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ब्रजेश कानूनगो

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ब्रजेश कानूनगो' (25 सितंबर 1957 ,देवास, मध्यप्रदेश) हिंदी के सुप्रसिद्ध और चर्चित रचनाकार हैं [१]। साहित्य की विभिन्न विधाओं में उनका विशेष योगदान है ।आपने हिंदी और रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर (मास्टर डिग्री) की उपाधि प्राप्त की है । अंगूठाकार|ब्रजेश कानूनगो लेखक

प्रकाशन और संग्रह -[सम्पादन]

देश की प्रतिष्ठित पत्र - पत्रिकाओं में सन 1976 से बालकथाएँ, व्यंग्य रचनाएँ ,कविताएँ  लगातार प्रकाशित ।

आपका पहला व्यंग्य संग्रह 'पुनः पधारे ' (1995) में प्रकाशित हुआ जो की  काफी लोकप्रिय रहा । उसके बाद लगातार अलग अलग विधाओ में आपकी लेखनी ने साहित्य को समृद्ध किया । आप के संग्रह इस प्रकार है -

व्यंग्य संग्रह - पुनः पधारें (1995) ,’सूत्रों के हवाले से’(2014), ‘मेथी की भाजी और लोकतंत्र’(2017)

कविता संग्रह - धूल और धुएँ के पर्दे में(1999) , 'इस गणराज्य में'(2014) 'चिड़िया का सितार'( 2014) ,'कोहरे में सुबह'(2017)

कहानी संग्रह - 'रिंगटोन' (2016)

बाल कथाएँ - 'फूल शुभकामनाओं के' (2003)

बाल गीत - 'चांद की सेहत' (2007)

उपन्यास - 'डेबिट क्रेडिट ' ( 2018)

आलोचना (साहित्यिक नोट्स ) - 'अनुगमन ' (2018)

यात्रा संस्मरण - 'रात नौ बजे का इंद्रधनुष ' (2019)

सम्मान -  [सम्पादन]

युवा श्रेष्ठ लेखन के लिए 'रमाकांत चौधरी स्मृति सम्मान'।

प्रेमचन्द सृजन पीठ, उज्जैन से अभिनन्दन पत्र।

इंदौर जिला ग्रंथपाल संघ से 'कृति कुसुम सम्मान'।

पत्र लेखक मंच से व्यंग्य लेखन के लिए 'गक्खड़ रत्न सम्मान' [२]

'अभिव्यक्ति सम्मान' देवास की जरूरत संस्था से।

अनेक सारस्वत सम्मान व लेखन प्रतियोगिताओं में संस्थागत पुरस्कार।

अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियां -[सम्पादन]

साहित्यिक,सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में संलग्न। तंगबस्ती के बच्चों के व्यक्तित्व विकास शिविरों में सक्रिय सहयोग [३]

स्टेट बैंक ऑफ इंदौर की गृह पत्रिका 'इंदौर बैंक परिवार' तथा 'प्रगति पथ' एवं  साहित्यिक संगठन के बुलेटिन 'प्राची' का सम्पादन।

आकाशवाणी, इंदौर से रचनाओं का प्रसारण।

जीवन बीमा निगम के मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ मंडल के चार वर्षों तक सलाहकार मंडल में नामित।

मुंबई विश्वविद्यालय के बी ए पाठ्यक्रम में सत्र 2020/21 से हिंदी विषय के चौथे सेमेस्टर के प्रश्न पत्र में क़ानूनगो जी का व्यंग्य निबन्ध 'ऐनक के बहाने' भी जाने माने साहित्यकारों सर्वश्री भगवतीचरण वर्मा,हरिशंकर परसाई,नामवरसिंह,शंकर पुणतांबेकर, शरद जोशी,सूर्यबाला, प्रेम जनमेजय,ज्ञान चतुर्वेदी,स्नेहलता पाठक,घनश्याम अग्रवाल,बी एल आच्छा के निबंधों के साथ शामिल किया गया [४]

संप्रति -[सम्पादन]

अंगूठाकार|ब्रजेश कानूनगो लेखक|कड़ी=Special:FilePath/ब्रजेश_कानूनगो.jpg|122x122पिक्सेलसेवानिवृत्त बैंक अधिकारी ।साहित्यिक ,सांस्कृतिक,और सामाजिक गतिविधियों में संलग्न।

तंगबस्ती के बच्चों के व्यक्तित्व विकास शिविरों में सक्रिय सहयोग ।

आवास - इंदौर, मध्यप्रदेश

संदर्भ -[सम्पादन]


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