मनीषा कुलश्रेष्ठ
मनीषा कुलश्रेष्ठ
जन्म :- 26 अगस्त 1967, जोधपुर, राजस्थान
परिचय :- हिंदी भाषा की समकालीन साहित्यकार हैं। उन्होंने कहानी, उपन्यास, कविता विधाओं में साहित्य रचना की है। प्रारम्भिक शिक्षा जोधपुर तथा स्नातक शिक्षा मीरा कन्या महाविद्यालय उदपुर में की। हिन्दी साहित्य से एम. ए. तथा एम. फिर. सुखाड़िया विश्व विद्यालय उदयपुर के आर्टस कॉलेज से किया। इनका विवाह 1992 में अंशु कुलश्रेष्ठ से हुआ जो वायुसेना के अधिकारी हैं। प्रथमत: इन्होंने एक एकांकी लिखी थी जिसकी कथावस्तु देवदासी प्रथा पर आधारित थी। इस एकांकी पर इन्हें राजस्थान साहित्य अकादमी का 'चंद्रदेव शर्मा नवोदित प्रतिभा' पुरूस्कार मिला। ये इंटरनेट की प्रथम वेव पत्रिका 'हिन्दी नेस्ट' का कई वर्षों से सम्पादन कर रही हैं। इनका 'मल्लिका' नामक उपन्यास साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की प्रेमिका मल्लिका पर आधारित है। जो कि उनके पड़ोस में रहने वाली बाल विधवा थीं। इनके अब तक चार उपन्यास एवं सात कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
मुख्य कृतियाँ :-
कहानी संग्रह :-
(1) बौनी होती परछाईं (2003)
(2) कठपुतलियाँ (2008)
(3) कुछ भी तो रूमानी नहीं (2008)
(4) केयर ऑफ स्वात घाटी (2011)
(5) गन्धर्व गाथा (2012)
(6) अनामा (2014)
(7) किरदार (2018)
उपन्यास :-
(1) शिगाफ़
(2) शालभंजिका
(3) पंचकन्या
(4) स्वप्न पास
अनुवाद:- माया एँजलू की आत्मकथा 'वाय केज्ड बर्ड लिंक्स' का अनुवाद,लातिन अमेरिकी लेखक मामाडे के उपन्यास 'हाऊस मेड ऑफ डॉन' का अनुवाद,बेहोंस की कहानियों का अनुवाद
सम्मान :- चंद्रदेव शर्मा पुरस्कार (राजस्थान साहित्य अकादमी 1989),कृष्ण बल्देव वैद फैलोशिप (2007),डॉ घासी राम वर्मा सम्मान (2009),रांगेयराघव पुरुस्कार (2010),कृष्ण प्रताप कथा सम्मान (2011),लमही सम्मान (2013)
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