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महाराजा डलदेव

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महाराजा डलदेव


इतिहास के अनुसार ग्यारहवी सदी में उत्तर भारत का लगभग पूरा क्षेत्र श्रावस्ती सम्राट सुहेलदेव पासी के राज्य में था परन्तु बारहवी सदी आते आते मुसलमानों के आतंक से कि हरदोई के पासी राजा हरदेव को सवर्णों की मदद से मुसलमानों ने पराजित किया तथा जबरन पासी को मुसलमान बनाने का अभियान छेड़ दियाI उन्हें जबरन धर्म परिवर्तनके लिए बाध्य किया गया इसका बिरोध करने पर पासी और अन्य हिन्दू जातियों का खुलेयाम कत्ले आम किया गया और पासी तथा धार्मिक यातनाओ का सामना करना पड़ा मुसलमानों का यह धार्मिक दमन तेरहवी सदी तक चलता रहा आत्म-रक्षा के लिये पासी जाति का पलायन होने लगा था उनकी राजसत्ता कमजोर होने लगी!

महाराजा डलदेव पासी डलमऊ की हवाएं आज भी राजा डलदेव और वहां के बहादुर सैनिको और बाशिंदों की कहानिया सुनाती हैं। राजा डलदेव की मृत्यु जिस जगह पर हुई थी वह आज भी उनका मंदिर बना हुआ है और लोग उन्हें वह “डालबालन” के नाम से पूजते हैं। डलमऊ की जनता का आज भी भरोसा है की डलमऊ को राजा डलदेव आज भी बुरी ताकतों और मुसीबतों से बचा रहे हैं। अपने वीर राजा और उस युद्ध में शहीद हुए सैनिको और वह के बाशिंदों की याद में आज भी डलमऊ क्षेत्र के लोग पूरे तीन दिन तक शोक मनाते हैं।[सम्पादन]

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