मानकी मुंडा शासन व्यवस्था
मानकी-मुंडा शासन व्यवस्था झारखण्ड के हो समूह की जनजातियों की एक पारम्परिक शासन प्रणाली है, जिससे परम्परागत रूप से हो लोग शासित होते थे।[१] इस व्यवस्था में कुछ प्रमुख पदाधिकारी होते थे:- मानकी, मुंडा (मुड़ा), डाकुआ/डाकुवा, पाहान/लाया, दिउरी/देउरी, तहसीलदार, आदि। मानकी-मुंडा प्रथा का अनुसरण करने वालों में हो, जनजाति प्रमुख हैं।
1834 के कोल विद्रोह में हो को अधीन करने में अंग्रेजों की विफलता के बाद, आदिवासियों को ब्रिटिश शासन के अधीन रखा गया और इस बात पर सहमत हुए कि उनके शासन की पारंपरिक प्रणाली को जारी रखा जाना चाहिए। विल्किंसन के शासन में 1837 को ब्रिटिश शासन ने मानकी-मुंडा प्रणाली को दोबारा लागू किया। मानकी-मुंडा शासन मुंडा शासन व्यवस्था से अलग है|
मानकी-मुंडा प्रणाली[सम्पादन]
यह छोटानागपुर (खासकर कोल्हान) में हो जनजातियों की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था थी। यह प्रणाली दो स्तरों पर कार्य करती है — ग्राम और पीड़।
1. मानकी:- 15-20 गांव के मुंडाओं के ऊपर एक मानकी होता है। वह गांवों के समूह का प्रमुख होता है। यह मुण्डाओं से लगान भी वसूलता था। मुंडाओं के द्वारा विवादों को नहीं सुलझा पाने की स्थिति में विवाद को मानकी के पास भेजा जाता था।
2. मुंडा:- यह गांव का प्रधान होता है। इसे प्रशासन लेने का अधिकार है, परती भूमि का भी वह बंदोबस्ती कर सकता है। कुछ क्षेत्रों में इन्हें मुड़ा भी कहा जाता था।
3. डाकुआ:- यह मुंडा का सहायक होता है। मुंडा गांवों में डाकुआ द्वारा बैठकों, समारोहों, उत्सवों, पर्व-त्योहारों और अन्य अवसरों के लिए ग्रामीणों को सूचित करता है।
4. तहसीलदार:- यह मानकी का सहायक होता था, तहसीलदार के माध्यम से ही मुंडाओं सेे मालगुजारी वसूलता था।
5. दिउरी:- यह गांवों का धार्मिक प्रधान होता है और सामूहिक धार्मिक अनुष्ठान और समारोह का संचालन करता है। यह धार्मिक अपराध जैसे मामलों को भी सुलझाता है।
6. पाहान/लाया:- यह गांवों का मुख्य पुजारी होता है जो गांवों के समुदायिक धार्मिक अनुष्ठानों में पूजा करता है।
जनजातियों का प्रमुख[सम्पादन]
मानकी-मुंडा प्रणाली में ग्राम स्तर पर गांवों का प्रमुख मुंडा (मुड़ा) होता है तथा पीड़ स्तर पर गांवों का प्रमुख मानकी होता है।
जनजाति का नाम | पीड़ स्तर का प्रमुख | ग्राम स्तर का प्रमुख | धार्मिक स्तर का प्रमुख |
---|---|---|---|
हो | मानकी | मुंडा | दिउरी/पुजार |
मुण्डा | मानकी | हातु मुंडा | पाहान |
भूमिज | मानकी | मुड़ा/सरदार | दिउरी/लाया |
वर्तमान स्थिति[सम्पादन]
कोल विद्रोह के परिणाम स्वरूप, कोल्हान को दक्षिण-पश्चिम फ्रंटियर एजेंसी घोषित कर दिया गया। कैप्टन विल्किंस को इस क्षेत्र का एजेंट बनाया गया। विल्किंस ने इस क्षेत्र की पारंपरिक नागरिक और न्यायिक स्वशासन व्यवस्था का अध्ययन किया और 1837 में इस प्रणाली को ब्रिटिश शासन ने समझौते के तहत लागू किया।
1947 में भारत की आज़ादी के बाद भी इस आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को रद्द या संशोधन नहीं किया गया। हालांकि, इस प्रणाली की लोकप्रियता कम होने लगी।[२] 2018 में, तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने मानकी-मुंडा प्रणाली को आधुनिक युग में भी प्रासंगिक बताया है।[३] फरवरी 2021 में, झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मानकी-मुंडा प्रणाली को दोबारा क्रियाशील बनाने की घोषणा की।[४] झारखण्ड सरकार ने मानकी-मुंडा शासन व्यवस्था की अपेक्षा मांझी-परगना शासन व्यवस्था पर अधिक ध्यान दिया, जिस कारण मानकी और मुंडाओं का सम्मान और विकास नहीं हुआ।
उल्लेखनीय लोग[सम्पादन]
- मदरा मुंडा : सुतियाम्बे के मुंडा
- फणि मुकुट राय : सुतियाम्बे का मानकी
- बिरसा मुंडा : उलिहातु का मुंडा
- गंगा नारायण सिंह : बांधडीह का मानकी/सरदार
- जगन्नाथ सिंह : दामपाड़ा का मानकी/सरदार
- रघुनाथ सिंह : दामपाड़ा का मानकी/सरदार
- जगन्नाथ धल : घाटशिला का मानकी
- बिंदराय मानकी : बंदगांव का मानकी
- सिंदराय मानकी : बंदगांव का मानकी
इन्हें भी देखें[सम्पादन]
सन्दर्भ[सम्पादन]
- ↑ "The Telegraph - Calcutta : Jharkhand". 2013-12-13. http://www.telegraphindia.com/1070122/asp/jharkhand/story_7292446.asp.
- ↑ "Collapse of Adivasi self-governance system in Jharkhand: Need to implement PESA in letter and spirit" (en में). https://www.downtoearth.org.in/blog/governance/collapse-of-adivasi-self-governance-system-in-jharkhand-need-to-implement-pesa-in-letter-and-spirit-78260.
- ↑ Pioneer, The. "Manki Munda system is still relevant in digital age: Governor" (en में). https://www.dailypioneer.com/2018/state-editions/manki-munda-system-is-still-relevant-in-digital-age-governor.html.
- ↑ "Village heads in J’khand’s Kolhan set to get judicial powers under a British rule still alive" (en में). 2021-03-22. https://www.hindustantimes.com/cities/others/village-heads-in-j-khand-s-kolhan-set-to-get-judicial-powers-under-a-british-rule-still-alive-101616429810688.html.
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