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पाल या बघेल(क्षत्रिय)

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पाल या बघेल प्राचीन एवं प्रतिष्टित समुदाय है इस समुदाय के सदस्यों को ग्वाल या ग्वाल गडरिया (गड़रिया)[१] भी कहा जाता है। पाल संस्कृत भाषा के शब्द पाला से आया है जिसका अर्थ होता है रक्षक या रक्षक सैनिक या अन्य किसी व्यक्ति को औपचारिक रुप से व्यक्ति की सुरक्षा के लिए या किसी स्थान पर पहुँच को नियंत्रित करने के लिए सौंपा गया है। "आइन-ए-अकबरी" उन्हें राजपूतों की एक गर्व ,दुर्दम्य व दबंग दौड़ के रुप में वर्णित करता है, जो की बासिम सिरकर में रहते है,और कई सशत्र बलों के [२]साथ,फोर्ट्स पर कब्ज़ा करते हैं और आसपास के जिलों को नियंत्रित करते हैं उनका मूल घर मथुरा के [३]पास गोकुल वृन्दावन बताया जाता है गोकुल से कहा जाता है कि बे मेवाड़ चले गए और मेवाड़ से गुजरात व महाराष्ट्र में फैल गए। पाल क्षत्रिय[४] चरवाहे योद्धा हैं जो मुग़ल काल के दौरान धर्मान्तरण से बचने के लिए जंगलों और पहाड़ियों की ओर भाग गए और मवेशियों को अपना पेशा बना लिया। उनका मुख्य व्यवसाय कृषि है और वे बड़ी कृषि भूमि के धारक हैं। मध्यप्रदेश/उड़ीसा/छत्तीसगढ़ के[५] बघेल वंश[६] (रीवा/बेकंठपुर/खंडपारा) इस समूह से सम्बंधित हैं और इन्हें राजपाल राजपूत या शाही चरवाहा कह जाता है। वे सोलंकी वंश की एक शाखा हैं और बेकंठपुर,भदरवा,चुरहट,खंडपारा, कोठी,मेहसाणा,नयागढ़,पेथापुर,पिंडार्दा,बघेलान,रामपुर,रीवा,सोहावल और धराड़ नामक 13 बघेल राजवंश प्रान्त हैं। इस समाज के सदस्यों के द्वारा विभिन्न प्रकार की उपाधियां जैसे चौधरी, पटेल, छड़ीनदार, राव साहब, लंबरदार आदि ग्रहण की जाती थी। पाल या बघेल की एक शाखा ने बंगाल में पाल वंश की स्थापना की। तथा एक अन्य शाखा ने मालवा में होल्कर साम्राज्य की स्थापना की।

पाल या बघेल
पाल या बघेल
पाल साम्राज्य
The Pala Empire in Asia in 800 CE
धर्महिन्दू
उप-विभाजनचंद्रवंशी ,अग्निकुलवंशी
उपजातियाँगडरिया,धनगर, घोषी, गवली, गायरी, गाडरी
भाषाभारत में सभी स्थानीय भाषाएंनेपाली
कुलपरमार, सेंगर, तंवर, बुन्देला, राष्ट्रकूट, परिहार, हैह्र्य, सोलंकी, दीक्षित, यादव, चव्हाण, परमार, शिन्दे, कदम, चौहान, करिथ, बोघेला, वाढेल, सिंघव, गोहिल, चंदवंशी, ब्राह्मण, कपूर, राने, राठी, साहून, सिप्पी

सिंह की ताकत से सम्पन्न , चाहे वे खुद को पाल या बघेल कहें , वे खुद को क्षत्रिय मरहट्टा कहने में गर्व महसूस करते है।[७] [८]। यह जाति भारत में प्रायः सभी राज्यों में निवास करती है। पाल अर्थात रक्षा करने वाला तथा बघेल अर्थात बाघ के समान। पंचायत व्यवस्था में एक मुखिया होता है तथा दूसरा छड़ीनदार (उपसहायक) होता है। चौधरी का अर्थ धरा (भूमि) का स्वामी अर्थात जमींदार, प्रधान या पटेल होता है तथा छड़ीनदार शब्द सेना से निकला है, जो सैनिक सेना के आगे ध्वज लेकर अर्थात जो सैनिक ध्वजों की रक्षा हेतु चलते थे , वे छड़ीनदार(गडरिया) कहलाते थे। यह भी एक गडरिया जाति के क्षत्रित्व की पहचान है।

छत्तीसगढ़ के सरगुजा, कोरिया जैसे उत्‍तरी जिलों के साथ-साथ मुंगेली, बिलासपुर, रायपुर, राजनांदगाूंव, हाथरस, एटा, कासगंज, अलीगढ, मथुरा, फिरोज़ाबाद, बुलंदशहर, गाजियाबाद, नोएडा जैसे जिलों में भी गड़रिया समुदाय की संख्‍या उल्‍लेखनीय है। छत्‍तीसगढ़ के विभिन्‍न जिलों में गड़रिया जाति की मुख्यतः 4 प्रमुख उपजाति निवास करती है:

  1. ढेंगर
  2. देशहा
  3. झेरिया
  4. कोसरिया

इसके अलावा झाडे, वराडे, गाडर, गायरी, ग्वाला, गवली, घोसी या घोषी और नीखर उपजाति भी कुछ भागोंं में निवास करती हैं। भेड़-बकरी व गाय का पालन करना इस समुदाय का व्यवसाय है। वर्तमान समय में राजनीति, अखिल भारतीय सेवाओं और विशेष रूप से भारतीय सशस्त्र बलों में उनकी सक्रिय भागीदारी ने आर्थिक अवसरों और सामाजिक स्थिति का विस्तार किया।

सन्दर्भ[सम्पादन]

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  1. Shyam Singh Shashi, Research Foundation, India, 1972. "Hamārā samāja". https://www.google.co.in/search?tbo=p&tbm=bks&q=inauthor:%22Shyam+Singh+Shashi%22. 
  2. Kitābaghara, 1988 - Ethnology - 504 pages. "Śyāma Siṃha Śaśi kā sr̥jana-mūlyāṅkana". https://books.google.co.in/books?id=APMrAAAAIAAJ&q=baghel+kshatriya+gadariya&dq=baghel+kshatriya+gadariya&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwiGpK-_8r3jAhUbknAKHcdXDuYQ6AEIOzAG. 
  3. Kancha Ilaiah SAGE Publishing India, 31-Dec-2016 - Social Science. "Hindutv-Mukt Bharat: Dalit-Bahujan, Samajik-Aadhyatmik aur Vaigyanik Kranti Par Manthan". https://books.google.co.in/books?id=lRtBDwAAQBAJ&dq=gadariya+krishna+vanshaj&source=gbs_navlinks_s. 
  4. Office of the Registrar of Newspapers., 1971 - Indic newspapers. "Press in India, Part 2". https://books.google.co.in/books?id=RGgeAQAAMAAJ&pg=PA1101&dq=pal+kshatriya&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwiFt-6y8b3jAhVbiHAKHRKRDYcQ6AEIIjAB. 
  5. Research Foundation, 1977 - Social sciences. "Contemporary Social Sciences, Issues 15-18". https://books.google.co.in/books?id=0tocAQAAMAAJ&q=baghel+kshatriya+gadariya&dq=baghel+kshatriya+gadariya&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwiGpK-_8r3jAhUbknAKHcdXDuYQ6AEILTAD. 
  6. Lotus Press, 2006 - Ethnology - 297 pages. "Shyam Singh Shashi". https://books.google.co.in/books?id=Otppyf6MbxgC&pg=PA13&dq=baghel+gadariya&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwi4y5yw8L3jAhUBOY8KHdQOAgsQ6AEIHTAA. 
  7. Jagata Rāma, 1984 - Ethnology, Shyam Singh Shashi. "Bhārata ke yāyāvara". https://www.google.co.in/search?tbo=p&tbm=bks&q=inauthor:%22Shyam+Singh+Shashi%22. 
  8. Shyam Singh Shashi. "Sāmājika vijñāna Hindī viśvakośa, भाग". https://books.google.co.in/books?id=dnLBJ2x6Fw8C&printsec=frontcover. 


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