You can edit almost every page by Creating an account. Otherwise, see the FAQ.

नवरात्री पूजा सामग्री – सम्पूर्ण जानकारी

EverybodyWiki Bios & Wiki से
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

नवरात्री पूजा सामग्री – विधि एवं संपूर्ण जानकारी अंगूठाकार|नवरात्रि

  • 'नवरात्रि पूजन सामग्री, विधि एवं संपूर्ण जानकारी

नवरात्रि पूजन सामग्री: नवरात्रि दुर्गा माँ के नो रूपों को पूजने का एक पवित्र त्यौहार है जोकि हर साल भारत में दो बार मनाया जाता है. इन नो दिनों में लोग दुर्गा देवी के अलग अलग अवतारों की अर्चना करते हैं और उन्हें प्रसन्न करके अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए व्रत रखते हैं. ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति इन नो दिनों के बीच दुर्गा माँ की भक्ति सच्चे मन से करता हेयर और उन्हें प्रसन्न कर लेता है तो दुर्गा माँ उसकी झोली खुशियों से भर देती है. आज हम आपको नवरात्रि पूजन सामग्री के बारे में बताने जा रहे हैं. क्यूंकि सही सामग्री के बिना पूजा का फल नहीं मिल पाता. ऐसे में यदि विधि विधान के अनुसार पूजन किया जाए तो माँ दुर्गा की कृपा दृष्टि सदैव हम पर बनी रहती है. आपको बता दें कि सभी भक्ति इन नो दिनों के दौरान नवरात्रि के व्रत रखते हैं और अंतिम दिन यानी अष्टमी के दिन कन्यायों को भोजन करवा कर अपनी इच्छाएं पूरी करने की गुजारिश करते हैं. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि के इस पावन अवसर के लिए आखिर कौन कौन सी नवरात्रि पूजन सामग्री आवश्यक है और क्यूँ.


नवरात्रि पूजन सामग्री

नवरात्रि में नवरात्रि पूजन सामग्री की ख़ास महत्ता है. कहते हैं कोई भी पूजा तभी सफल हो पाती है यदि उसे पूरे विधि विधान से एवं सच्चे मन से किया जाए. ऐसे सामग्री का सही होना बेहद आवश्यक है. क्यूंकि सही सामग्री के इस्तेमाल से ही पूजा सही मायने में संपन्न मानी जा सकती है. तो चलिए जानते हैं इस नवरात्रि में आपको क्या क्या नवरात्रि पूजन सामग्री की आवश्यकता पड़ सकती है.

1. अगरबत्ती: किसी भी पूजा में धूप या अगरबत्ती का जलाना बेहद शुभ माना जाता है कहते हैं ऐसा करने से घर में मौजूद सभी नकारात्मक ऊर्जाएं खत्म हो जाती हैं और घर में खुशियों का प्रवेश होता है.


2. इलायची और लौंग: ऐसा माना जाता है कि यदि कोई लेटी हुई इलाइची पर लौंग को सीधा रख दे तो वह साक्षात शिवलिंग का रूप धारण कर लेती है और इस इलाइची को सती एवं लौंग को शिव का प्रतीक माना जाता है.


3. लाल चुनरी: लाल चुनरी सुहागन के श्रृंगार का अहम हिस्सा मानी जाती है इसलिए नवरात्रि में चुनरी का इस्तेमाल सर ढकने के लिए किया जाता है.


4. नारियल: अंगूठाकार|नवरात्रि मंदिरों एवं पूजा स्थलों पर नारियल यानी श्रीफल को इंसान के मुख का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में दुर्गा मां को नारियल अर्पित करना मतलब अपना अस्तित्व उन्हें सौंपना है.


5. दही: दही को पंचामृत भी कहा जाता है इसकी शुद्धता के कारण इसको पूजा की सामग्री के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है.


6. दुर्गा सप्तशती किताब: दुर्गा सप्तशती किताब दुर्गा मां के बारे में कई विशेष बातें बताती हैं जिसको तिथि के अनुसार पढ़ना चाहिए.

7. फूल एवं माला: कोई भी पूजा फूल की माला या फूलों के बिना अधूरी लगती है. ऐसे में नवरात्रि के इस पावन अवसर पर लाल फूलों का इस्तेमाल किया जाता है या फिर उनकी जगह पुष्पा को भी देवी मां के सम्मुख किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इन फूलों की सुगंध से देवी माँ घर में प्रवेश कर लेती हैं.

8. घास: गणेश के पूजन में घास का महत्व खास माना जाता है इसका इस्तेमाल किस लिए किया जाता है ताकि देवी को स्थापित करने से पहले गणेश जी का आह्वाव किया जा सके.

9. गंगा जल: गंगा जल को सबसे पवित्र जल माना जाता है. पूजन समय मूर्ति को स्नान करवाने के लिए गंगा जल का इस्तेमाल किया जाता है.

10. गुलाल: कहते हैं दुर्गा मां को गुलाल की सुगंध काफी आकर्षित करती है इसलिए गुलाल का इस्तेमाल हर नवरात्रि में सदियों से किया जा रहा है.

अन्य आवश्यक सामग्री -इस पूजन में पांच प्रकार के खास फलों को देवी मां को अर्पित किया जाता है. -हवन की अग्नि को बढ़ाने के लिए शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है. -पूजन के लिए सामग्री में हरी चूड़ियां भी शामिल की जाती हैं. -शहद पंचामृत का एक हिस्सा है जो कि हमारी वाणी में सदा मिठास कायम करता है इसलिए शहद का इस्तेमाल भी सूजन में किया जाता है. -दुर्गा मां की मूर्ति -कपूर, कुमकुम एवं दूध -लाल धागा -पान के पत्ते -चावल, रोली और चंदन -सुपारी और चीनी

चित्र:Dsनवरात्रि पूजन सामग्री.png
नवरात्रि पूजन सामग्री


दुर्गा पूजन सामग्री-( वृहद् पूजन के लिए)

पंचमेवा, पंच​मिठाई, रूई, कलावा, रोली, सिंदूर, १ नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, 5 सुपारी, लौंग, पान के पत्ते 5 , घी, चौकी, कलश, आम का पल्लव ,समिधा, कमल गट्टे, पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद, शर्करा ), की थाली. कुशा, रक्त चंदन, श्रीखंड चंदन, जौ, ​तिल, सुवर्ण प्र​तिमा 2, आभूषण व श्रृंगार का सामान, फूल माला | शुद्धि एवं आचमन

अंगूठाकार| आवश्यक सामग्री

आसनी पर गणपति एवं दुर्गा माता की मूर्ति के सम्मुख बैठ जाएं ( बिना आसन ,चलते-फिरते, पैर फैलाकर पूजन करना निषेध है )| इसके बाद अपने आपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्धि करें - "ॐ अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥" इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगायें फिर आचमन करें –

चित्र:Navratri Puja Thali - Copyनवरात्रि.png
नवरात्रि

ॐ केशवाय नम: ॐ नारायणाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ गो​विन्दाय नम:| फिर हाथ धोएं, पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें :-

ॐ पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥


इसके पश्चात अनामिका उंगली से अपने मत्थे पर चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोलें-

चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्,

आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।


संकल्प- संकल्प में पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें – ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते(वर्तमान संवत), तमेऽब्दे क्रोधी नाम संवत्सरे उत्तरायणे (वर्तमान) ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे (वर्तमान) मासे (वर्तमान) पक्षे (वर्तमान) तिथौ (वर्तमान) वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री दुर्गा पूजनं च अहं क​रिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन ​निर्विघ्नतापूर्वक कार्य ​सिद्धयर्थं यथा​मिलितोपचारे गणप​ति पूजनं क​रिष्ये।


दुर्गा पूजन से पहले गणेश पूजन - हाथ में पुष्प लेकर गणपति का ध्यान करें|और श्लोक पढें -


    गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।

अंगूठाकार|नवरात्रि

    उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।

आवाहन: हाथ में अक्षत लेकर

    आगच्छ देव देवेश, गौरीपुत्र ​विनायक।
    तवपूजा करोमद्य, अत्रतिष्ठ परमेश्वर॥

ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः इहागच्छ इह तिष्ठ कहकर अक्षत गणेश जी पर चढा़ दें।


हाथ में फूल लेकर-

      ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः आसनं समर्पया​मि|
अर्घा में जल लेकर बोलें -
  ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः अर्घ्यं समर्पया​मि|
आचमनीय-स्नानीयं-
  ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः आचमनीयं समर्पया​मि |
वस्त्र लेकर-
  ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः वस्त्रं समर्पया​मि|
यज्ञोपवीत-
  ॐ श्री​सिद्धि ​विनायकाय नमः यज्ञोपवीतं समर्पया​मि |
पुनराचमनीयम्-
   ॐ श्री​सिद्धि ​विनायकाय नमः |

रक्त चंदन लगाएं:

    इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः |

श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं|


सिन्दूर चढ़ाएं-
    "इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः|

दूर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं| पूजन के बाद गणेश जी को प्रसाद अर्पित करें:

    ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः इदं नानाविधि नैवेद्यानि समर्पयामि |

मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र-

           शर्करा खण्ड खाद्या​नि द​धि क्षीर घृता​नि च|
      आहारो भक्ष्य भोज्यं गृह्यतां गणनायक।
प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें-
          इदं आचमनीयं ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः |
इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें-
         ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः ताम्बूलं समर्पया​मि |

अब फल लेकर गणपति पर चढ़ाएं-

         ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः फलं समर्पया​मि|
           ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः द्रव्य समर्पया​मि|
अब ​विषम संख्या में दीपक जलाकर ​निराजन करें और भगवान की आरती गायें।
हाथ में फूल लेकर गणेश जी को अ​र्पित करें,​फिर तीन प्रद​क्षिणा करें।

दुर्गा पूजन- सबसे पहले माता दुर्गा का ध्यान करें-

    सर्व मंगल मागंल्ये ​शिवे सर्वार्थ सा​धिके ।
    शरण्येत्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥
आवाहन-
        श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। दुर्गादेवीमावाहया​मि॥
आसन- 
       श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आसानार्थे पुष्पाणि समर्पया​मि॥

अर्घ्य-

      श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। हस्तयो: अर्घ्यं समर्पया​मि॥

आचमन-

      श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आचमनं समर्पया​मि॥

स्नान-

      श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। स्नानार्थं जलं समर्पया​मि॥

स्नानांग आचमन-

      स्नानान्ते पुनराचमनीयं जलं समर्पया​मि।

पंचामृत स्नान-

     श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। पंचामृतस्नानं समर्पया​मि॥

गन्धोदक-स्नान-

     श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। गन्धोदकस्नानं समर्पया​मि॥

शुद्धोदक स्नान-

     श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। शुद्धोदकस्नानं समर्पया​मि॥

आचमन-

     शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पया​मि।

वस्त्र-

      श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। वस्त्रं समर्पया​मि ॥ वस्त्रान्ते आचमनीयं जलं समर्पया​मि।

सौभाग्य सू़त्र-

      श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। सौभाग्य सूत्रं समर्पया​मि ॥

चन्दन-

       श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। चन्दनं समर्पया​मि ॥

ह​रिद्राचूर्ण-

       श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। ह​रिद्रां समर्पया​मि ॥

कुंकुम-

       श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। कुंकुम समर्पया​मि ॥

​सिन्दूर-

        श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। ​सिन्दूरं समर्पया​मि ॥

कज्जल-

        श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। कज्जलं समर्पया​मि ॥

आभूषण-

        श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आभूषणा​नि समर्पया​मि ॥

पुष्पमाला-

       श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। पुष्पमाला समर्पया​मि ॥

धूप-

       श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। धूपमाघ्रापया​मि॥

दीप-

       श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। दीपं दर्शया​मि॥

नैवेद्य-

       श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। नैवेद्यं ​निवेदया​मि॥नैवेद्यान्ते ​त्रिबारं आचमनीय जलं समर्पया​मि।

फल-

        श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। फला​नि समर्पया​मि॥

ताम्बूल-

         श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। ताम्बूलं समर्पया​मि॥

द​क्षिणा-

         श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। द​क्षिणां समर्पया​मि॥

आरती-

         श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आरा​र्तिकं समर्पया​मि॥

क्षमा प्रार्थना----


न मंत्रं नोयंत्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः । न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥


विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् । तदेतत्क्षतव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥


पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः । मदीयोऽयंत्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे कुपुत्रो जायेत् क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥


जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया । तथापित्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे कुपुत्रो जायेत क्वचिदप कुमाता न भवति ॥


परित्यक्तादेवा विविध​विधिसेवाकुलतया मया पंचाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि । इदानीं चेन्मातस्तव कृपा नापि भविता निरालम्बो लम्बोदर जननि कं यामि शरण् ॥


श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकैः । तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं जनः को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥ चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो जटाधारी कण्ठे भुजगपतहारी पशुपतिः । कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥


न मोक्षस्याकांक्षा भवविभव वांछापिचनमे न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुनः । अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै मृडाणी रुद्राणी शिवशिव भवानीति जपतः ॥


नाराधितासि विधिना विविधोपचारैः किं रूक्षचिंतन परैर्नकृतं वचोभिः । श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाथे धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥


आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि । नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥


जगदंब विचित्रमत्र किं परिपूर्ण करुणास्ति चिन्मयि । अपराधपरंपरावृतं नहि मातासमुपेक्षते सुतम् ॥


मत्समः पातकी नास्तिपापघ्नी त्वत्समा नहि । वं ज्ञात्वा महादेवियथायोग्यं तथा कुरु ॥



दुर्गा जी की आरती (1)


जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय!

भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय। जगजननी ..

तू ही सत्-चित्-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा।

सत्य सनातन, सुन्दर, पर-शिव सुर-भूपा॥ जगजननी ..

आदि अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी।

अमल, अनन्त, अगोचर, अज आनन्दराशी॥ जगजननी ..

अविकारी, अघहारी, अकल कलाधारी।

कर्ता विधि, भर्ता हरि, हर संहारकारी॥ जगजननी ..

तू विधिवधू, रमा, तू उमा महामाया।

मूल प्रकृति, विद्या तू, तू जननी जाया॥ जगजननी ..

राम, कृष्ण तू, सीता, ब्रजरानी राधा।

तू वाँछाकल्पद्रुम, हारिणि सब बाघा॥ जगजननी ..

दश विद्या, नव दुर्गा नाना शस्त्रकरा।

अष्टमातृका, योगिनि, नव-नव रूप धरा॥ जगजननी ..

तू परधामनिवासिनि, महाविलासिनि तू।

तू ही श्मशानविहारिणि, ताण्डवलासिनि तू॥ जगजननी ..

सुर-मुनि मोहिनि सौम्या, तू शोभाधारा।

विवसन विकट सरुपा, प्रलयमयी, धारा॥ जगजननी ..

तू ही स्नेहसुधामयी, तू अति गरलमना।

रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि तना॥ जगजननी ..

मूलाधार निवासिनि, इह-पर सिद्धिप्रदे।

कालातीता काली, कमला तू वरदे॥ जगजननी ..

शक्ति शक्तिधर तू ही, नित्य अभेदमयी।

भेद प्रदर्शिनि वाणी विमले! वेदत्रयी॥ जगजननी ..

हम अति दीन दु:खी माँ! विपत जाल घेरे।

हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे॥ जगजननी ..

निज स्वभाववश जननी! दयादृष्टि कीजै।

करुणा कर करुणामयी! चरण शरण दीजै॥ जगजननी ....



दुर्गा जी की आरती (2)

जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी ।

                     तुमको निशदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी ।।जय अम्बे गौरी...                           

मांग सिन्दूर विराजत टीको मृ्ग मद को ।

उच्चवल से दोऊ नैना चन्द्र बदन नीको। जय अम्बे गौरी...

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।

रक्त पुष्प गलमाला कंठन पर साजै।।जय अम्बे गौरी...

केहरि वाहन राजत खडग खप्पर थारी।

सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दु:ख हारी।।जय अम्बे गौरी..
                          

कानन कुण्डली शोभित नाशाग्रे मोती ।। कोटिक चन्द्र दिवाकर राजत सम ज्योति।।जय अम्बे गौरी...

शुम्भ निशुम्भ विदारे महिषासुर घाती ।

घूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ।।जय अम्बे गौरी...

चौंसठ योगिन गावन नृ्त्य करत भैरूं ।

बाजत ताल मृ्दंगा अरू बाजत डमरू।।जय अम्बे गौरी...

भुजा चार अति शोभित खडग खप्पर धारी ।

मन वांछित फल पावत सेवत नर नारी ।।जय अम्बे गौरी...

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।

श्री मालकेतु में राजत कोटि रत्न ज्योति।।जय अम्बे गौरी...
                          

श्री अम्बे की आरती जो कोई नर गावै।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पति पावै।। जय अम्बे गौरी..।      
ASTROLOGIT DO. RAJESH DHAKA CONT.9694329703 AND ANY INFO.

This article "नवरात्री पूजा सामग्री – सम्पूर्ण जानकारी" is from Wikipedia. The list of its authors can be seen in its historical and/or the page Edithistory:नवरात्री पूजा सामग्री – सम्पूर्ण जानकारी.