बज्रनाभ
वज्रनाभ अनिरुद्ध के पुत्र एवं भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र का नाम था। ऋषि-मुनियों के श्राप के कारण भगवान श्रीकृष्ण के कुल का विनाश हो गया था। अर्जुन ने सभी मृत यादवों का दाहसंस्कार करके सोलह हजार एक सौ ललनाओं के साथ अनिरुद्ध के पुत्र वज्र को लेकर इंद्रप्रस्थ आये।
भगवान् श्रीकृष्ण के तिरोधान के बाद ब्रजभूमि सूनी हो गयी थी। जगत अधीश्वर श्रीकृष्ण की सभी लीला स्थलियां लुप्त हो गयी चुकी थी। तब उनके प्रपौत्र वज्रनाभ जी ब्रज में प्रकाश पुंज बनकर आये। वज्रनाभ को इंद्रप्रस्थ से लाकर मथुरा का राजा बनाया। उस समय मथुरा की आर्थिक दशा बहुत खराब थी। जरासंध ने सब कुछ नष्ट कर दिया था। राजा परीक्षित ने इंद्रप्रस्थ से मथुरा में बहुत से बड़े बड़े सेठ लोग भेजे। इस प्रकार राजा परीक्षत की मदद ओर महर्षि शांडिल्य की कृपा से वज्रनाभ ने उन सभी स्थानों की खोज की जहाँ भगबान ने अपने प्रेमी गोप गोपियों के साथ नाना प्रकार की लीलाएं की थीं। लीला स्थलों का ठीक ठीक निश्चय हो जाने पर उन्होंने वहां की लीला के अनुसार उस स्थान का नामकरण किया। भगबान के लीला विग्रहों की स्थापना की तथा उन स्थानों पर अनेकों गांव बसाए। स्थान स्थान पर भगबान श्रीकृष्ण के नाम से कुण्ड और कूए व् बगीचे लगवाये। शिव आदि देवताओ की स्थापना की। गोविन्द , हरिदेव आदि नामो से भगवधि गृह स्थापित किये। इन सब शुभ कर्मों के द्वारा वज्रनाभ ने अपने राज्य में एक मात्र श्री माधव भक्ति का प्रचार किया। इस प्रकार वज्रनाभ जी को ही मथुरा का पुनः संस्थापक के साथ-साथ यदुकुल पुनः प्रवर्तक भी माना जाता है । इनसे ही समस्त यदुवंश का विस्तार हुआ माना जाता है। वज्रनाभ जी ने ही ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा आरम्भ हुई। उन्होंने ही ब्रज में चार प्रसिद्ध देव प्रतिमा स्थापित की। उनके नाम पर ही मथुरामंडल को 'वज्र प्रदेश' या 'व्रज प्रदेश' कहा जाने लगा।
मंदिर निर्माण[सम्पादन]
वज्रनाभ जी ने परीक्षित और महर्षि शांडिल्य के द्वारा मथुरा अनेक मन्दिरों का निर्माण कराया गया, साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली का महत्त्व भी स्थापित किया।
मूर्ति स्थापना[सम्पादन]
श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार महाराज वज्रनाभ ने व्रज में आठ मूर्तियों का निर्माण किया था। वे हैं चार देव, अर्थात् मथुरा में केशव देव, वृंदावन में गोविन्ददेव, गोवर्धन में हरि देव, बलदेव में दाऊजी स्थापित किये, दो नाथ- श्रीनाथ और गोपीनाथ, और दो गोपाल- साक्षी गोपाल और मदनगोपाल।
चारि देव, दुइ नाथ, दुइ गोपाल वाखान।
वज्रनाभ प्रकटित एइ आठ मूर्ति जान॥
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