पदम सिंह यादव पदम
डॉ० पदम सिंह यादव ‘पद् म’ | |
---|---|
पूर्व प्रधानाचार्य, कवि एवं साहित्यकार | |
जन्म | 6 सितम्बर 1954 सिंहपुर, करहल, मैनपुरी, उत्तरप्रदेश |
बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ० पदम सिंह यादव ‘पद् म’ (जन्म: 6 सितम्बर 1954) प्रधानाचार्य पद से सेवा निवृत्त होने के बाद हिन्दी साहित्य की सेवा में संलग्न हैं। आप हिन्दी साहित्य की पंजीकृत संस्था सहित्य पथ के अध्यक्ष पद पर हैं। आप पर्यावरण का भी विशेष ध्यान रखते हैं। सहित्य एवं पर्यावरण का आपके जीवन में कितना महत्व है युग बोध वाटिका उसका प्रमाण है।
प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा[सम्पादन]
डॉ० पदम सिंह यादव ‘पद् म’ का जन्म उत्तर प्रदेश के जनपद मैनपुरी के करहल के निकटवर्ती ग्राम सिंहपुर में श्री कालिका प्रसाद यादव व श्रीमती मौर श्री यादव के पुत्र के रूप में 06-09-1954 को हुआ था। आपने नारायण डिग्री कॉलेज शिकोहाबाद (फ़िरोज़ाबाद) से बी.एस-सी. की उपाधि प्राप्त की तथा कानपुर विश्वविद्यालय से हिंदी एवं संस्कृति विषयों में स्नातकोत्तर की उपाधियाँ प्राप्त कीं। हंडिया कॉलेज हंडिया से आपने बी.एड. का प्रशिक्षण लिया तथा आगरा विद्यालय आगरा से आपने पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
जीवन वृत्त[सम्पादन]
आप कैप्टन उम्मेद सिंह इण्टर कॉलेज कल्होर (मैनपुरी) से प्रधानाचार्य पद से सेवा निवृत्त हैं। इस समय आप हिन्दी साहित्य की पंजीकृत संस्था ‘सहित्य पथ’ में अध्यक्ष पद पर रहते हुये सहित्य सेवा में संलग्न हैं। वृक्षारोपण एवं उनकी देखभाल आपकी दैनिकचर्या में शामिल है।
साहित्यक जीवन[सम्पादन]
साहित्यकार, कविवर डॉ० पदम सिंह यादव ‘पद् म’ हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं कविता, गीत, मुक्तक, घनाक्षरी, खण्डकाव्य, समीक्षा आदि में लेखन करते हैं। अब तक आपकी पांचाली (खण्डकाव्य), संकल्प (खण्डकाव्य), युग बोध (घनाक्षरी संग्रह), हिन्दी कवयित्रियों का इतिहास (साहित्येतिहास), चलें उजाले की ओर (गीत संग्रह), पद् म पराग (घनाक्षरी संग्रह), पद् म पीयूष ( घनाक्षरी संग्रह), जलते दीप, मुक्तक और एकता की शक्ति आदि कृतियाँ प्रकाशित हो चुकीं हैं।
कार्य और उपलब्धियां[सम्पादन]
मंच संचालन, गायन, काव्य वाचन, पाठन, लेखन आदि सब विधाओं में निपुण हैं। आपने अपना जीवन स०अ० से प्रारम्भ करके लगभग 17 वर्ष प्रधानाचार्य के रूप में अपनी सेवायें दी। आपने भागीरथ प्रसाद की पुस्तक ‘बुद्ध चरित्र’ तथा विनीत विक्रम बौद्ध की पुस्तक ‘अंगुलिमाल का आत्म समर्पण’ की समीक्षाएँ लिखीं जो प्रकाशित हुईं। आपने विद्यालय की पत्रिकाएँ ‘प्रभा’, ‘प्रगति’ के अलावा ‘पर्यावरण और योग’, ‘प्रकृति तथा संस्कृति’ और स्मारिका महान जननायक बाबूराम यादव का संपादन भी किया है।
मंच[सम्पादन]
भारत के सैकड़ों छोटे-बड़े शहरों में कविता पाठ करने के अलावा आपने न्यूयार्क (यू०एस०ए०) में भी अपनी काव्य-प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। आकाशवाणी के आगरा व मथुरा केन्द्रों से आपका काव्य पाठ प्रसारित होता रहता है। आकाशवाणी लखनऊ से ज़िले की चिट्ठी के कार्यक्रम के 1996 से फ़िरोज़ाबाद ज़िले की चिट्ठी के लेखक 2002 तक रहे। दूरदर्शन लखनऊ के विभिन्न कार्यक्रमों में आपकी भेंटवार्ताएँ व काव्य पाठ प्रसारित हुए हैं।
पुरस्कार[सम्पादन]
- माननीय राष्ट्रपति भारत सरकार द्वारा “राष्ट्रीय शिक्षक” पुरस्कार-2013[१]
- सरस्वती साधना परिषद मैनपुरी द्वारा “श्री शिवदयाल वर्मा” पुरस्कार
- अन्तर्राष्ट्रीय समरसता स्वतंत्र मंच जयपुर द्वारा “शिक्षक रत्न” अवार्ड
- महामहिम राज्यपाल छत्तीसगढ़ द्वारा “वेदम वारसी निसार सीमावी अलंकरण”-2008
- साहित्य मंडल श्रीनाथ द्वारा “हिंदी साहित्य विभूषण” मानद उपाधि-2016
- इण्डियन कम्युनिटी सेंटर वेस्ट चेस्टर न्यूयार्क (यू० एस० ए०) द्वारा “स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी” सम्मान-2017
- औरैया हिंदी प्रोत्साहन निधि द्वारा “श्री राधे श्याम स्मृति अलंकरण”-2010
- हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा “सारस्वत” सम्मान-2004
- “नेताजी सुभाष चन्द्र बोस” सम्मान-2006
- “वृक्ष मित्र” पुरस्कार प्रथम श्रेणी-2017
लेखन की प्रेरणा[सम्पादन]
डॉ० पदम सिंह यादव ‘पद् म’ को कविता लिखने की प्रेरणा तब मिली जब जैन इण्टर कॉलेज करहल में हाई स्कूल के छात्र थे। आज के प्रख्यात कवि श्री उदय प्रताप सिंह यादव उस समय जैन इण्टर कॉलेज में अंग्रेज़ी के प्रवक्ता थे। वे विद्यालय की पत्रिका ‘निर्झरिणी’ के सम्पादक थे। डॉ० पदम ने उस समय कविता लिखी जो ‘निर्झरिणी’ में छप गयी थी। उदय जी से अनजाने में ही उन्हें प्रेरणा मिल गयी थी। यह 1972 की बात है।
युग बोध वाटिका[सम्पादन]
आपकी युग बोध वाटिका साहित्य एवं पर्यावरण के संगम की एक अद्भुत मिशाल है, जो मैनपुरी इटावा सहित कई जनपदों में चर्चा का विषय बनी हुयी है। वाटिका में आपकी प्रकाशित पुस्तकों की आकृतियाँ मन्दिर की दीवारों पर तथा 150 से अधिक प्रजातियों के पेड़ पौधे दर्शनीय हैं। जिसमें समय-समय पर वृक्षारोपण का कार्य आप स्वयं भी करते हैं तथा और भी गणमान्य एवं विशिष्ट लोगों से कराते रहते हैं। युग बोध वाटिका का महत्व उस समय और भी बढ़ गया जब माननीय उच्च न्यायालय के निवर्तमान न्यायाधीश न्याय मूर्ति श्री रवीन्द्र सिंह ने वाटिका का अवलोकन करके रुद्राक्ष के पौधे का रोपण[२] किया और सम्मान में लगायी गयी पट्टिका का अनावरण किया।
संदर्भ[सम्पादन]
This article "पदम सिंह यादव पदम" is from Wikipedia. The list of its authors can be seen in its historical and/or the page Edithistory:पदम सिंह यादव पदम.
- ↑ "डॉ. पदम सिंह पदम को राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने पर दी बधाई" (hi में). https://m.jagran.com/lite/uttar-pradesh/mainpuri-10684471.html.
- ↑ "सैफई में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन:प्रशांत फाउंडेशन के संस्थापक के साथ युग बोध वाटिका में पूर्व न्यायाधीश रहे उपस्थित". https://www.bhaskar.com/amp/local/uttar-pradesh/etawah/saifai/news/former-judge-was-present-at-yug-bodh-vatika-along-with-the-founder-of-prashant-foundation-129721228.html.
- ↑ "साहित्यकार पदम सिंह के जन्मदिन पर काव्यगोष्ठी का हुआ आयोजन". Dainik Bhaskar | Uttar Pradesh News, UP Dainikbhaskar. 2020. https://dainikbhaskarup.com/poetry-seminar-organized-on-the-birthday-of-litterateur-padam-singh-news/. अभिगमन तिथि: 10 सितम्बर 2022.
- ↑ "डॉ. पदम सिंह पदम का किया अभिनंदन" (hi में). Dainik Jagran. 2013. https://m.jagran.com/lite/uttar-pradesh/mainpuri-10741985.html. अभिगमन तिथि: 11 सितम्बर 2022.