You can edit almost every page by Creating an account. Otherwise, see the FAQ.

ब्रज परिक्रमा

EverybodyWiki Bios & Wiki से
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

ब्रज भूमि भगवान श्रीकृष्ण एवं उनकी शक्ति राधा रानी की लीला भूमि है। यह चौरासी कोस की परिधि में फैली हुई है। यहां पर राधा-कृष्ण ने अनेकानेक चमत्कारिकलीलाएं की हैं। सभी लीलाएं यहां के पर्वतों, कुण्डों, वनों और यमुना तट आदि पर की गई। पुराणों में ब्रज भूमि की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि राधा-कृष्ण ब्रज में आज भी नित्य विराजते हैं। अतएव, उनके दर्शन के निमित्त भारत के समस्त तीर्थ यहां विराजमान हैं। यही कारण है कि इस भूमि के दर्शन करने वाले को कोटि-कोटि तीर्थो का फल प्राप्त होता है। ब्रज रज की आराधना करने से भगवान श्री नन्द नन्दन व श्री वृषभानुनंदिनी के श्री चरणों में अनुराग की उत्पत्ति व प्रेम की वृद्धि होती है। साथ ही ब्रज मण्डल में स्थित श्रीकृष्ण लीला क्षेत्रों के दर्शन मात्र से मन को अभूतपूर्व सुख-शांति व आनन्द की प्राप्ति होती है। इसीलिए असंख्य रसिक भक्त जनों ने इस परम पावन व दिव्य लीला-भूमि में निवास कर प्रिया-प्रियतम का अलौकिक साक्षात्कार करके अपना जीवन धन्य किया है। वस्तुत:इस भूमि का कण-कण राधा-कृष्ण की पावन लीलाओं का साक्षी है। यही कारण है कि समूचे ब्रज मण्डल का दर्शन व उसकी पूजा करने के उद्देश्य से देश-विदेश से असंख्य तीर्थ यात्री यहां वर्ष भर आते रहते हैं। ब्रज चौरासी कोस में उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले के अलावा हरियाणा के फरीदाबाद जिले की होडलतहसील और राजस्थान के भरतपुरजिले की डीगव कामवनतहसील का पूरा क्षेत्रफल आता है। ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा के अंदर 1300से अधिक गांव, 1000सरोवर, 48वन, 24कदम्ब खण्डियां, अनेक पर्वत व यमुना घाट एवं कई अन्य महत्वपूर्ण स्थल हैं। ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा वर्ष भर चलती रहती हैं, किंतु दीपावली से होली तक मौसम की अनुकूलता के कारण प्रमुख रूप से चलती है। इन पद यात्राओं में देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए हजारों तीर्थ यात्री जाति, भाषा और प्रान्त की सीमाओं को लांघ कर प्रेम, सौहा‌र्द्र, श्रद्धा, विश्वास, प्रभु भक्ति और भावनात्मक एकता आदि अनेक सद्गुणों के जीवन्त उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। साथ ही ब्रज संस्कृति से वास्तविक साक्षात्कार भी होता है। इन यात्राओं में राधा-कृष्ण लीला स्थली, नैसर्गिक छटा से ओत-प्रोत वन-उपवन, कुंज-निकुंज, कुण्ड-सरोवर, मंदिर-देवालय आदि के दर्शन होते हैं। इसके अलावा सन्त-महात्माओं और विद्वान आचार्यो आदि के प्रवचन श्रवण करने का सौभाग्य भी प्राप्त होता है। पुराणों में ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा का विशेष महत्व बताया गया है। कहा गया है, ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा को लगाने से एक-एक कदम पर जन्म-जन्मान्तर के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह भी कहा गया है, ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा चौरासी लाख योनियों के संकट हर लेती है।

शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि इस परिक्रमा के करने वालों को एक-एक कदम पर अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। साथ ही जो व्यक्ति इस परिक्रमा को लगाता है, उस व्यक्ति को निश्चित ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। गर्ग संहिता में कहा गया है कि एक बार नन्द बाबा व यशोदा मैया ने भगवान श्रीकृष्ण से चारों धामों की यात्रा करने हेतु अपनी इच्छा व्यक्त की थी। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि आप वृद्धावस्था में कहां जाएंगे! मैं चारों धामों को ब्रज में ही बुलाए देता हूं। भगवान श्रीकृष्ण के इतना कहते ही चारों धाम ब्रज में यत्र-तत्र आकर विराजमान हो गए। तत्पश्चात यशोदा मैया व नन्दबाबाने उनकी परिक्रमा की। वस्तुत:तभी से ब्रज में चौरासी कोस की परिक्रमा की शुरुआत मानी जाती है। यह परिक्रमा पुष्टि मार्गीयवैष्णवों के द्वारा मथुरा के विश्राम घाट से एवं अन्य सम्प्रदायों के द्वारा वृंदावन में यमुना पूजन से शुरू होती है। ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा लगभग 268कि.मी. अर्थात् 168मील की होती है। इसकी समयावधि 20से 45दिन की है। परिक्रमा के दौरान तीर्थयात्री भजन गाते, संकीर्तन करते और ब्रज के प्रमुख मंदिरों व दर्शनीय स्थलों के दर्शन करते हुए समूचे ब्रज की बडी ही श्रद्धा के साथ परिक्रमा करते हैं।

कुछ परिक्रमा शुल्क लेकर, कुछ नि:शुल्क निकाली जाती हैं। एक दिन में लगभग 10-12कि.मी. की परिक्रमा होती है। परिक्रमार्थियोंके भोजन व जलपान आदि की व्यवस्था परिक्रमा के साथ चलने वाले रसोडोंमें रहती है। परिक्रमा के कुल जमा 25पडाव होते हैं। आजकल समयाभाव व सुविधा के चलते वाहनों के द्वारा भी ब्रज चौरासी कोस दर्शन यात्राएं होने लगी हैं। इन यात्राओं को लक्जरी कोच बसों या कारों से तीर्थयात्रियों को एक हफ्ते में समूचे ब्रज चौरासी कोस के प्रमुख स्थलों के दर्शन कराए जाते हैं। यात्राएं प्रतिदिन प्रात:काल जिस स्थान से प्रारम्भ होती हैं, रात्रि को वहीं पर आकर समाप्त हो जाती हैं।


This article "ब्रज परिक्रमा" is from Wikipedia. The list of its authors can be seen in its historical and/or the page Edithistory:ब्रज परिक्रमा.



Read or create/edit this page in another language[सम्पादन]