माँ चंद्रहासिनी देवी मंदिर
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चाम्पा जिले के डभरा तहसील में मांड नदी, लात नदी और महानदी के संगम पर स्थित चन्द्रपुर जहाँ माँ चंद्रहासिनी देवी का मंदिर है।यह सिद्ध शक्ति पीठों में से एक शक्ति पीठ है।मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक स्वरूप मां चंद्रहासिनी के रूप में विराजित है। चन्द्रमा की आकृति जैसा मुख होने के कारण इसकी प्रसिद्धि चंद्रहासिनी और चंद्रसेनी माँ के नाम से जानी जाती है। माँ चंद्रहासिनी पर हम सभी का अपार श्रद्धा एवं विश्वास है। भक्त माता के दरबार में नारियल,अगरबत्ती, फूलमाला लेकर पूजा-अर्चना करके अपनी मनोकामना पूरी करते हैं। माँ अपने बच्चों का नि:स्वार्थ भाव से सबकी मनोकामना पूर्ण करती है। यहाँ आने वाले सभी श्रद्धालुजन अपना इच्छित कामना की पूर्ति करते हैं। माता पर भक्तों का आस्था की कोई सीमा नहीं है, उसकी प्रकार माँ की कृपा भक्तों पर इसकी भी कोई सीमा नहीं है।
माँ की पावन धरा पर आश्विन नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि में छटा देखने लायक रहती है। निराली छटा देखते जी नहीं भरता है, माता के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठता है। इस वातावरण में अपने आपको शामिल कर पाना एक महान काम से कम नहीं,बहुत बड़े सौभाग्य की बात होती है। माता की कीर्ति चारों दिशाओं में फैली हुई है। जिसका गुणगान करने प्रान्त के ही नहीं वरन अन्य प्रान्तों से भी लोग आते हैं।यहाँ वर्षभर भक्तों का तांता लगा रहता है।मेले के अवसर पर भक्तों की लम्बी कतारें लगी रहती है।
लोग अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए ज्योतिकलश नवरात्रि के अवसर पर जलाते हैं। कई श्रद्धालु मनोकामना पूरी करने के लिए यहां बकरे व मुर्गी की बलि देते हैं।यहाँ बने पौराणिक व धार्मिक कथाओं की झाकियां समुद्र मंथन, महाभारत की द्यूत क्रीड़ा आदि, माँ चंद्रहासिनी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है।
महानदी और मांड नदी से घिरा चंद्रपुर, जांजगीर-चांपा जिलान्तर्गत रायगढ़ से लगभग ३२ कि.मी. और सारंगढ़ से २२ कि.मी. की दूरी पर स्थित है। कुछ ही दुरी (लगभग 1.5कि.मी.) पर माता नाथलदाई का मंदिर है जो की रायगढ़ जिले की सीमा अंतर्गत आता है।
सन्दर्भ[सम्पादन]
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