बोलो गंगापुत्र
बोलो गंगापुत्र[१] भीष्म पितामह के मन में चल रहे अंतर द्वंद्व को रेखांकित करती पुस्तक है जिसे पवन विजय ने लिखा है । यह कथानक उस समय का है जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका है और शरशैया पर पड़े भीष्म सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं । उनके मस्तिष्क में रह रह कर एक ही प्रश्न आता है कि क्या उन्होंने अपने उत्तरदायित्वों का सही निर्वहन किया? क्या सचमुच धर्म की विजय हुयी है? इन तमाम प्रश्नों के उत्तर संवाद के रूप में इस पुस्तक में संजोये गये हैं जो कभी काल कभी कृष्ण कभी अश्वत्थामा, संजय, विदुर और वेदव्यास के माध्यम से प्राप्त हुए। यह पुस्तक इस बात की विवेचना करती है कि धर्म की विजय नही होती अपितु जो विजयी हुआ धर्म उसी की ओर स्थापित किया जाता है । राजकुल में सत्ता ही सत्य है।
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- ↑ विजय, पवन (2018). बोलो गंगापुत्र. Redgrabbooks & Anybook. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9387390270. https://www.goodreads.com/book/show/38347178-bolo-gangaputra.