महिमा मेहता
श्रीमती महिमा मेहता हिन्दी भाषा की लेखिका एवं शिक्षाविद हैं. आपने अनेक पुस्तकों, रेडियो नाटकों एवं पुस्तकों की रचना। भारतीय ज्ञानपीठ पुरुस्कार से सम्मानित कवि एवं साहित्यकार श्री नरेश मेहता की धर्मपत्नी श्रीमती महिमा मेहता ने उनकी सृजन यात्रा को जारी रखने के लिए बहुत संघर्ष किया। श्री नरेश मेहता ने अपने सृजन का श्रेय श्रीमती मेहता की कड़ी साधना एवं तपस्या को दिया।
प्रारंभिक जीवन[सम्पादन]
दिनांक 3 जुलाई, 1932 को मध्यप्रदेश के सैलाना ज़िले में जन्मी श्रीमती महिमा मेहता के पिताजी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे तथा आज़ादी के संघर्ष में कई वर्ष भूमिगत रहे. उनकी माताजी ने सभी संतानों को बेहद परिश्रम करके न सिर्फ पाला और बड़ा किया अपितु स्वयं भी शिक्षा ग्रहण करते हुए बच्चों को उच्च शिक्षित किया। महिमाजी ने बेहद तंग आर्थिक हालातों का सामना करते हुए, स्वयं मामूली नौकरियाँ करते हुए समाजशास्त्र में एम.ए. की उपाधि ग्रहण की.
विवाह एवं श्रीनरेश मेहता जी के लेखकीय जीवन के लिए कठोर त्याग[सम्पादन]
महिमा जी से विवाह के समय श्रीनरेश मेहता अपनी ऑल इण्डिया रेडियो की नौकरी छोड़ चुके थे तथा लेखक के रूप में भी विचारधाराओं के संघर्ष के बीच अपनी भूमिका तलाश रहे थे. अपने भाई श्री श्रीकांत के कहने से महिमाजी ने पहले से यह तय मानकर कि उन्हें एक लेखक को पूरी लेखकीय स्वतंत्रता देना है और सभी व्यावहारिक कठिनाइयों और ज़िम्मेदारियों का निर्वहन स्वयं करना है, एक संघर्ष और त्याग का रास्ता चुना। श्रीनरेश मेहता जी के पूरे जीवनकाल में वे उनके कवि मानस को कोई तक़लीफ़ ना हो, इसका ध्यान रखते हुए स्वयं सारी चुनौतियाँ स्वीकारती रहीं। श्रीनरेश मेहता जी ज्ञानपीठ पुरुस्कार मिलने के बाद कहा था कि यदि मैं इत्र हूँ तो महिमा जी वह रुई का फाहा हैं, जिसने इत्र को धारण किया है. उनके मेरी काव्य यात्रा संभव न थी.
महत्वपूर्ण प्रकाशन[सम्पादन]
1- उत्सव - पुरूष श्री नरेश मेहता
ज्ञानपीठ प्रकाशन
2- परछाइयां - लोकभारती प्रकाशन
श्रीमती महिमा मेहता ने अनेक वर्षों तक रेडियो नाटक एवं रूपकों को लिखा एवं वाचिक अभिनय किया।
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