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भागवत राय (पहलवान साहब)

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भागवत राय (पहलवान साहब)
चित्र:Bhagwat Rai.jpeg
भागवत राय के युवा अवस्था की तस्वीर
जन्म 28/07/1899
बलिया
मृत्यु 15/05/1944
व्यवसाय पहलवानी & करतब बाज
धार्मिक मान्यता हिन्दू
जीवनसाथी कुँवरी मुलाल
पुरस्कार

● अपने समय के हनुमान – अंग्रेज़ कलेक्टर गाजीपुर 1921 ● इंडियन भीम- आजमगढ़ के मशहूर कलेक्टर (मेकालाऊ) १९२९ ● An Inimitable Strong Man : Dr. एस मजूमदार १९४२ ●काशी नरेश प्रभुनारायण लसहं , विशेष गौरव सम्मान ● तमकुही नरेश इंद्रजीत प्रताप नारायण शाही द्वारा पवशेष गौरव सम्मान ● पद्म विजेता गामा, इमाम बख़्श राजनारायण राय,अमीर पहलवान एवं कुश्ती कला के जादगूर

अदालत नट आदि कि कुश्ती में रेफरी की भूमिका । ● प्रोफे सर की पदवी अंग्रेज़ो द्वार दी गयी

*भागवत राय (1899-1944) उत्तर भारत में ताकत का दूसरा नाम भागवत था। टुटुवारी गांव जो जिला मुख्यालय बलिया से 35 किलोमीटर दूर है। ब्रिटिश साम्राज्य में पहले हिंदुस्तानी पहलवान जो अपने सिने पर हाथी चढ़वाते थे।

व्यक्तिगत विवरण[सम्पादन]

भागवत राय (पहलवान साहब ) के पिता का नाम दक्षिणी राय उनकी पत्नी का नाम कुँवरी मुलाल उनकी लम्बाई 184 से.मी, सीना 48 इंच ,जंघा 27 इंच, भुजाए 16.5 इंच और वजन 120 किलोग्राम था

जन्म एवं प्रारंभिक जीवन[सम्पादन]

भगवत राय का जन्म दक्षिणी राय की पहली संतान के रूप में हुआ। भागवत मतलब बलवान शरीर, कोमल ह्रदय और उनके साहस के लिए उन्हें उत्तर भारत में याद किया जाता था।  भागवत राय के जन्म से ही उनके चर्चे आस पास के गांव में होने लगे थे। आम बच्चो से कही ज्यादा हृस्ट - पुष्ट और चेहरे पर एक अलग सा तेज  लिए जन्म हुआ था। संजोग से इस साल बारिश भी बहुत अच्छी हुई थी जिसके कारण फसल की पैदावार पिछले कई सालो से बेहतर हुई थी । लोग भागवत के जन्म को गांव के उन्नति से जोड़कर देखने लगे थे। कई ज्योतषियो ने तो आने वाले वक्त में राय परिवार और इस गांव का सम्मान बताया था। धीरे धीरे यह बात सच भी होने लगी थी, अपने बचपन से भागवत बहुत प्रतिभाशाली होने लगे थे, यही कारण था कि परिवार के मुखिया और भागवत के चाचा देवदत्त राय को अपने सभी बच्चो में सबसे प्रिय भागवत ही थे।

पढाई लिखाई और पहलवानी[सम्पादन]

राय परिवार में पढाई लिखाई का बहुत महत्त्व था खास तौर पर अंग्रेजी भाषा का, जिस कारण सभी बच्चो में अंग्रेजी भाषा को आम बोल चाल में प्रयोग किया जाता था। घर कई अंग्रेज अफसर भी इनकी भाषा शैली देख कर दंग रह जाते थे। भागवत अपने भाई बहनो से अलग पहलवानी को अपनी रूचि बनाते जा रहा था। पढाई को भागवत बस अपनी सामान्य प्रगति के तौर पर ले रहे थे, इसी कारण वो पढ़ने में अपने भाई बहनो से थोड़ा कमजोर थे पर शारीरिक मजबूती में वह पुरे परिवार पर अकेले ही भारी थे। सन 1919 में जब भागवत २० साल के हुए, तब उनहोंने पहली बार अपने गांव के मेले में अपने से लगभग डेढ़ गुने/ दोगुने उम्र के ५ -६ पहलवानो को एक साथ पठखनी दी।

सर्कस कम्पनी का गठन[सम्पादन]

सन 1925 मे सर्कस कंपनी की स्थापना की और उसको चलाया और विवाहित होने के वावजूद अखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया। प्राणायाम मे प्रवीनता से उन्होने बहुत करतब किए। DR. S MAZUMDAR दवारा रचित पुस्तक "STRONG MAN OVER THE YEARS" के चैप्टर सं 19 AN INIMITABLE STRONG MAN शीर्षक में भागवत की करतब के बारे में विस्तृत से लिखी गयी है। । यह पुस्तक सन 1942 मे प्रकाशित हुई। भागवत एक सुखी संपन्न जमींदार परिवार का होकर भी जिसने मेहनत और मजदूरी को गले लगाया, गरीब किसानो के कंधे से कन्धा मिलाकर अपने गांव समाज का विकाश किया और जिसने अपनी ताकत का लोहा बड़े से बड़े पहलवानो को मनवाया।

महान स्वंत्रता सेनानी मंगल पांडेय से प्रेरित[सम्पादन]

भागवत का अपने मिटटी के प्रति बहुत लगाव था, जिसका विशेष कारण यह था की महान स्वंत्रता सेनानी मंगल पांडेय भी इसी मिटटी के सपूत थे। हट्टा-कट्टा गबरू जवान साथ - साथ जमींदारी का ताज।

विदेशो में भी बल का अद्भुत प्रदर्शन[सम्पादन]

दो गाड़ियो को अपनी दोनों भुजाओ मे जकड़ लेना और गाड़ियों का टस से मस नहीं होना | 80 मन यानि 3200 किलोग्राम पथ्थर के बहुत बड़े टुकडे को अपने सीने पर रखना। “एलिफ़ेंट ऐक्ट ” जिसमे वो अपने सीने पर हाथी चढाते थे। जिसके के बारे आप सोच के अपनी अंगुलिया दाँतों तले दबा लेंगे। यह था दुनिया का अजूबा। प्राणायाम की सिद्धियों से हाथी चढ़ा होने की स्थिति में उपस्थित जन समुदाय को संबोधित भी करते थे।

भागवत राय की अधूरी इच्छा[सम्पादन]

ब्रिटिश सरकार जनपद के सारे निवासियों का रेल किराया माफ कर दे तो ट्रेन का इंजन रोकते ।जिसका अभ्यास ओपियम(अफीम) फैक्ट्री गाजीपुर ऊ॰ प्र. में किया करते थे। भागवत राय के नाम का डंका ब्रिटिश शाशन में उनकी क्रूरता और धोकेबाजी को चीरता हुआ पुरे भारत में बजा।

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