाने पर विशेष जोर दी जा रही है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी में से नरवा विकास के तहत नदी-नलों का संरक्षण, तालाबों का गहरीकरण, सिंचाई जलाशयों एवं नहरों की मरम्मत, एनीकटों का निर्माण सहित भू-जल स्तर बढ़ाने के कार्यो को प्राथमिकता दी गई है।
जब राज्य का गठन हुआ था, उस समय 22 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित था, जो पिछले 18 वर्षों में बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया है। यह केवल अनुमानित आंकड़ा है। कुल कृषि क्षेत्र कम हो गया, जिससे आंकड़े का विस्तार हुआ। बाद में, जब छत्तीसगढ़ के 27 में से 21 जिलों को सूखा प्रवण घोषित किया गया, तो यह स्पष्ट हो गया कि वहां सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं थी।
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि बारिश अनिश्चित है। ऐसे में अनिवार्य है कि हर तालाब, कुआं, नदी और नाले को पुनर्जीवित कर बारहमासी बनाया जाए। यह पुनरुद्धार राज्य को मत्स्य पालन, मौसमी फलों और सब्जियों के उत्पादन के लिए आर्थिक संसाधनों का विस्तार करने के लिए पर्याप्त पानी प्रदान करेगा। सरकार इन नालों, छोटी नदियों और तालाबों को पुनर्जीवित करने का उपाय कर रही है। यह पुराने नहरों को पुनर्जीवित करने और नई नहरों के नेटवर्क को बिछाने की प्रक्रिया में भी है।
उद्देश्य[सम्पादन]
नरवा कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य नालों, तालाबों एवं अन्य जलस्रोतों के संरक्षण के माध्यम से कृषि एवं कृषि से संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देना है। साथ ही जल स्त्रोतों का संरक्षण एवं उनको पुनर्जीवित करना, ताकि सतही जल बह कर अन्यत्र न जाय, भूगर्भीय जल में वृद्धि हो।[६]
प्रारंभ[सम्पादन]
1 जनवरी 2019 से
प्रावधान लाभ[सम्पादन]
- 2 हजार से अधिक जलाशयों के वैज्ञानिक ढंग से विकास का लक्ष्य है, जिसमें से 1207 नालों का डीपीआर(Detailed Project Report) तैयार।
- नरवा संरक्षण संरचनाओं का निर्माण इस दृष्टिकोण से किया जावेगा कि इन संरचनाओं के माध्यम से जलस्त्रोतों का बहाव गर्मी के दिनों तक उपलब्ध रहें, साथ ही भूगर्भीय जल का संवर्धन भी हो।
- प्रत्येक क्षेत्र / विकास खंड में नालों का चिन्हांकन करना।
- भूजल प्रास्पेक्टिव मैप की सहायता से भूजल के अध्ययन का कार्य।[७]
गरुवा[सम्पादन]
इसके तहत ग्राम पंचायत स्तर पर गोचर भूमि आरक्षित कर गौठानों एवं चारागाहों का निर्माण किया जा रहा है। योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के गौवंशीय-भैंसवंशीय पशुधन को गौठानो के माध्यम से एक स्थान पर छाया, शुद्ध पेयजल, सूखा एवं हरा चारा उपलब्ध कराना है, जिससे खुले में घूम रहे पशुओं से किसानो की फसलों को हो रहे नुकसान से बचाया जा सके। साथ ही पशुओं को मूलभूत सुविधा के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी उपलब्ध करायी जा सके।[८]
इसके अतिरिक्त गोधन न्याय योजना की शुरुआत की गई जिससे जैविक खेती को बढ़ावा, ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर रोजगार के नये अवसरों का निर्माण, गोपालन एवं गो-सुरक्षा को बढ़ावा देने क साथ-साथ पशु पालकों को आर्थिक रूप से लाभान्वित किया जा रहा है।[९][१०]
उद्देश्य[सम्पादन]
ग्रामीण परिदृश्य में पशु पालक उन्नत नस्ल के पशुओं का उचित प्रबंधन ठीक से नहीं कर पाते हैं साथ ही अनुत्पादक/अल्प उत्पादक व कृषि कार्य हेतु अनुपयुक्त पशुओं का रख-रखाव व पालन-पोषण भी नही कर पाते हैं। इसी तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक ग्राम पंचायत में गौठान का निर्माण कर पशु संवर्धन का कार्य किया जा रहा है।[११]
प्रारंभ[सम्पादन]
1 जनवरी 2019 से
प्रावधान / लाभ[सम्पादन]
- 5 हजार गौठानों के विकास का लक्ष्य, 1905 गौठान निर्मित तथा 2700 चिन्हांकित। 1703 चारागाह निर्माण की स्वीकृति, 718 का कार्य पूर्ण।
- प्रत्येक ग्राम पंचायत में गौठान का विकास किया जा रहा है। प्रत्येक विकासखंड में एक 'मॉडल गौठान' बनाया जा रहा है।
- गौठानों में गोबर और मिट्टी का उपयोग सिर्फ जैविक खाद के लिए ही नहीं किया जा रहा है बल्कि दीये, मूर्तियाँ और हस्तकला के बेहतरीन नमूने भी इन गौठानों में बन रहे हैं। ये हस्तशिल्प प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों के भी शहरों और महानगरों में बेचे जा रहे हैं।
- जैविक खेती तथा पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई गोधन न्याय योजना का संचालन इन्हीं गौठानों के माध्यम से किया जा रहा है। इसके तहत 2 रू. किलो की दर से गोबर खरीदी कर स्वसहायता समूहों के माध्यम से जैविक खाद बनाया जा रहा है।
घुरुवा[सम्पादन]
उद्देश्य[सम्पादन]
इस कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि तथा जैविक अपशिष्टों से जैविक खाद का निर्माण कर किसानों को उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना है, ताकि रासायनिक खाद के उपयोग को प्रचलन से बाहर कर भूमि की उर्वरता बढ़ाई जा सके। कृषि उत्पादकता तथा कृषि आय में वृद्धि की जा सके।
गोधन न्याय योजना के जरिये राज्य सरकार द्वारा गाय-भैंस पालने वाले पशुपालकों, किसानों से गोबर ख़रीदा जा रहा है। पशुपालक से ख़रीदे गए गोबर का उपयोग सरकार जैविक खाद या वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए कर रही है।[१२]
प्रारंभ[सम्पादन]
1 जनवरी 2019 से
प्रावधान / लाभ[सम्पादन]
- 4 हजार गांवों में 5 लाख टन से अधिक जैविक खाद तैयार तथा विक्रय।
- लगभग 3 लाख 14 हजार मीट्रिक टन जैविक खाद का निर्माण और उपयोग किया गया है। अब यह कार्यक्रम आंदोलन का रूप ले रहा है।
- गोधन कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों से 2 रू. किलो की दर से गोबर खरीदी कर स्व सहायता समूहों के माध्यम से जैविक खाद बनाया जा रहा है।[१३]
बारी[सम्पादन]
उद्देश्य[सम्पादन]
पारंपरिक घरेलू बाड़ियों में सब्जियों तथा फल-फूल के उत्पादन को बढ़ावा देकर गांवों में पोषक आहारों की उपलब्धता बढ़ाना। घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ व्यावसायिक स्तर पर भी सब्जी तथा फल-फूल का उत्पादन करना, ताकि ग्रामीणों को अतिरिक्त आय हो सके।[१४][१५]
प्रारंभ[सम्पादन]
1 जनवरी 2019 से
प्रावधान / लाभ[सम्पादन]
- फल तथा सब्जी उत्पादन के लिए बीजों का वितरण।
- 4500 गांवों में 1 लाख 45 हजार बाड़ियों का उन्नयन।
संदर्भ[सम्पादन]
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- ↑ "छत्तीसगढ़ के नरवा, गरुवा, घुरवा व बारी की चर्चा सरहद पार तक" (hindi में). https://www.patrika.com/raipur-news/narva-garuva-ghurwa-and-bari-of-chhattisgarh-across-the-border-5788408/.
- ↑ "छत्तीसगढ़ में नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी पर काम शुरू, बदली गांव की सूरत". https://hindi.news18.com/news/chhattisgarh/mungeli-work-on-narva-garuwa-ghurwa-and-bari-in-chhattisgarh-hydak-1997026.html.
- ↑ "छत्तीसगढ़ के नरवा, गरुवा, घुरवा व बारी की चर्चा सरहद पार तक" (hindi में). https://www.patrika.com/raipur-news/narva-garuva-ghurwa-and-bari-of-chhattisgarh-across-the-border-5788408/.
- ↑ "छत्तीसगढ़ के नरवा, गरुवा, घुरवा व बारी की चर्चा सरहद पार तक" (hindi में). https://www.patrika.com/raipur-news/narva-garuva-ghurwa-and-bari-of-chhattisgarh-across-the-border-5788408/.
- ↑ "छत्तीसगढ़ की नरवा गरुवा घुरुवा बाड़ी योजना को मिलेगी विश्व बैंक की ताकत" (hi में). 2019-09-19. https://www.naidunia.com/chhattisgarh/raipur-chhattisgarh-narva-garuva-ghuruva-bari-scheme-will-get-the-strength-of-world-bank-3157045.
- ↑ "Chhattisgarh: सरकार की नरवा विकास योजना का काम जोरों पर, किसानों को सिंचाई में होगी आसानी" (hi में). 2020-11-27. https://www.sirfsach.in/streaming-progress/chhattisgarh-jashpur-narva-development-plan-worth-eleven-crores/36307/.
- ↑ "Chhattisgarh News : नरवा योजना के तहत विकसित किया जा रहा आठ लाख हेक्टेयर जलग्रहण क्षेत्र" (hi में). 2021-01-19. https://www.naidunia.com/chhattisgarh/raipur-eight-lakh-hectare-catchment-area-being-developed-under-narva-scheme-6658161.
- ↑ "गोधन और गौठान भी बनेंगे आय के साधन" (hi में). 2020-08-21. https://www.naidunia.com/chhattisgarh/dhamtari-dhamtari-news-6227138.
- ↑ Jha, Bavita (2021-03-10). "किसानों से गोबर खरीदेगी सरकार, लोकसभा में छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की सराहना" (hi में). https://hindi.oneindia.com/news/chhattisgarh/the-standing-committee-on-agriculture-in-lok-sabha-praised-the-godhan-nyay-yojana-of-chhattisgarh-607600.html.
- ↑ "गौधन न्याय योजना: छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्मी कंपोस्ट खाद बेचने का रेट 8 रुपए किलो तय किया, 2, 5 और 30 किलाे के बैग में बिक्री होगी" (hi में). 2020-07-16. https://www.bhaskar.com/local/chhattisgarh/news/godhan-nyay-yojana-compost-fertilizer-price-fixed-by-bhupesh-baghel-government-of-chhattisgarh-127518664.html.
- ↑ Labs, Tecvolo. "छत्तीसगढ़ में तैयार हो रहा गांधी जी के सपनों का गांव" (hi में). https://www.thequint.com/quintlab/gadhbo-nava-chhattisgarh/gandhiji-dream-village.html.
- ↑ कनेक्शन, गाँव (2020-10-09). "छत्तीसगढ़ : देश का पहला राज्य जहाँ गोबर बेच कर कमाई कर रहे पशुपालक" (hi में). https://www.gaonconnection.com/desh/chhattisgarh-the-first-state-in-the-country-where-cattlemen-are-earning-by-selling-cow-dung-48161.
- ↑ "इस गौठान में ऐसा क्या है कि यहां की महिलाएं हजारों रुपये कमा रही हैं ?" (en में). https://www.etvbharat.com/hindi/chhattisgarh/state/bemetara/women-are-making-money-by-dung-vermi-compost-in-jhalum-gauthan-of-bemetra/ct20201229155918619.
- ↑ "बाड़ी योजनाः किसान उगा रहे हैं सब्जी" (hi में). 2020-01-07. https://www.naidunia.com/chhattisgarh/kanker-bari-scheme-farmers-are-growing-vegetables-5053354.
- ↑ "बाड़ी योजना अंतर्गत सब्जी उत्पादक कृषकों के खिले चेहरे" (hindi में). https://www.patrika.com/raipur-news/vegetable-growers-face-bloom-under-bari-scheme-5761311/.